जीएसटी दरों में कमी का लाभ आम जनता को देने को तैयार नहीं हैं छोटे कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों के व्यावसायी

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+ प्रधानमंत्री के स्पष्ट संदेश के बावजूद पहले से भी महंगी मिल रही वस्तुएं
+ संशोधित दरें 22 सितम्बर से लागू होने से 10 दिन पूर्व ही बड़े व्यापारियों ने बढ़ा दिये हैं वस्तुओं के दाम
+ आधा लीटर सरसों तेल, जिसका 03 दिन पूर्व मूल्य रुपए 90.00 था, 22 सितम्बर से कर दिया गया है 114 रूपए मूल्य, घटी हुई दर है 100 रुपए
+ जगह-जगह से मिल रही हैं ग्राहकों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें
+ कौन लगाएगा ऐसे व्यापारियों की मनमानी पर रोक ?

हल्द्वानी ( नैनीताल ) ।
देश में अर्थव्यवस्था की प्रगति सतत बनाए रखने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा हाल ही में जीएसटी ( GST ) संशोधन किये जाने के बाद सोमवार 22 सितम्बर 2025 से तमाम उपभोक्ता वस्तुओं की घटी हुई दरें पूरे देशभर में लागू हो गई।
भारत सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को दी गई इस बड़ी राहत की सर्वत्र सराहना हुई और देशभर के उपभोक्ता बड़ी बेसब्री से 22 सितम्बर की प्रतीक्षा कर रहे थे ।
भारत सरकार की इस बड़ी लोक कल्याणकारी पहल से उत्साहित उपभोक्ताओं को सोमवार 22 सितम्बर की सुबह तब निराशा हुई जब उन्होंने देखा कि जरूरी वस्तुएं तो पहले से भी अधिक मूल्य पर बेची जा रही हैं। यानी जो वस्तुएं महज 03 दिन पूर्व जिस मूल्य पर मिल रही थी, वही वस्तुएं सोमवार की सुबह 9 से 10 फीसदी अधिक मूल्य पर मिल रही हैं। इस तरह की खबरें जब जगह-जगह से मिलने लगी, खासतौर से छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों से, तब सतही छानबीन में सामने आया कि व्यावसायी वास्तव में जीएसटी की संशोधित घटी हुई दरों की बजाय मात्र तीन दिन पूर्व की दरों से भी 9 से 10 फीसदी कीमत बढ़ा कर सामान बेच रहे हैं। अर्थात जनपद नैनीताल अन्तर्गत छोटे कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों- रानीबाग, काठगोदाम, कालाढूंगी,तल्ली हल्द्वानी,हल्दूचौड़, भवाली, गरमपानी, बेतालघाट बैल पड़ाव समेत दर्जन भर कस्बों से इस तरह की शिकायतें सामने आई ।
इससे एक बात तो साफ हो गई कि बहुत से व्यावसायी जीएसटी संशोधन की घटी हुई दरों पर सामान बेचने और उपभोक्ताओं को इसका लाभ देने को तैयार नहीं है।
हैरानी तब हुई जब पता चला कि 3- 4 दिन पूर्व ही आटा, तेल, मशाले, चीनी, चाय पत्ती जैसी अनेकानेक वस्तुओं के दाम कई व्यावसायियों द्वारा चुपचाप से बढ़ा दिए गए।
बीते दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्पष्ट संदेश के बावजूद बताई गई गाइड – लाईन का पालन तो दूर, कई उपभोक्ता वस्तुएं और भी महंगी दरों पर बेची जा रही हैं। सोमवार की सुबह इस बात का तब खुलासा हुआ जब काठगोदाम व रानी बाग में आधा लीटर सरसों का तेल, जो 3 दिन पूर्व तक रुपए 90.00 अधिकतम प्रिट दर में मिल रहा था, वही आधी लीटर की बोतल 22 सितम्बर की सुबह अधिकतम 100.00 रुपए में मिल रही थी । ऐसे में ग्राहकों के सवाल पूछे जाने पर उनको राहत मिलने की बजाय उनको बदसलूकी झेलनी पड़ी । दिनभर में जनपद के कई हिस्सों से इसी तरह की खबरें मिलती रही ।
रानीबाग स्थित एक दुकानदार से ‘ चक ‘ ब्राण्ड सरसों तेल की आधी लीटर की बोतल, जो तीन दिन पूर्व तक 90 रुपए में मिल रही थी, वही बोतल सोमवार 22 सितम्बर की सुबह 100 रुपए में दी गई। जीएसटी संशोधित दरों की बाबत पूछे जाने पर दुकानदार का कहना था कि हल्द्वानी बाजार के थोक व्यापारी द्वारा जीएसटी की घटी हुई दर पर उनको 100 रुपए में आधी लीटर तेल बोतल दी जा रही है, तो वह कैसे कम कीमत पर दे सकते हैं ।
यहाँ गौर करने वाली बात यह भी है कि चक्र ब्राण्ड तेल की उस आधी लीटर की प्लास्टिक बोतल के रैपर में मूल्य कहीं भी अंकित नहीं किया गया था । बस साइड में इतना सा छपा है कि ” See on the neck ” अर्थात तेल बोतल की गरदन पर देखें ।
गौर से देखने पर पता चला कि चन्द दिन पूर्व जिस आधी लीटर सरसों तेल बोतल पर 90 रुपए मूल्य अंकित रहता था, वही नई पैंकिंग बोतल पर अत्यधिक सूक्ष्म आकार में मूल्य 114 रुपए अंकित है। यानी सप्ताह भर के भीतर चुपचाप 24 रुपए मूल्य बढ़ा दिए गए । अब जीएसटी संशोधित दर के हिसाब से 14 रुपए मूल्य कम करके 100 रुपए में आधा लीटर तेल ग्राहकों को दिया जा रहा है।
उपभोक्ता के साथ इससे भद्दा मजाक और क्या हो सकता है कि चन्द दिन पहले जिस आधा लीटर तेल को वह मात्र 90 रुपए में खरीद रहा था, वही बोतल जीएसटी छूट के बाद 10 रुपए अधिक यानी ग्राहक 100 रुपए में खरीदने को विवश है।
लोग अपना गुस्सा व्यापारियों पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी व राज्य के मुखिया पुष्कर सिंह धामी पर उतार रहे हैं।
हल्द्वानी नगर के बाजार के सूत्र बताते हैं कि चन्द थोक व्यापारियों द्वारा जीएसटी संशोधित दरें घोषित होने के साथ ही चुपचाप से कई वस्तुओं की कीमतें बढ़ा दी गई थी, जिसका खामियाजा आम उपभोक्ता को भोगना पड़ रहा है।
बहरहाल ग्राहकों में राज्य सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन अन्तर्गत सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों की कार्य प्रणाली को लेकर गुस्सा देखा जा रहा है।