नई दिल्ली/ देहरादून
लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एवं नैनीताल–उधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट ने पर्वतीय राज्यों में पर्यटन सर्किट विकास, स्वदेश दर्शन योजनाओं और अब तक जारी धनराशि को लेकर अतारांकिक प्रश्न पूछा। जवाब में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने महत्वपूर्ण जानकारियाँ सदन में प्रस्तुत कीं।
पर्वतीय पर्यटन सर्किट के लिए केंद्र का बड़ा प्लान
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश में पर्यटन अवसंरचना को सुदृढ़ करने हेतु स्वदेश दर्शन, स्वदेश दर्शन 2.0, प्रसाद योजना और तीर्थ एवं विरासत संवर्धन मिशन के तहत 76 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।
इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2024-25 में “पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का विकास” योजना के तहत 23 राज्यों में 3295.76 करोड़ रुपये की 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
अब तक जारी राशि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
केंद्र सरकार की तरफ से अब तक देश के हिमालयी राज्यों में पर्यटन सर्किट विकास हेतु —
1726.74 करोड़ रुपये आवंटित किए गए
जिनमें से 1200.46 करोड़ रुपये जारी भी किए जा चुके हैं।
उत्तराखंड को मिला विशेष फोकस ये परियोजनाएँ स्वीकृत और जारी
वर्ष परियोजना स्वीकृत राशि जारी राशि
2015-16 केदारनाथ एकीकृत विकास 34.77 करोड़ 34.77 करोड़
2018-19 बद्रीनाथ तीर्थ अवसंरचना विकास 56.15 करोड़ 38.38 करोड़
2021-22 गंगोत्री–यमुनोत्री अवसर रचना विकास 54.36 करोड़ 10.5 करोड़
2024-25 ऋषिकेश राफ्टिंग बेस स्टेशन 100 करोड़ 66 करोड़
2023-24 चंपावत टी गार्डन अनुभव (टूरिज़्म मॉडल) 19.89 करोड़ 1.99 करोड़
2023-24 पिथौरागढ़ – गूंजी ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर 17.86 करोड़ 1.79 करोड़
2024-25 माणा हट परियोजना (वाइब्रेंट विलेज) 4.99 करोड़ 0.50 करोड़
2024-25 कैंची धाम परिसर विकास 17.50 करोड़ 1.76 करोड़
2024-25 जांदूंग उत्सव मैदान (वाइब्रेंट विलेज) 4.99 करोड़ 0.50 करोड़
2016-17 कुमाऊँ विरासत परिपथ (कटारमल–जागेश्वर–बैजनाथ–देवीधूरा) 76.32 करोड़ 68.91 करोड़
2015-16 टिहरी झील एडवेंचर–पर्यटन विकास 59.70 करोड़ 59.70 करोड़ (पूर्ण)
कटारमल–बैजनाथ विरासत परिपथ बनेगा अंतरराष्ट्रीय पहचान का केंद्र
केंद्र सरकार के अनुसार विशेष रूप से कटारमल सूर्य मंदिर, बैजनाथ धाम, जागेश्वर और देवीधूरा क्षेत्र को “विरासत–आध्यात्मिक–नेचर कॉरिडोर” के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इस क्षेत्र में पथ प्रकाश, सड़क सुधार, आवासीय सुविधा, ई–पर्यटन सूचना प्रणाली, सांस्कृतिक स्थल संरक्षण, हेल्प सेंटर, ईको–टूरिज्म और पर्यटक सुविधाएँ व्यापक स्तर पर विकसित की जाएंगी।
सांसद अजय भट्ट बोले “पर्यटन होगा विकास की रीढ़”
सांसद ने कहा—
“यह केवल पर्यटन विकास नहीं, बल्कि रोजगार, संस्कृति और धार्मिक पहचान का पुनर्जागरण है। इन योजनाओं से हजारों युवाओं को रोजगार और उत्तराखंड के पर्वतीय गांवों को नया जीवन मिलेगा।”
विशेष
केंद्र सरकार की ओर से जारी यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड का धार्मिक, रोमांचक और सांस्कृतिक पर्यटन न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर अग्रसर होगा।
विशेष रूप से कटारमल–बैजनाथ विरासत पट्टी उत्तराखंड पर्यटन का नई पहचान बनने जा रही है।
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