Category: फीचर्स

कितना लाएगा रंग, ठाकरे बंधुओं का संग

(मुकेश “कबीर”-विनायक फीचर्स) मुंबई में हुई ठाकरे बंधुओं की सभा की चर्चा पूरे देश में है, भावनात्मक तौर पर यह सभा भले ही सफल रही हो लेकिन राजनीतिक नजरिए से….

भारतीय संस्कृति का अनुपम एवं दिव्य उत्सव गुरुपूर्णिमा

  (विजय कुमार शर्मा-विनायक फीचर्स) गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक दिव्य उत्सव है, जो श्रद्धा, समर्पण और ज्ञान के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। यह दिन केवल एक पर्व….

दृष्टिकोण :पहचान पत्रों की अनिवार्यता क्यों

(डॉ. सुधाकर आशावादी-विनायक फीचर्स) देश में पहचान पत्रों की अनिवार्यता क्यों है ? सटीक पहचान के लिए आधार कार्ड पर करोड़ों रुपया क्यों बर्बाद किया जा रहा है, जब उनके….

सत्ता को सदैव असहज करता है सच्चा व्यंग्य*

  (विवेक रंजन श्रीवास्तव -विनायक फीचर्स) व्यंग्य साहित्य और कला की वह धार है जो समाज की कुरीतियों, अत्याचारों और विसंगतियों को लक्ष्य करती है। परंतु जब यही तीखापन सत्ता,….

दृष्टिकोण : भाषा और जातीय सोच का कुरूप चेहरा

  मराठी मानुष के नाम पर हिंदी भाषा भाषियों के साथ अभद्रता, उत्तर प्रदेश में जाति के नाम पर घृणा और द्वेष उत्पन्न करने का निकृष्ट खेल यही जताने में….

वास्तविकता के दाग-धब्बों को छिपाने का माध्यम बना सोशल मीडिया

  अजब दौर है , हर कोई अपनी ‘वाल’ या ‘स्टेटस’ पर ऐसी चमकती-दमकती बौद्धिकता और आदर्शवाद का प्रदर्शन करता है, मानो गांधी, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा का संयुक्त….

चातुर्मास में भगवान विष्णु एवं महादेव शिव की उपासना

  चातुर्मास यानि आषाढ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक का समय सब पापों का नाश करने वाला है। स्कंद‌पुराण में कहा गया है कि इस अवधि….

दृष्टिकोण : अनुचित है जातीय वैमनस्य को बढ़ावा देने का कृत्य

(डॉ. सुधाकर आशावादी-विभूति फीचर्स) गतिशील समाज में शांति और सौहार्द से जीवन यापन कुछ अराजक शक्तियों को नही सुहाता, सो अराजक तत्व नित नए मुद्दे ढूँढकर समाज की शांति भंग….

व्यंग्य : अब मांगलिक नहीं दांगलिक योग देखकर करें शादी

  बड़ा लोचा है आजकल,बहुत खबरें मिल रही हैं कि पत्नियां अब पतियों को निपटाने में लगी हैं, पति पहले ही बेचारा अधमरा था अब तो पूर्णमरा होने लगा,कोई शादी….

महर्षि वेद व्यास से एआई तक :गुरु की आवश्यकता अपरिवर्तनीय

    महर्षि वेद व्यास ने महाभारत, पुराणों और भारतीय ज्ञान-परंपरा को संरचित किया, वे गुरु परंपरा के मूल प्रतीक हैं। उनकी भूमिका मात्र ज्ञान देने की नहीं, बल्कि धर्म,….