“दुःख में भी कर्तव्य प्रथम”  भाई के निधन के अगले दिन संसद पहुँचे सांसद अजय भट्ट, क्षेत्र में भावनाओं और सम्मान की लहर

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नैनीताल–उधम सिंह नगर।
राष्ट्रसेवा और कर्तव्यनिष्ठा का ऐसा उदाहरण आज के राजनीतिक दौर में शायद ही देखने को मिलता है। नैनीताल–उधम सिंह नगर के सांसद और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने अपने बड़े भाई के निधन के अगले ही दिन संसद पहुँचकर जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, उसने पूरे क्षेत्र ही नहीं, बल्कि प्रदेश और देशभर में सम्मान की भावना पैदा कर दी है।

गहरे व्यक्तिगत दुख और शोक के बावजूद संसद की कार्यवाही में उपस्थित होकर उन्होंने यह संदेश दिया कि—
“राष्ट्रहित सर्वोपरि है।”

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कठिन समय में भी कर्तव्य के प्रति समर्पण

जहाँ कई जनप्रतिनिधि सामान्य कारणों से सदन से अनुपस्थित रहते हैं, वहीं अजय भट्ट जी ने अपनी जिम्मेदारी और राष्ट्र के प्रति समर्पण का अनुपम प्रमाण दिया। संसद पहुँचकर उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों, राष्ट्रीय महत्व के प्रस्तावों और विकास योजनाओं पर तर्कपूर्ण भागीदारी निभाई।

क्षेत्र में भावनात्मक सम्मान और गर्व की अनुभूति

क्षेत्रवासियों, समर्थकों और समाजसेवियों ने इसे एक प्रेरणादायक और अनुकरणीय कदम बताया।
लोगों का कहना है—

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 “ऐसे समय में सदन पहुँचना उनकी जिम्मेदारी भावना, समर्पण और मजबूत चरित्र को दर्शाता है। क्षेत्र को ऐसा जनप्रतिनिधि मिलने पर गर्व है।”

वरिष्ठ नागरिकों ने इसे त्याग और राष्ट्रभक्ति का दुर्लभ उदाहरण बताते हुए कहा कि यह घटना राजनीति में नैतिकता और ईमानदारी का जीवंत संदेश देती है।

राजनीति से परे मानवीय संदेश

सांसद अजय भट्ट का यह निर्णय केवल राजनीतिक जिम्मेदारी का प्रतीक नहीं, बल्कि यह इस बात की गवाही भी है कि—

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“व्यक्ति दुख में टूट सकता है, पर कर्तव्य उसे मजबूत बनाता है।”

विशेष

भाई के निधन के दर्द के बीच संसद में उपस्थित होना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि कर्तव्य धर्म, अनुशासन और राष्ट्र सेवा का उज्ज्वल उदाहरण है।
ऐसे जनसेवक ही लोकतंत्र की असली शक्ति हैं — जो व्यक्तिगत जीवन से ऊपर उठकर राष्ट्र के प्रति अपनी शपथ का सम्मान करते हैं।

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