विराट है चित्रशिला का महत्व: विक्की योगी

ख़बर शेयर करें

.

काठगोदाम
फिल्मी निर्माता निर्देशक विक्की योगी ने कहा कि
कुमाऊं के प्रवेश द्वारा काठगोदाम के निकट रानीबाग में लगने वाला मेला इस तीर्थ की विराट महत्ता को प्रकट करता है। यह मेला प्राचीन काल से अपनी पहचान के लिए  रहा है। पौराणिक व धार्मिकता के आधार पर इस क्षेत्र का अपना एक अलग ही विशेष महत्व है। सुंदर घाटी से होकर बहने वाली गार्गी नदी व इसके तट पर स्थित मंदिर, चोटी पर स्थित जियारानी के नाम से प्रसिद्व गुफा पौराणिक गाथाओं को बयां करती है। यहां पधारने वाले तीर्थयात्री जन यहां की अलौकिक महिमा से अभिभूत होकर मन में अमिट छाप लेकर लौटते हैं। इस क्षेत्र की महिमा का वर्णन वेद एवं पुराणों में भरा पड़ा है। जो निराला है, इसी निरोलपन में सर्मइा हुई है एक असीम आत्मिक अनुभूमि पौराणिक ऐतिहासिक महत्व वाला यह तीर्थस्थल अनेकों किवदंतियों को भी अपने आप में समेटे हुए है। पुराणों में इस स्थान व इसके आसपास के क्षेत्रों का बड़ा ही सुंदर वर्णन मिलता है। गर्ग ऋषि की तपस्थली गंर्गाचल की महत्ता में चित्रशीला का वर्णन आता है।
‘‘तत्र चित्रशिला दृष्ट्वाऽऽरुरुहुः पर्वतोत्तमम्’’
श्री योगी ने कहा रानीबाग के उत्तरी छोर में स्थित गर्गाचल की महिमा के सार में ही चित्रशीला की महिमा समाई हुई है। कहा जाता है कि सनातन धर्म के प्रहरी ऋषि गर्ग ने इस क्षेत्र में भगवान शंकर की घोर तपस्या करके उन्हे प्रकट व प्रसन्न किया रामगढ़ मार्ग पर गागर के समीप स्थित शिवालय भगवान शिव की ओर से गर्ग ऋष्ज्ञि की तपस्या के प्रताप फलस्वरूप देवभूमि के लिए अलौकिक भेंट कहीं जाती है। चित्रक, सत्यसेन, तपस्वी र्गार्य एवं सत्यव्रती सिद्वगण सहित गौरी, पद्मा, शची, मेघा, सावित्री, विजया, जया तुष्टि आदि मातृकाओं की यह वास-भूमि कही गई है। उन्होनें कहा चित्रशिला व उसके आसपास के तमाम पर्वतों से निकलने वाली नदियों को पुराणों में भांति-भांति नाम से पुकारा जाता है। जिनके नाम क्रमशः कान्ता, वेणुभद्र, सुवाहा, देवहा, भद्र, भद्रवती, सुभद्रा, कालभद्रा, काकभद्रा, पुष्पभ्रदा, मानसी, मानसा आदि है।

उल्लेखनीय है कि स्कद पुराण के मानसखण्ड के 42-43वें अध्याय में ‘‘भद्रवट-महात्म्य’’ के अन्तर्गत चित्रशिला के पूजन का वर्णन व विधि मिलती है। और भागवत में भी ‘‘पुष्पभद्रा’’ यत्र नदी चित्राख्या’’ च शिला विभो’’ से इस तीर्थ की महिमा पर प्रकाश डाला गया है। महर्षि वेद व्यास जी ने इस पावन तीर्थ का बखान करते हुए कहा है। सब तीर्थों की यात्रा एवं सब प्रकार के दानों को करने से भी अधिक पुण्य इस तीर्थ से मिलता है।
पापों के विनाशक इस तीर्थराज क्षेत्र को ‘‘भद्रवट’’ नामक क्षेत्र कहते हैं।

Ad
Ad Ad Ad Ad
Ad