14 मई प्रवासी पक्षी दिवस :प्रकृति के संतुलन और जीवन की निरंतरता के प्रतीक प्रवासी पक्षी*

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प्रवासी पक्षी, जो हर वर्ष हजारों किलोमीटर की कठिन यात्राएं तय कर पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में आते हैं, केवल उड़ते हुए जीव नहीं हैं वे प्रकृति के संतुलन और जीवन की निरंतरता के प्रतीक हैं। ये पक्षी मौसम, पारिस्थितिकी और जैव विविधता के अद्भुत संकेतक हैं। लेकिन आज जब हम विकास और उपभोग की अंधी दौड़ में दौड़ रहे हैं, इन पक्षियों का आकाश सिमटता जा रहा है, पेड़ कटते जा रहे हैं, जल स्रोत सूखते जा रहे हैं और शहरीकरण की दीवारें इनकी उड़ान पर भारी पड़ रही हैं। तब क्या हो जब आकाश मौन हो जाए।
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि मनुष्य और पक्षी के बीच पुनः संबंध जोड़ने का एक अवसर है एक संवाद, जो चेतना, करुणा और जिम्मेदारी की ओर ले जाता है।
*घटती आबादी: चेतावनी देती उड़ानें*
पिछले कुछ दशकों में प्रवासी पक्षियों की अनेक प्रजातियां या तो लुप्त हो चुकी हैं या विलुप्ति के कगार पर हैं। कारण साफ़ हैं वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग, शिकार, और तीव्र शहरीकरण। प्रवासी पक्षी जैसे साइबेरियन क्रेन, अमूर फाल्कन, या बार-हेडेड गीज़ अब हमारी आंखों से गायब होते जा रहे हैं। यह सिर्फ पक्षियों की नहीं, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की भी गिरती सेहत का संकेत है। जब इनका अस्तित्व खतरे में होता है, तो हमारे जीवन की गुणवत्ता भी दांव पर लगती है।
*पक्षी और मानव: सह-अस्तित्व की उड़ान*
पक्षी न केवल जैव विविधता का हिस्सा हैं, बल्कि वे पारिस्थितिकीय चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बीज फैलाना, कीट नियंत्रण, और परागण जैसे कार्यों से वे प्रकृति को संतुलित बनाए रखते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान इन्हें अपने खेतों के मित्र मानते हैं। वहीं पक्षियों की चहचहाहट शहरी जीवन की कठोरता में एक सजीव संगीत बन जाती है। बच्चों की कल्पना, कवियों की रचनाएं और भक्तों की प्रार्थनाएं इन सबमें पक्षी कहीं न कहीं बसे होते हैं।
*क्या कर सकते हैं हम: संरक्षण की ज़िम्मेदारी*
मनुष्य यदि चाहे तो बहुत कुछ कर सकता है। घरों की छतों पर पानी के बर्तन रखें, वृक्षारोपण करें, झीलों और जलाशयों को बचाएं, कीटनाशकों का प्रयोग सीमित करें, और सबसे ज़रूरी पक्षियों के प्रति संवेदनशील बनें। शिक्षण संस्थानों और समाज में इस विषय पर जन-जागरूकता फैलाएं। हर शहर, गाँव, गली और छत एक छोटा सा प्रयास करे तो यह पृथ्वी फिर से पंखों से भर सकती है।
*एक चेतना की पुकार: जीवन सबका है*
पक्षियों का जीवन केवल उनके लिए नहीं, हम सबके लिए अनिवार्य है। वे केवल उड़ते नहीं, बल्कि हमें भी उड़ना सिखाते हैं स्वतंत्रता की ओर, सौंदर्य की ओर, सह-अस्तित्व की ओर। जब हम अपने लिए पानी की एक बूंद, छांव की एक परत और भोजन का एक अंश ढूंढ़ते हैं, तब क्या पक्षियों को यह अधिकार नहीं है? यह गर्मी, जब सूर्य अपनी तपिश फैलाए, तो एक छाया, एक कटोरी पानी और एक दाना हम भी उनके लिए रखें। यही संवेदना, यही करुणा, मनुष्य को मानव बनाती है।
*पंखों में फिर से उम्मीद भरें*
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस हमें सिर्फ पक्षियों को नहीं, बल्कि स्वयं को भी बचाने की पुकार देता है। यदि हम अपने आकाश को इनके लिए सुरक्षित नहीं रख पाए, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे अपने जीवन से भी चहचहाहट खो जाएगी। आज ज़रूरत है एक सामूहिक चेतना की, जो केवल नीतियों में नहीं, हमारे व्यवहार, हमारे आंगन और हमारे हृदय में झलके। आइए, आज एक वचन लें प्रकृति के इन पंखधारी मित्रों को वह सम्मान, सुरक्षा और स्थान दें, जो वे सदा से हमारे साथ साझा करते आए हैं।

( नरेंद्र शर्मा परवाना-विभूति फीचर्स)

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