भद्रकाली मंदिर कमश्यार घाटी में प्रदीप जोशी की सेवा बनी आगन्तुकों की पहली पसंद
बागेश्वर/ कमस्यार घाटी के प्रसिद्ध भद्रकाली मंदिर में प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच एक नाम ऐसा है जो हर आगन्तुक के मन में अपनी खास जगह बना चुका है प्रदीप जोशी।
मंदिर परिसर के समीप स्थित प्रदीप की छोटी सी दुकान न सिर्फ यात्रियों की सुविधा का केंद्र है, बल्कि यहाँ आने वाले भक्तों के लिए स्नेह, सरलता और पहाड़ी अतिथि-भाव का प्रतीक बन चुकी है।
विनम्र स्वभाव, श्रद्धा से भरी सेवा
प्रदीप जोशी का विनम्र व्यवहार और सेवा भाव उन्हें क्षेत्र के बाकी दुकानदारों से अलग करता है। मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले हर भक्त का वे मुस्कान के साथ स्वागत करते हैं और बड़े ही भाव से उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं।
यात्रियों का कहना है कि प्रदीप की सेवा में एक आध्यात्मिक ताप और अपनापन महसूस होता है, जो कमश्यार घाटी की शुद्ध आस्था का सच्चा रूप है।
पहाड़ी चूल्हे में पकता स्वाद : अतिथियों के लिए खास अनुभव
प्रदीप की दुकान की सबसे बड़ी विशेषता है उनका पारंपरिक पहाड़ी चूल्हा, जहाँ परोसने से पहले व्यंजन धीमी आँच पर देसी तरीके से पकाए जाते हैं।
भक्तजन बड़े उत्साह से यहाँ के पहाड़ी व्यंजनों का आनंद लेते हैं—
झोली-भात
गहत की दाल
आलू गुटके
मड़ुवे की रोटी
दूर-दराज़ गाँवों के पारंपरिक नमकीन
यात्रियों का कहना है कि मंदिर दर्शन के बाद इस पहाड़ी भोजन का आनंद मन और आत्मा दोनों को तृप्त कर देता है।
भक्तों की थकान मिटाने वाली प्यारी सी सुविधा
कमश्यार घाटी का मार्ग पहाड़ी है और भक्ति यात्राएं कई बार थकाने वाली भी हो सकती हैं।ऐसे में प्रदीप की यह छोटी सी दुकान में
चाय
नाश्ता
हल्का भोजन
बैठने की सुविधा
के साथ यात्रियों को आराम और अपनापन देती है।
अमिट छाप छोड़ने वाला व्यक्तित्व
भक्तजन बताते हैं कि प्रदीप जोशी की सेवा और सादगी उन्हें बार-बार प्रभावित करती है। कई आगन्तुक इस स्थान की यात्रा करते समय प्रदीप की दुकान पर रुकना अपनी यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
उनका सरल स्वभाव, विनम्र बोली और श्रद्धा-युक्त सेवा हर यात्री के हृदय में अमिट छाप छोड़ जाती है।भद्रकाली मंदिर मात्र एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और मानवीय मूल्यों का केंद्र है।
इसी पवित्रता को और उज्ज्वल बनाती है प्रदीप जोशी जैसे लोगों की निस्वार्थ सेवा जो कमश्यार घाटी की पहचान है और देवभूमि की सच्ची आत्मा भी।
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