जिलाधिकारी आशीष भटगांई को भेंट की ” जय मॉ बगलामुखी” व ” मॉ भद्रकाली ” पुस्तकें

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पर्यटन व तीर्थाटन विकास में दोनों पुस्तकों को जिलाधिकारी ने बताया महत्वपूर्ण

पुस्तकों के लेखक वरिष्ठ पत्रकार रमाकान्त पन्त व प्रकाशक ललित पन्त के प्रयासों की आशीष भटगांई ने की सराहनीय

पिथौरागढ़ ।
जनपद के नए जिलाधिकारी आशीष भटगांई को उनके कार्यालय में वरिष्ठ पत्रकार रमाकान्त पन्त द्वारा लिखित दो पुस्तकें ” जय माँ बगलामुखी ” व ” मॉ भद्रकाली ” सप्रेम भेंट की गई।
उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन एवं तीर्थाटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिखी गई उक्त दोनों पुस्तकें पूर्व दर्जा राज्य मंत्री ललित पन्त व भद्रकाली मन्दिर के मुख्य आचार्य एवं संरक्षक योगेश पन्त द्वारा जिलाधिकारी पिथौरागढ़, आशीष भटगाई को एक शिष्टाचार मुलाकात के दौरान भेंट की गई।
पुस्तकों को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हुए जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने कहा कि दोनों ही पुस्तकें देवभूमि उत्तराखण्ड में तीर्थाटन व धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में काफी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा पुस्तकों में जिस तरह से देवभूमि के प्राचीन व पौराणिक तीर्थो के आध्यात्मिक वैभव का विस्तार से वर्णन किया गया है और उनके दिव्य माहात्म्य को देश-दुनियां तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है, यह वास्तव में बहुत प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कुमाऊं के अनेकानेक गुमनाम किन्तु पौराणिक व अध्यात्मिक महत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण धर्म स्थलों को सटीक जानकारियों के साथ लगातार प्रकाश में लाने का प्रयास, सनातन संस्कृति की बहुत बड़ी सेवा है।
इस दौरान नवागत जिलाधिकारी आशीष भटगाई ने दोनों ही पुस्तकों के लेखक वरिष्ठ पत्रकार रमाकान्त पन्त व प्रकाशक ( पूर्व दर्जा राज्य मंत्री ) ललित पन्त का इस सम्मान के लिए धन्यवाद किया तथा दोनों का आभार व्यक्त किया । उन्होंने कहा धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व की पुस्तकों का प्रकाशन कर पाना मौजूदा समय में बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है। खासतौर से बिना किसी सरकारी अथवा अन्य सहयोग के, पुस्तकों का प्रकाशन कर पाना बहुत मुश्किल काम है। उन्होंने कहा वास्तव में यह अत्यधिक सराहनीय प्रयास है।
बता दें कि माँ बगलामुखी, दश महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या बताई गई है। जय माँ बगलामुखी पुस्तक के माध्यम से लेखक ने देवभूमि उत्तराखण्ड में माँ बगलामुखी देवी से जुड़े गुमनाम किन्तु दुर्लभ प्राचीन तीर्थो की पौराणिक महत्ता को उजागर करते हुए देवभूमि में तीर्थाटन विकास में इनके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला है।
इसी तरह माँ भद्रकाली पुस्तक , जनपद अन्तर्गत कमस्यार घाटी में स्थित प्राचीन भद्रकाली धाम की महिमा पर आधारित है।