बागेश्वर। आज देशभर में काल भैरव अष्टमी बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाई जा रही है। यह तिथि भगवान शिव के भयंकर रूप भैरव के प्रकट होने का पर्व है। मान्यता है कि भगवान शिव ने ब्रह्मा के अहंकार का दमन करने के लिए काल भैरव रूप धारण किया था। इस दिन उपवास, भैरव चालीसा पाठ, दीपदान और काल भैरव के दर्शन-पूजन का विशेष महत्व बताया गया है।
काल भैरव अष्टमी को भैरव जयंती भी कहा जाता है। शिवपुराण के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति काल भैरव की आराधना करता है, उसे भय, रोग, शत्रु और मृत्यु से मुक्ति मिलती है। भक्त इस दिन रात्रि जागरण कर “ॐ ह्रीं कालभैरवाय नमः” मंत्र का जप करते हैं।
देशभर में आज के दिन भैरव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। पाताल लोक में भी पूजन चल रहा है
देश के प्रमुख काल भैरव मंदिरों में शामिल हैं:
1. काशी (वाराणसी) का काल भैरव मंदिर – यह सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन भैरव मंदिर माना जाता है। यहां काल भैरव को “काशी के कोतवाल” के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि बिना काल भैरव के दर्शन के काशी यात्रा अधूरी रहती है।
2. उज्जैन (मध्य प्रदेश) का काल भैरव मंदिर – यहां के भैरव भगवान को मदिरा का भोग लगाया जाता है। यह मंदिर राजा भर्तृहरि से भी जुड़ा है। उज्जैन में भैरव अष्टमी पर भव्य उत्सव आयोजित होता है।
3. दिल्ली का काल भैरव मंदिर (कुटिलेश्वर महादेव) – चाँदनी चौक क्षेत्र में स्थित यह मंदिर दिल्ली के प्राचीनतम शिवालयों में से एक है। यहां भी आज हजारों भक्त पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं।
4. जयपुर का काल भैरव मंदिर (नाहरगढ़) – यह मंदिर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। यहां भैरव अष्टमी पर विशेष आरती और भंडारे का आयोजन किया जाता है।
5. तमिलनाडु का काल भैरव मंदिर (तिरुवन्नामलई) – दक्षिण भारत में यह मंदिर काल भैरव उपासना का प्रमुख केंद्र है।
काल भैरव अष्टमी के अवसर पर देशभर के शिवालयों में भैरव सहस्रनाम पाठ, दूध और तेल का अभिषेक, दीपदान, और रात्रि जागरण का आयोजन किया जा रहा है। श्रद्धालु अपने पालतू कुत्तों को भी भोजन कराते हैं, क्योंकि भैरव के वाहन के रूप में कुत्ता अत्यंत पूजनीय माना गया है।
भक्तों का विश्वास है कि आज के दिन काल भैरव की आराधना से जीवन के सभी कष्टों का नाश होता है और व्यक्ति निर्भय होकर धर्ममार्ग पर अग्रसर होता है।
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