क्या है इन कहानियों में ऐसा आप भी पढ़कर देखे

ख़बर शेयर करें

#दिनेश कर्नाटक की प्रतिनिधि कहनियाँ
एक महत्वपूर्ण किताब।💐💐💐
गोरापड़ाव। रिम्पी बिष्ट
सुप्रसिद्ध लेखिका समकालीन कहानियों पर नजर रखने वाली युवा आलोचक रश्मि रावत जी की भूमिका द्वारा सुसज्जित प्रतिनिधि कहानियों के क्रम में दिनेश कर्नाटक जी की कहानियाँ पुस्तक जो समय साक्ष्य से प्रकाशित हुई हैं पढ़ने का अवसर मिला। पढ़कर विषय की गहराइयों को जानने समझने का अवसर मिला। कर्नाटक जी की कहानीयो की विशेषता हैं ये पाठक में पढ़ने की लालसा को जगा देती हैं ।
कहानियाँ शीर्षक के अनुरूप अपने पूर्ण स्वरूप को उजागर करने में सक्षम है। कहानियों के घटनाक्रम यथार्थ को समेट आम जन की गाथा बन जाते हैं ।और स्मृतियों के बिम्ब उकेरने लगते हैं । चयनित कहानियाँ आंचलिक घटनाक्रमों में पैनी नजर रखते हुए समय चक्र के साथ चलायमान प्रतीत होती हैं ।

जैसे मोहन राकेश की कहानी “एक और जिंदगी” कम पात्रों की भीड़ में सटीक सीधी चलती संपूर्ण पाठक को सरलता से लय में बांधती हुई दो स्त्रियों के बीच कोहरे और धूप की आँख मिचौनी खेलती बिना कुछ कहे वार्तालाप शैली में सब कह जाती है ।
यही बात कर्नाटक जी के कहानियों में दृष्टिगोचर होती है जिनके संकलन की पहली चुनिंदा कहानी “भागी हुई लड़किया “लड़कियों के अंदर विद्यमान बंधनो को तोड़कर स्वतंत्रता की छटपटाहट को स्पष्ट करती है साथ ही उनका लड़की होना स्त्री समाज का लड़कियों को शंका की दृष्टि से देखा जाना दूषित समाज के बीच अच्छे लोगो का विद्यमान होना । जहाँ समाज मे वाहन चालको को कुदृष्टि से देखा जाता है वही इनकी कहानी भागी हुई लड़कियों को घर वापस लाने के प्रयास में अपनी कंजूसी और लालच को दरकिनार करते ट्रक ड्राइवर को महत्वपूर्ण पात्र बनाकर व्यवसाय व व्यक्ति विशेष के प्रति न्याय कर समाज के सामने उदाहरण रखने का प्रयास किया है स्त्री मन की छटपटाहट के साथ पहाड़ी जन जीवन खान पान भेष भूषा व सांस्कृतिक परिवेश का पूर्ण अंकन हुआ है ।
चर्चित कहानी “काली कुमाऊँ का शेरदा “एक ऐसी कहानी है जो हर घर की कहानी है गरीबी के चक्रव्यूह के साथ अपना गाँव छोड़ छाड कर शहरों की ओर पलायन आम बात है परंतु भीड़ में कही खुद को स्थापित करने के बजाय खो जाने की संभावना है इस कहानी के मुख्य पुरुष पात्र शेरदा के माध्यम से पहाड़ी ग्रामीण जीवन मे भले ही पितृसत्तात्मक प्रथा खूब प्रचलित हो परंतु परिवार की धुरी महिला ही दिखाई देती है स्त्री विमर्श सहज रूप में स्पष्ट परिलक्षित है । कुसंगत का प्रभाव महामारियो से जीवन मे विखराव पुरूष होने का अभिमान व दम्भ , अंततः स्त्री जीवन की गाड़ी एक बैल के कंधे में रखे जुवे की तरह घसीटते हुए दिखाई देती है । जो कि सत्य के बिलकुल करीब है। यहाँ पलायन के कारण शहर की ओर भेड़ चाल के रूप में स्पष्ट किया है लेखक ने कुचलने की आशंका दिखा कर पलायन वादी को सावधान भी किया है। जैसा कि कहानी के किरदारों के साथ हुआ। कहानी ” कितने युद्ध ”
ऐतिहासिक राजनैतिक घटनाक्रम में युद्धों के तात्कालिक व दीर्घकालिक परिणामो पर आधारित ताने बानो में निर्मित है । युद्ध देशो के बीच होने पर भी मृत्यु सैनिकों की होती है परंतु जितने सम्मान के साथ शहीदों की अंत्येष्ठि होती है उतनी ही जटिल जिल्लत भरी जिंदगी उनके परिवारों को जीनी पड़ती है यहाँ शहीद की पत्नी बमुश्किल अपने बच्चों को पालती है उसके जीवन के कष्ट कम होने के बजाय दूसरे रूप में बढ़ जाते हैं । उसी गांव का चाचा उनकी मदद करता है परंतु समाज उनकी खुशी देख नही पाता कहानी की नायिका इजा के ऊपर गाँव वालों के बहकावे में आकर भुप्पी चाचा के साथ बदनाम कर उसी के बच्चो को भड़काने का काम करता हैं यहाँ कहानीकार के द्वारा यह कह कर कि औरत का मर्द के साथ एक ही रिश्ता होता है क्या ?समाज की आँखे खोलने का प्रयास किया है बभूती व छल के माध्यम से प्रचलित कुरीतियों व अन्ध विश्वाशो को दिखाने का प्रयास भी किया है अंतः सारे भरम तोड़ कर सत्य को प्रकट किया गया है तथा स्त्रीत्व के संघर्ष की जीत के साथ कहानी को चिंतन के लिए छोड़ दिया है। कहानी “नयी पारी” क्रिकेट की अंतिम पारी पारिवारिक दायित्वों के साथ सामाजिक जिम्मेदारीयो को निभाती सम विषम लहरों में गोते खाती नैराश्य से उभर पर अंततः तात्कालिक चर्चित खिलाड़ी सचिन द्वारा गेम का पासा पलट देने पर जीवन को सकारात्मक सुखांत बना देती है जो ओ हेनरी की रचना “लास्ट लीफ ” की तरह दवा व डॉक्टर का काम कर जाती है
वही “वो सुबह ..और ये दुनिया ” समाज में व्याप्त भ्र्ष्टाचार को सरलता से उधेड़ कर पाठक के सामने रख कर वैचारिक चिंतन को बाध्य कर देती है। सभी सोलह कहानियाँ अपने आप ज्वलंत मुद्दों पर काम करती प्रतीत होती है भिटौली कहानी पहाड़ी रीत रिवाजो को मूँछ प्रेमी का कबूलनामा सामाजिक मानसिकता को दर्शाती हैं ।
कहानीकार अपनी कहानियों को जहां से उठाते हैं उसे धीरे धीरे बहने देते हैं और अंततः उस विंदु पर विराम देते हैं जहां कहानी अपना मकसद पूर्ण कर लेती है पाठक को चिंतन करने का रास्ता भी हर बात को निर्भीक होकर कह देना कहानी कार का स्वभावगत पक्ष है । प्रकृति को आलंबन बना कर कहानी में शौन्दर्य बोध व कलात्मकता का लिबाज महत्वपूर्ण है कुछ कहानियां अपनी बात कहते हुए व्यापक आकार लेती है परंतु वे अपनी रोचकता व तारतम्य को मजबूती से बाधे रखती है। आपकी कहानियों को पढ़ने के बाद निश्चित रूप से पाठक व लेखक को साहित्य रसानुभूति के साथ लेखक की नयी पृष्ठभूमि व कहानियों के नये आयाम अवश्य मिल सकते हैं इसलिए यह कहानीकार को प्रतिनधि कहानीकार बनाने में पूर्णतः सक्ष्यम है ।
बीना फूलेरा
नैनीताल उत्तराखंड

Ad
Ad Ad Ad Ad
Ad