विशेष रिपोर्ट | देवभूमि का गौरव “पहाड़ की मिट्टी से मिली पहचान : महावीर प्रसाद भट्ट बने ग्रामीण नवाचार और प्रेरणा के प्रतीक

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देवप्रयाग/टिहरी गढ़वाल।
जहां पहाड़ों से पलायन आज भी सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है, वहीं टिहरी गढ़वाल के देवप्रयाग क्षेत्र के निवासी महावीर प्रसाद भट्ट इस सोच को बदलने की अद्भुत मिशाल पेश कर रहे हैं।

श्रीराम कथा ज्ञान गंगा महोत्सव के अवसर पर उन्हें “ग्राम गौरव सम्मान–2025” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि पहाड़ की मिट्टी, संस्कृति और आत्मनिर्भरता का सम्मान है।

 पहाड़ का बेटा, जिसने बदली फलों की पहचान

15 नवंबर 1955 को ग्राम भदासु पुजारगांव में जन्मे महावीर प्रसाद भट्ट के पिता स्वर्गीय सत्य प्रसाद भट्ट गांव के सम्मानित व्यक्तित्व थे। प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी करने के बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातक किया और फिर खाद्य विभाग एवं अभियंत्रण प्रशिक्षण लेकर हिमाचल प्रदेश में नौकरी की शुरुआत की।

ईमानदारी और मेहनत उनकी पहचान रही और इसी के चलते पार्ले एक्सपोर्ट चंडीगढ़, फिर देश की बड़ी ब्रांड कंपनियों में उन्होंने अपनी दक्षता साबित की। 1980 में उनकी शादी पंजाब विश्वविद्यालय की टॉपर श्रीमती पुष्पा भट्ट से हुई, जो आज उनकी प्रेरणा और सहयोग की साथी हैं।

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 शोध से उद्योग तक सफलता की नई कहानी

महावीर प्रसाद भट्ट ने बेवरेज और पोषण पेय पदार्थों पर शोध कर उद्योग को नई दिशा दी।
• पार्ले एक्सपोर्ट में शोध विभाग
• वृंदावन ग्रुप, लखनऊ में GM
• और फिर कोका-कोला में CEO पद पर महत्वपूर्ण निर्णय उनका अनुभव उन्हें व्यवसाय नहीं, बल्कि दृष्टिकोण देता रहा।

 फल संरक्षण और स्वदेशी मॉडल के अगुवा

2024 में उन्होंने “सयुश न्यूट्रास्यूटिकल्स” की स्थापना की, जहां आज लगभग 30 स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है।

उनके प्रयास से लखनऊ में पहला आधुनिक फल संरक्षण संयंत्र स्थापित हुआ जिसके लिए उन्हें भंवरलाल जैन, पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी सहित कई दिग्गजों का सहयोग मिला।

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कृषि नवाचार के अग्रदूत :मिशन आत्मनिर्भर पहाड़

बचपन से कृषक बनने के सपने को अब उन्होंने जीवन का लक्ष्य बनाया है।
आज वे: वैज्ञानिक कृषि तकनीक बांस आधारित खेतीफल प्रसंस्करण ग्रामीण युवाओं को रोजगार प्रशिक्षण के माध्यम से पहाड़ की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के प्रयास में जुटे हैं।टिहरी गढ़वाल के CDO डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने स्वयं उनके गांव का दौरा कर स्थानीय कृषि मॉडल पर कार्यशाला आयोजित की जो उनके प्रयास की सफलता का प्रमाण है।

सम्मान और उपलब्धियां

उनकी कार्ययात्रा को अनेक राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं

🌟 उद्यान रत्न पुरस्कार – 2013

🌟 R&D बेल जूस अवॉर्ड

🌟 उत्तर प्रदेश सरकार का कृषि नेतृत्व पुरस्कार

🌟 उद्यमिता हिंदुस्तान सम्मान

🌟 CDS जनरल अनिल चौहान एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल द्वारा विशेष सम्मान

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 गांव गोद लेकर बदल रहे भविष्य

महावीर प्रसाद भट्ट ने अपने मूल गांव को गोद लेने का संकल्प लिया है।

👉 बुजुर्गों के पुराने घरों को पुनर्निर्मित कर
👉 पारंपरिक काष्ठकला और संस्कृति को जीवित रखकर
👉 गांव को हरित, आत्मनिर्भर और स्वरोजगार आधारित मॉडल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

वे कहते हैं— “पहाड़ का भविष्य पलायन नहीं, पुनर्जागरण है

विशेष

महावीर प्रसाद भट्ट की कहानी एक सामान्य व्यक्ति की नहीं — बल्कि उस व्यक्ति की है जिसने:

 वैश्विक कंपनियों में कार्य किया
उपलब्धियां पाईं
 पर अंत में लौटकर मिट्टी को सम्मान देना चुना।

वे आज युवाओं, किसानों और ग्रामीण समाज के लिए प्रेरणा हैं।

देवभूमि उन्हें नमन करती है
क्योंकि उन्होंने पहाड़ छोड़कर सफलता नहीं पाई,
बल्कि सफलता पाकर पहाड़ लौट आए।

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