गोपाल सिंह रावत= समाज के लिए संघर्षरत रहना ही जिनका स्वभाव है।

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देवभूमि उत्तराखण्ड के कर्मठ समाजसेवी एवं लोकप्रिय व्यक्तित्व के धनी गोपाल सिंह रावत का सम्पूर्ण जीवन समाज को समर्पित रहा है। 71 वर्ष की आयु में भी समाज व नई पीढ़ी के लिए कुछ कर गुजरने की उनकी प्रबल इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि वह अपने लक्ष्य पर लगातार चल रहे हैं। युवाओ को सही मार्गदर्शन देने की पवित्र मंशा से अब उन्होंने समय के साथ ही डिजिटल प्लेटफार्म को आधार बनाया है। इसी के तहत अपने निजी प्रयासों से शीघ ही एक वैबसाइट लॉन्च करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
गोपाल रावत ने कहा कि यदि युवाओं में देश भक्ति, देश सेवा तथा ईमानदारी व समर्पण के साथ देश को आगे ले जाने का भाव बढ़ाना हो, उनको राष्ट्र के महत्व से वास्तव में परिचित कराना हो तो इसके लिए महापुरुषों के महान कार्यों तथा उनके महान त्याग के महान उदाहरणों को युवा पीढ़ी के सामने रखना अत्यावश्यक है। खासकर यह तब और अधिक जरूरी हो जाता है जब समाज में नित नई विकृतियां पैदा हो रही हैं, समाज में सहयोग, सद्भाव तथा सह अस्तित्व के भाव में दिनों – दिन गिरावट देखी जा रही है, परिवारों में मिलकर रहने की भावना तेजी से समाप्त हो रही है और आदर्श सांस्कृतिक मूल्यों व जीवन मूल्यों से मोहभंग होने लगा हो।
उन्होंने भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि आजादी के आन्दोलन में उनके संघर्ष की गाथाओं से इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं। अपने महान आदर्शों, जमीनी अनुभवों, दूरदर्शी सोच व विराट व्यक्तित्व के चलते आजादी से पहले वह तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के पहले प्रधानमंत्री बने और स्वतंत्र भारत के स्वप्न को साकार करने का मार्ग सुगम बनाया। गोपाल रावत,भारत रत्न स्व० श्री पन्त के परिवार का राष्ट्र निर्माण में योगदान पर आगे कहते हैं कि उनके पुत्र स्व० श्री के सी पन्त ने बाद में अपने पिता के आदर्शों पर चलते हुए उनकी राजनीतिक व सामाजिक विरासत को संभालकर कर देश हित में आगे बढ़ाने का काम किया। विलक्षण प्रतिभा के धनी स्व० श्री केसी पन्त तत्कालीन योजना आयोग के लोकप्रिय उपाध्यक्ष रहे और भारत के केन्द्रीय रक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह कर देश की सेवा की । स्व० श्री के सी पन्त के बाद उनकी धर्म पत्नी श्रीमती इला पन्त ने परिवार की परम्परा को आगे बढ़ाया। वह 12वीं लोकसभा के लिए नैनीताल संसदीय सीट से सांसद चुनी गयी और समाज व देश की सेवा में योगदान करने की पारिवारिक परम्परा कायम रखी ।
इस तरह पाच दशक से भी अधिक समय तक पन्त परिवार ने लगातार राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । मूलतः कुमाऊं में जन्मे स्व० श्री पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त ने कुमाऊ क्षेत्र के साथ साथ सम्पूर्ण भारत को अपनी कर्मभूमि बनाया और समूचे भारत में सेवा तथा समर्पण के अनेक उच्च प्रतिमान किये । इस परिवार की देश सेवा तथा राष्ट्र निर्माण में योगदान को सभी के लिए सुलभ व जीवन्त बनाये रखने की भावना से ही कई वर्ष पूर्व ” पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त जयंती समारोह समिति का गठन हुआ था जो लगातार पन्त परिवार की महान राजनीतिक विरासत को संरक्षित करने के अभियान में लगी हुई। श्री रावत ने आगे कहा कि वर्तमान में स्व के सी पन्त व इला पन्त के सुपुत्र सुनील पन्त बतौर समाजसेवी अपने परिवार की सेवा परम्परा को जीवित रखे हुए हैं और इस समिति के माध्यम से समय-समय पर विधिध रचनात्मक कार्य कर नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करने के प्रयासों में संलग्न हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में पन्त पथ नाम से एक सोशल मीडिया प्लेट फार्म बनाया गया था, जिसके वर्तमान में देश विदेश के 8 लाख 80 हजार फालोअर्स हैं।
यहाँ यह बताते चलें कि गोपाल रावत ने भी अपना सम्पूर्ण जीवन समाज को समर्पित किया है ।अनेक सामाजिक कार्यों से जुड़कर आपने समाज के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया है। वर्ष 1987 में उन्होंने हल्द्वानी के गौरापड़ाव मे कुमाऊं मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करके कुमाऊ भर के हजारों युवाओं को रोजगार से जोड़ने का क्रान्तिकारी प्रयास किया । कुमाऊं मण्डल का यह पहला मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर तब से लगातार संचालित है और रोजगार का प्रमुख माध्यम बना हुआ है।
गोपाल रावत वर्ष 1988 में यहाँ ग्रामसभा अर्जुनपुर गोरापड़ाव के ग्राम प्रधान चुने गए और सात वर्षों तक पद पर रहते हुए स्थानीय विकास केबड़े महत्वपूर्ण कार्य किये। अपने कार्यकाल में श्री रावत के प्रयासों से तत्कालीन रक्षा मंत्री के सी पन्त इस गाव में पहुंचे थे । इसी के साथ उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री स्व० श्री एन डी तिवारी भी श्री रावत के बुलावे पर इनकी ग्राम सभा भ्रमण पर आये थे। अपने सरल व विनम्र स्वभाव एवं निःस्वार्थ सेवाभाव के लिए प्रसिद्ध श्री रावत का जन्म बागेश्वर जनपद अन्तर्गत कमस्यार घाटी के रावतसेरा गांव में वर्ष 1951 में हुआ था। बचपन में वह अपने पिता गंगासिंह रावत एवं माता जी गोदावरी देवी के संरक्षण में इलाहाबाद में ही पले बढ़े तथा वहीं पर शिक्षा दीक्षा प्राप्त की । इलाहाबाद में ही माता = पिता के साथ रहते हुए आपको कुछ सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों का सानिध्य प्राप्त हुआ । इस प्रकार समाज सेवा के क्षेत्र में ही कार्य करने का संकल्प लेकर आपने अपनी जीवन यात्रा शुरू की जो आज 71 वर्ष की आयु में भी बिना थके लगातार चल रही है।
कुल मिलाकर गोपाल सिंह रावत समाज के लिए महान प्रेरणा के स्रोत हैं । उनकी प्रेरणा का ही प्रतिफल है कि आज समिति के राज्य संयोजक ललित भट्ट व गोविन्द सिंह डंगवाल लगातार श्री रावत के साथ तन मन धन से सामाजिक कार्यों में जुटे हुए हैं और हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
मदन जलाल मधुकर

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