लालकुआँ। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री और ‘भारत की लौह महिला’ के नाम से विख्यात श्रीमती इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती पर आज अवंतिका मंदिर परिसर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया।
स्थानीय कांग्रेसी जनों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी और राष्ट्र निर्माण में उनके ऐतिहासिक योगदान को याद किया।
इंदिरा गांधी : अदम्य साहस और निर्णायक नेतृत्व का प्रतीक
श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहा कि—
इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 और पुनः 1980 से 1984 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कठिन परिस्थितियों में भी देश को सशक्त नेतृत्व प्रदान किया।
उनकी नीतियों, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना ने उन्हें विश्व राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाया।
गरीबी हटाओ अभियान, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, अंतरिक्ष और परमाणु कार्यक्रमों को गति देने जैसे अनेक ऐतिहासिक कदम उनके कार्यकाल की पहचान रहे।
अवंतिका मंदिर परिसर में भावपूर्ण श्रद्धांजलि
कार्यक्रम में उपस्थित कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ जनों ने दीप प्रज्ज्वलन किया और दो मिनट का मौन रखकर इंदिरा गांधी को नमन किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से—
• पूर्व चेयरमैन राम बाबू मिश्रा
• मंदिर समिति अध्यक्ष पूरन सिंह रजवार
• महामंत्री भुवन पाण्डे
• वरिष्ठ कांग्रेसी खीमानन्द दुम्का
• समाजसेवी सुरेश बिष्ट
• पूर्व सभासद हरीश जोशी
सहित अनेक स्थानीय कार्यकर्ता एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे।
सभी ने कहा कि इंदिरा गांधी का जीवन भारतीय राजनीति में महिलाओं की शक्ति, नेतृत्व क्षमता और संघर्ष का सर्वोत्तम उदाहरण है। उनके विचार आज भी युवाओं को समाज और राष्ट्र के लिए समर्पित रहने की प्रेरणा देते हैं।
कार्यक्रम का संदेश
कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं ने संकल्प लिया कि—
देश की एकता, प्रगति और सामाजिक समरसता के लिए इंदिरा गांधी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
समापन
अवंतिका मंदिर परिसर में आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा केवल स्मरण भर नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका और नेतृत्व के प्रति सम्मान का प्रतीक भी बनी।
भारत की लौह महिला इंदिरा गांधी को शत–शत नमन।
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