+ यज्ञाचार्य डॉ० भुवन चन्द्र त्रिपाठी के आचार्यत्व में यजमान योगेश पन्त तथा छोटे भाई धीरज पन्त ने बड़े ही भक्ति-भाव से पूर्ण किया महारुद्र यज्ञ का पावन संकल्प
+ यज्ञाधीश स्वामी डॉ० मोहन रामानुजाचार्य के दिव्य मार्गदर्शन में ग्यारह विद्वान ब्राह्मणों ने सफल बनाया सनातन का यह दुर्लभ आयोजन
+ महन्त सर्वेश्वर गिरि महाराज के लगातार सानिध्य में सफल दिव्य आयोजन से अभिभूत हो उठा पन्त परिवार, माता श्रीमती जानकी पन्त ने महायज्ञ में शामिल सभी महानुभावों का हृदय से किया आभार व्यक्त
वैशाली ( गाजियाबाद ), जनपद के बैशाली स्थित सैक्टर चार में सम्पूर्ण शास्त्रीय एवं वैदिक विधि – विधान से आयोजित छह दिवसीय श्री महारुद्र यज्ञ अनुष्ठान आज पवित्र हवन-पूजन व पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न हो गया।
उत्तराखण्ड के प्रकाण्ड विद्वान एवं संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ0 भुवन चन्द्र त्रिपाठी के अलौकिक आचार्यत्व में इस दुर्लभ महारुद्र यज्ञ अनुष्ठान के यजमान श्री योगेश पन्त, उनकी धर्म पत्नी श्रीमती ज्योति पन्त, श्री धीरज पन्त व उनकी धर्म पत्नी श्रीमती हिमानी पन्त ने एकनिष्ठ होकर सम्पूर्ण श्रृद्धा व भक्ति-भाव से यह दिव्य अनुष्ठान सम्पन्न कराया ।
इस तरह बैशाली सैक्टर चार स्थित अपने आवास पर इस महायज्ञ अनुष्ठान का पावन संकल्प आज पूरा किया और स्वयम् को धन्य मानते हुए इस अवसर पर श्री योगेश पन्त ने समस्त कुटुम्ब जनों के साथ भगवान महारुद्र की कृपा के लिए समर्पण भाव प्रकट किया।
श्री योगेश पन्त ने अत्यधिक भावुक होकर कहा कि उनकी पूज्य माता जी श्रीमती जानकी पन्त एवं नित्य स्मरणीय पिता स्व० पूरन चन्द्र पन्त के आत्मिक स्नेह व आशीर्वाद से ही आज वह अपने अनुज धीरज पन्त के साथ इस दुर्लभ महायज्ञ को सम्पन्न कराने का सौभाग्य प्राप्त कर सके । उन्होंने कहा कि पितृ जनों एवं गुरुजनों के आशीर्वाद से यह महायज बड़े ही सुन्दर व दिव्य वातावरण में सम्पन्न हुआ, इसके लिए वह और उनका परिवार सदैव अपने गुरुजनों व पितृजनों के प्रति कृतज्ञ रहेगा।
श्री पन्त ने यज्ञ के आचार्य डॉ० भुवन चन्द्र त्रिपाठी के साथ ही यज्ञ के यज्ञाधीश स्वामी डॉ० मोहन रामानुजाचार्य एवं समस्त विद्वान ब्राहमण देवताओं के प्रति पूरे परिवार की ओर से आभार एवं कृतज्ञ भाव व्यक्त किया।
बताते चलें कि इस अदभुत एवं परम दिव्य महारुद्र यज्ञ का शुभारम्भ बीते 22 फरवरी को स्वामी डॉ० मोहन रामानुजाचार्य के दिव्य मार्गदर्शन में हुआ । इस अवधि में उन्होंने महायज्ञ के यज्ञाधीश के रूप में अपनी शानदार भूमिका निभा कर अपने दिव्य प्रबन्ध कौशल , विद्वता एवं समर्पण का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया । स्वामी डॉ० मोहन रामानुजाचार्य के ही सुन्दर मार्गदर्शन एवं दिशा-निर्देशन में ग्यारह विद्वान ब्राह्मणों ने सम्पूर्ण विधि-विधान के साथ सनातन के इस महान किन्तु दुर्लभ महायज्ञ को आज 27 फरवरी को हवन – पूजन, यज्ञादि एवं पूर्णाहुति के साथ सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया।
पन्त परिवार की ओर से सम्पन्न किये गये इस महारुद्र यज्ञ के भव्य- दिव्य अनुष्ठान अवधि में नित्य पूजन-अर्चन, मन्त्रोचार, हवन यज्ञादि के चलते आस-पास बिखरा भक्तिमय वातावरण जहाँ समूचे क्षेत्र में आकर्षण का विषय रहा वहीं इस महायज्ञ में उपस्थित निरंजनी अखाड़े के तपस्वी महंत सर्वेश्वर गिरि महाराज पूरे यज्ञ के दौरान भक्तों के लिए आकर्षण के केन्द्र में रहे । श्री महाराज महारुद्र यज्ञ के शुभारम्भ यानी 22 फरवरी से पूर्णाहूति तक सम्पूर्ण कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते रहे। अत्यधिक व्यस्तता के बावजूद महंत सर्वेश्वर गिरि महाराज लगातार भक्तों को आशीर्वाद देते हुए महायज्ञ का आनन्द उठाते रहे ।
इस महायज्ञ में ग्यारह विद्वान ब्राह्मणों के अलावा यज्ञाचार्य डॉ० भुवन चन्द्र त्रिपाठी व यज्ञाधीश स्वामी डॉ० मोहन रामानुजाचार्य जी की भूमिका सर्वप्रमुख रही, जिन्होंने सम्पूर्ण मनोयोग से महायज्ञ सम्पन्न कराया।
यहां यह भी बताते चलें कि योगेश पन्त व धीरज पन्त के पिता स्व० श्री पूरन चन्द्र पन्त भद्रकाली माता के समर्पित उपासक रहे, जबकि माता जी श्रीमती जानकी पन्त एक धर्म पारायण सात्विक व सरल प्रकृति की भारतीय नारी हैं और समूचे परिवार की महान प्रेरणा है।
महायज्ञ में उपस्थित ब्राहमण देवताओं में सर्वश्री चन्द्र बल्लभ बेलवाल, ब्रह्माचार्य मोहन चन्द्र त्रिपाठी, महेश चन्द्र तिवारी, हरीश परगाई, जगदीश कोठारी, सुरेश पाण्डे, नन्दन परगाई, गणेश पन्त सम्मिलित थे।
उपस्थित लोगों में लक्ष्मी दत्त जोशी, चन्द्र प्रकाश जोशी, गिरजा उप्रेती, सुरेश चन्द्र उप्रेती, अखिल विश्व मॉ नर्मदा परिक्रमा सेवा संघ की राष्ट्रीय सह संयोजिका ज्योति यादव उपस्थित रही।
महायज की पूर्णाहुति के पश्चात विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया, जिसमें पन्त परिवार के मित्रों, परिजनों तथा मिलने जुलने वाले लोगों ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया ।
मदन सिह जलाल मधुकर



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