भारत न झुकेगा न दबेगा न किसी अंतरराष्ट्रीय महाशक्ति से ब्लैकमेल होगा और स्वतंत्रता की शताब्दी तक भारत सुनिश्चित रुप से एक समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित देश होगा। यही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए संबोधन का सारतत्व या लब्बोलुआब। प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से कई साहसिक घोषणाएं कीं, जो एक ऐसे राष्ट्र का संकेत देती हैं, जो भविष्य में ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, सामरिक सुरक्षा से लेकर हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा। बिना नाम लिए प्रधानमंत्री ने ट्रंप के टैरिफ से निबटने के लिए स्वावलंबी स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण पर बल दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपने कार्यकाल का लालकिले से यह बारहवाँ संबोधन था। प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से अपना सबसे लंबा और निर्णायक भाषण दिया, जो 103 मिनट का था और जिसने विकसित भारत 2047 के लिए एक साहसिक रोडमैप तैयार किया। आत्मनिर्भरता, नवाचार और नागरिक सशक्तिकरण पर ज़ोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने दूसरे देशों पर निर्भर राष्ट्र से लेकर विश्व स्तर पर आत्मविश्वासी, तकनीकी रूप से उन्नत और आर्थिक रूप से सुदृढ़ देश बनने तक की भारत की यात्रा पर प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम हमले, सिंधु जल विवाद, सेमीकंडक्टर निर्माण, घुसपैठ से डैमोग्राफी बदलाव के खतरे समेत सभी मुद्दों पर बेबाक राय रखी। मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करते हुए इसे भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का प्रदर्शन बताया। भारत में निर्मित हथियारों का इस्तेमाल करते हुए, इस ऑपरेशन ने आतंकवादी नेटवर्क और पाकिस्तान स्थित बुनियादी ढाँचे को ध्वस्त कर दिया, जिससे एक नए युग का संकेत मिला, जहाँ भारत अब विदेशी शर्तों पर परमाणु ब्लैकमेल या धमकियों को स्वीकार नहीं करेगा।
सिंधु जल संधि के मुद्दे पर, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा “भारत ने अब निर्णय ले लिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे। लोगों को एहसास हो गया है कि सिंधु जल संधि अन्यायपूर्ण थी। सिंधु नदी प्रणाली के पानी से दुश्मन की जमीनों की सिंचाई होती रही, जबकि हमारे किसान कष्ट झेलते रहे।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “दूसरों पर निर्भरता किसी राष्ट्र की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण होता है, जब निर्भरता एक आदत बन जाती है, एक खतरनाक आदत। इसलिए हमें आत्मनिर्भर बनने के लिए जागरूक और प्रतिबद्ध रहना चाहिए। आत्मनिर्भरता केवल निर्यात, आयात, रुपये या डॉलर के बारे में नहीं है। यह हमारी क्षमताओं, अपने पैरों पर खड़े होने की हमारी ताकत के बारे में है।
उन्होंने घोषणा की कि भारत 2025 तक अपनी पहली मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप लॉन्च करेगा। देश परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल रहा है, जिससे ऊर्जा और प्रौद्योगिकी में अभूतपूर्व अवसर पैदा होंगे। भारत की पहली सेमीकंडक्टर चिप बनाने से लेकर जेट इंजन बनाने तक, दस गुना परमाणु ऊर्जा विस्तार से लेकर युवाओं के लिए एक लाख करोड़ रुपये के रोज़गार प्रोत्साहन तक, उनका संदेश स्पष्ट था कि भारत अपना भाग्य स्वयं परिभाषित करेगा, अपनी शर्तें स्वयं निर्धारित करेगा और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत अब मिशन मोड में है। इस वर्ष के अंत तक, देश अपनी पहली मेड इन इंडिया चिप का शुभारंभ करेगा। अगले दो दशकों में परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को दस गुना से अधिक बढ़ाने के भारत के मिशन के तहत 10 नए परमाणु रिएक्टरों पर काम चल रहा है।
अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों का दिवाली पर अनावरण किया जाएगा, जिसके तहत आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स कम होंगे और एमएसएमई, स्थानीय विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए एक समर्पित सुधार कार्य बल के गठन की घोषणा की। इसका कार्यादेश होगा – आर्थिक विकास में तेज़ी लाना, लालफीताशाही कम करना, शासन का आधुनिकीकरण करना और 2047 तक भारत को 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों के लिए तैयार करना।
पीएम मोदी ने 1 लाख करोड़ रुपये की एक बड़ी रोज़गार योजना की शुरुआत की, जिसके तहत नए रोज़गार पाने वाले युवाओं को प्रति माह 15,000 रुपये मिलेंगे। इस योजना का उद्देश्य 3 करोड़ युवा भारतीयों को लाभान्वित करना है, जिससे स्वतंत्र भारत से समृद्ध भारत तक का सेतु मज़बूत होगा।
जनसांख्यिकीय असंतुलन के ख़तरों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इस राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए एक उच्च-स्तरीय जनसांख्यिकी मिशन शुरू करने की घोषणा की, ताकि भारत के नागरिकों की एकता, अखंडता और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पीएम मोदी ने रेखांकित किया कि भारत के बजट का एक बड़ा हिस्सा अभी भी पेट्रोल, डीज़ल और गैस के आयात में खर्च हो जाता है। उन्होंने समुद्री संसाधनों के उपयोग के लिए राष्ट्रीय डीपवाटर अन्वेषण मिशन की शुरुआत तथा सौर, हाइड्रोजन, जलविद्युत और परमाणु ऊर्जा में बड़े विस्तार की घोषणा की।
इसके अलावा पीएम मोदी ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि जिस तरह हमने कोविड के दौरान टीके बनाए और डिजिटल भुगतान के लिए यूपीआई का उपयोग किया, उसी तरह हमें अपने जेट इंजन भी बनाने चाहिए। उन्होंने अपने वैज्ञानिकों और युवाओं से इसे एक सीधी चुनौती के रूप में लेने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत 2047 के लिए अपने विज़न को रेखांकित किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की प्रगति आत्मनिर्भरता, नवाचार और नागरिक सशक्तिकरण पर आधारित है।
प्रधानमंत्री ने नागरिकों को याद दिलाया कि भारत की शक्ति उसके लोगों, नवाचार और आत्मनिर्भरता के प्रति कटिबद्धता में निहित है। उन्होंने प्रत्येक भारतीय से राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया, चाहे वह भारत में निर्मित उत्पाद खरीदकर हो या वैज्ञानिक, तकनीकी और उद्यमशीलता के उपक्रमों में भाग लेकर हो, ताकि देश की स्वतंत्रता की शताब्दी तक एक समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित भारत सुनिश्चित हो सके।
(मनोज कुमार अग्रवाल-विभूति फीचर्स)










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