लालकुआँ // विशेष संवाददाता
भक्तों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए दिया संदेश— “कामना रहित कर्म ही ईश्वर की सच्ची आराधना है”
लालकुआँ स्थित माँ अवंतिका कुंज मंदिर में बीते दिनों आध्यात्मिक वातावरण से सराबोर रहा। अवसर था भारत भ्रमण पर निकले निरंजनी अखाड़ा के तेजस्वी संत चेतन गिरी महाराज के दो दिवसीय पावन प्रवास का। और मंदिर परिसर में नव निर्मित भवन के लोकार्पण का उनकी दिव्य वेश-भूषा, रुद्राक्ष सज्जा और सौम्य व्यक्तित्व ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें दिनभर लगी रहीं।
प्रवास के दौरान महाराज ने भक्तों की जिज्ञासाओं का अत्यंत सहज और सरल भाषा में समाधान करते हुए कहा—
“कामना रहित कर्म ही ईश्वर की सच्ची आराधना है। यदि हम अपने सभी कर्म ईश्वर को समर्पित करने लगें, तो जीवन के बंधन अपने आप टूट जाते हैं और आत्मा मुक्त होकर प्रकाश की ओर अग्रसर होती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य को हर पल ईश्वर के नाम का स्मरण करते रहना चाहिए। उनके शब्दों में—
“ईश्वर का नाम ही वह शक्ति है जो जीवन में संतुलन, शांति और समाधान का मार्ग दिखाती है। स्मरण की निरंतरता व्यक्ति को भीतर से दिव्यता से जोड़ देती है।”
दो दिवसीय प्रवास के दौरान उन्होंने मंदिर परिसर में उपस्थित भक्तों को आशीर्वाद दिया और धर्म, सेवा तथा समर्पण की महत्ता पर प्रकाश डाला।
अपने प्रवास के समापन के उपरांत चेतन गिरी महाराज ने नंगे पाँव अपनी पवित्र पैदल यात्रा पशुपतिनाथ (नेपाल) की ओर आरंभ की। उनके इस तप-मार्ग को देखने के लिए सैकड़ों भक्त मंदिर परिसर में एकत्र हुए। महाराज को विदा करते समय “हर-हर महादेव” और “जय माँ अवंतिका” के जयघोष गूँजते रहे।
मंदिर समिति के अध्यक्ष पूरन सिंह रजवार, महामंत्री भुवन पांडे और अन्य पदाधिकारियों ने महाराज के आगमन को मंदिर परिवार के लिए सौभाग्य बताते हुए उन्हें शुभकामनाओं सहित विदाई दी।
माँ अवंतिका धाम में चेतन गिरी महाराज का यह प्रवास भक्तों के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा।
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