दिल्ली में 24-26 फरवरी को होगा ऐक्टू का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन

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21 फरवरी
हल्द्वानी

• दिल्ली में 24-26 फरवरी को होगा ऐक्टू का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन
• राष्ट्रीय सम्मेलन में नैनीताल जिले से भी शामिल होंगी ऐक्टू से जुड़ी ट्रेड यूनियंस
• ‘आम जनता हो बदहाल, पूंजीपति बनें मालामाल’ की नीति पर चल रही मोदी सरकार : डा कैलाश पाण्डेय

ट्रेड यूनियन ऐक्टू का 3 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 24–26 फरवरी को दिल्ली में होने जा रहा है। जिसमें देश भर से ऐक्टू से जुड़ी सैकड़ों मजदूर यूनियन के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में देश भर में मजदूर वर्ग पर हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी। सम्मेलन में मोदी सरकार द्वारा लाए गए 4 श्रम कोड वापस लेने, न्यूनतम मजदूरी 30 हजार करने, महंगाई पर रोक लगाने, आशा – आंगनबाड़ी – भोजनमाता व अन्य स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, मजदूरों के लिए बेहतर शिक्षा – स्वास्थ्य – आवास व्यवस्था, सिडकुल में शोषण पर रोक लगाने, ठेकप्रथा खत्म करने, निर्माण मजदूरों को रोजगार व सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करने व तमाम असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए कल्याण बोर्ड का निर्माण करने सहित तमाम मांगे उठाई जाएंगी। ऐक्टू के राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत 24 फरवरी को तालकटोरा स्टेडियम, दिल्ली में आयोजित होने वाले ओपन सत्र से होगी। जिसमें जिले से भी बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स एवं अन्य ट्रेड यूनियंस के कार्यकर्ता भागीदारी करेंगे।

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यह जानकारी देते हुए ऐक्टू राष्ट्रीय परिषद के सदस्य डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार देश के संसाधनों को पूंजीपतियों को बेचने पर आमादा है। इसी क्रम में बिजली स्मार्ट मीटर के नाम पर बिजली विभाग को भी अडानी को देकर मजदूर वर्ग और आम जनता की जेब पर डाका डालने का काम सरकार कर रही है, साथ ही यह कदम बिजली विभाग में रोजगार कर रहे लोगों को बेरोज़गारी की ओर धकेलने का भी काम करेगा। मोदी सरकार कुल मिलाकर देश की आम जनता हो बदहाल, पूंजीपति बनें मालामाल की नीति पर काम कर रही है।”

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