हल्द्वानी माँ नंदा सुनंदा इंटरनेशनल सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में उत्तराखंड संस्कृति को एकजुट करने के उद्देश्य से कुमाऊं के मुख्य प्रवेश द्वार महानगर हल्द्वानी – काठगोदाम में गढ़वाल का इगास – बगवाल तथा कुमाऊं की बुढ़ि दिवाली को एक साथ महानगर के बुद्ध पार्क में मना महानगर को इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया गया।
आज का दिन इसलिए ऐतिहासिक है कि आज से पूर्व कुमाऊं और गढ़वाल वासियों ने एक साथ इगास – बगवाल तथा बुढ़ि दीपावली को कभी भी एक साथ नहीं मनाया। यह प्रथम अवसर था जब गढ़वाल से अतिथियों के साथ कुमाऊं की परंपरा का समन्वय बनाते हुऐ एक साथ दोनों संस्कृतियों को संजोकर उत्तराखंडियत, भाषा संरक्षण, संस्कृति संरक्षण को एकजुटता से संरक्षित करने का प्रण लिया गया।
कार्यक्रम के आयोजक समीर आर्य द्वारा बताया गया कि कार्यक्रम को मनाने का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के अंदर उत्तराखंडियत को एकजुट करना है तथा कुमाऊं और गढ़वाल को एक साथ मिलते हुए विश्व पटल पर उत्तराखंड को एक नया आयाम दिलाने का प्रण लेना है तथा अब हर वर्ष इसी प्रकार कुमाऊं और गढ़वाल के महान सम्मानित जनता के साथ महानगर हल्द्वानी में भव्य महोत्सव के रूप में इस कार्यक्रम को मनाया जाएगा।
भा.ज.पा नेता कोस्तुभानंद जोशी द्वारा समाज की एकता और अखंडता तथा बाहरी प्रदेश से आ रहे लोगों का उत्तराखंड में अचानक बढ़ाना उत्तराखंड तथा उत्तराखंड की संस्कृति को घातक बताया गया।
मुख्य राज्य आंदोलनकारी हुकुम सिंह कुंवर द्वारा उत्तराखंड के इतिहास बताते हुए एकजुट रहने का प्राण लेने का आह्वान किया गया। उन्होंने कहा कि यदि हम एकजुट नहीं होंगे तो कटेंगे और बाटेंगे इसलिए हमें एकजुट रहने की विशेष आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन मधुकर बनोला द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. रमेश बिष्ट, जितेंद्र मेहता, सोनी आर्य, राजेंद्र सिंह मेहरा, प्रशांत नेगी, ललित आर्य, डॉ वीना पाठक, प्रेमा बिष्ट, रश्मि खेड़ा, मदन बर्थवाल, देवेश आलोक, प्रभा खनका, योगिता बनोला, दिनेश आर्य, रामा उनियाल, अविरल, हरीश सहित सैकड़ो की संख्या में उत्तराखंडी जन मौजूद रहे।
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