हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में चलती है माँ बगलामुखी की 5 दिवसीय दुर्लभ डोली यात्रा

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उत्तराखण्ड़ की धरती पर कांकड़ा मयेली मध्य हिमालय माँ जगदी मैत जात्रा माँ बंगला मुखी को समर्पित है प्रति वर्ष चलनें वाली पाँच दिवसीय यह जात्रा अपनें आप में अदितीय व अलौकिक है लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में इस जात्रा का जिक्र गुमनामी के साये में गुम है हिमालय की यह विराट दुर्लभ तीर्थ यात्रा युगों- युगों से आस्था व भक्ति का अलौकिक संगम है

जनपद टिहरी गढ़वाल के भिलंग पट्टी के घुत्तू बुंगली धार के माँ बंगलामुखी मंदिर से चलने वाली यह जात्रा बीते वर्ष आध्यात्मिक जगत में एक यादगार यात्रा रही इस यात्रा के प्रमुख यात्री श्री रामकृष्ण शरण जी महाराज ने बताया कि यह जात्रा इतनी आनन्द भरी होती है कि इसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है इस जात्रा के पाँच पड़ावों में पहला पड़ाव पवांली काठा दूसरा पड़ाव राजखरक ताली बुग्याल दिवालांच चौकी बुग्याल होते हुए विश्राम लुहारा में होता है इस स्थान पर प्राचीन काल से माता की पूजा अर्चना होती है तीसरे दिन माता रानी की यात्रा यहाँ से आगे बढ़कर डोली के साथ मैत कागड़ा मयेली पहुंचते है जहां पर रात भर माता रानी की पूजा अर्चना हवन यज्ञ रात्रि जागरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं चतुर्थ दिवस पुनः माँ के मंदिर के विग्रह के दर्शन व पूजन के बाद माता रानी की डोली से आशीष लेकर जात्रा से वापसी कर पंवाली काठा में रात्रि विश्राम करते है और पंचम दिवस को यह यात्रा वापिस माँ बगलामुखी क्षेत्र बगला धार पहुंचती है जहाँ रात भर भजन कीर्तन से यहां का वातावरण बड़ा ही अद्भुत मनोरम रहता है इस तरह से पंच दिवसीय यात्रा माँ बगलामुखी को समर्पित है उन्होंने बताया कि हिमालय क्षेत्र में माँ अनेक रूपों में पूजित है इन्हीं तमाम रूपों में 10 महाविद्याओं का एक स्वरूप माँ बगलामुखी है जिनकी अद्भुत यात्रा हिमालय में बड़े ही श्रद्धा व विश्वास के साथ आयोजित होती है

यात्रा पथ के ये तमाम पड़ाव यहाँ गढ़वाल हिमालय के उच्च ऊंचाई वाले घास के सुन्दर मैदान (बुग्याल) हैं, जिनमे विभिन्न प्रकार के आकर्षक फूल, जड़ी बूटी बहुतायत मात्रा में पाई जाती हैं
जात्रा के दौरान यहाँ से हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दर्शनों के साथ-साथ यमुनोत्री-गंगोत्री-केदारनाथ-बदरीनाथ पर्वत शिखरों के दर्शन भी होते हैं | हिमपात के समय बर्फ से ढकी थलय सागर, मेरु, कीर्ति स्तम्भ, चोखंभा, नीलकंठ आदि पहाड़ियों के मनोरम दृश्यों को इन यात्रा पथों से देखा जा सकता है |माँ बंगलामुखी को समर्पित यह जात्रा हिमालय की सबसे कठिन ट्रेक, के रूप में प्रसिद्ध है
उल्लेखनीय है कि हिमालय का सबसे दुर्लभ व सुन्दर तीर्थ बंगला क्षेंत्र की महिमां अपरम्पार है तीन सिर वाली देवी का वास है यहां देवभूमि उत्तराखण्ड की धरती पर स्थित बगलाक्षेत्र युगों-युगों से परम पूज्यनीय है दस महाविद्याओं में से एक माँ बंगलामुखी का भूभाग पवित्र पहाड़ों की गोद में स्थित एक ऐसा मनोहारी स्थल है जहाँ पहुंचकर आत्मा दिव्य लोक का अनुभव करती है भारतभूमि में माँ के अनेकों प्राचीन स्थल है इन तमाम स्थलों में हिमालय के आँचल में स्थित माँ बंगलामुखी क्षेत्र का महत्व सर्वाधिक है

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