सर्वशक्तिमान मोबाइल

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जब से लैंड लाइन फोन चलन से बाहर हुआ है और मोबाइल जीवन का प्रमुख अंग बन गया है तब से इस चलित बेतार यंत्र ने मानव जीवन में ऐसा अद्भुत परिवर्तन कर दिया है कि वह पूरी तरह शक्तिमान में परिवर्तित हो गया है। शक्तिमान सीरियल अपने देखा होगा? नहीं देखा तो मैं उसके बारे में संक्षेप में जानकारी दे देता हूं कि शक्तिमान एक सुपर हीरो जैसा ही होता है, जो अपने वैदिक मंत्रों को पढ़ कर इतना शक्तिशाली हो जाता है कि उसकी दृष्टि में कोई भी काम कठिन नहीं रह जाता। वह हर भले आदमी और बच्चों की मुसीबत पड़ने पर सहायता करता है तथा बुरी शक्तियों से उनको बचाता है। वह आसमान में उड़ता है और चक्रवात की भांति वापस आसमान में चला जाता है।
आजकल स्मार्ट मोबाइल फोन भी उसी शक्तिमान की भांति सबकी मदद कर रहा है । विज्ञान के इस चमत्कारिक आविष्कार ने इंसान का जीवन आसान कर दिया है। दुनिया पूरी तरह मुट्ठी में आ गई है। इंटरनेट ने इस विशाल दुनिया को छोटे से गांव में परिवर्तित कर दिया है। जो चुटकियों में हजारों मील दूर कहीं यूरोपीय या अमेरिकी देश में बैठे हमारे अपनों से वीडियो कॉल के माध्यम से आमने- सामने बैठ कर बात करवा देता है। एक दूसरे को भौतिक रूप से आसानी से देखा जा सकता है। इसी प्रकार इंटरनेट के माध्यम से हम बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के आसानी से मनचाही वस्तु घर बैठे मंगवा सकते हैं,सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि यदि आपको यह ज्ञात होता है कि जो वस्तु आपको दिखाई गई थी वह भेजी गई वस्तु से गुणवत्ता में कमजोर है तो उसको वापस भी किया जा सकता है, और आपके द्वारा भुगतान की गई राशि वापस मिल जाती है। है ना आश्चर्य की बात?
अब आपको इस स्मार्ट मोबाइल फोन ने अपने अस्तित्व में आने के बाद किन -किन वस्तुओं को अपने उदर में डाला लिया है , उसके बारे में बताता हूं। सर्वप्रथम तो इसने हमारी कलाई घड़ी को निगल लिया। यह उस समय की बात है जब साधारण प्रारंभिक मोबाइल चलन में आया इसके बाद यह हमारे घर में रखी टॉर्च जो अंधेरे में हमारी मदद करती थी उसको खा गया । उसके बाद हमारे रेडियो को खा गया,टेप रिकॉर्डर को खा गया,अलार्म घड़ी निगल गया,स्क्रीन बड़ी हुई तो फिल्में तक निगल गया । हमारी सबसे अच्छी दोस्त पुस्तकें हुआ करती थी उनको खा गया। परिवार का आपसी प्यार ,मुहब्बत भाई- चारा लेन -देन ,आपसी तकरार , चिट्ठी- पत्री, पत्र -पत्रिका, अखबार ,कलाकार, सब खा चुका है। अस्पताल में भर्ती किसी करीबी से मिलने जाते हैं तो लोग हैलो हाय करने के बाद अपने -अपने मोबाइल निकाल कर बैठ जाते हैं और या तो रील देखने लगते हैं ,गेम खेलने लगते हैं या सेल्फी खींचने लगते हैं । आदमी का आदमी से केवल आभासी रिश्ता या दोस्ती रह गई है।
इसके साथ ही इस मोबाइल के कुछ और भी गंभीर साइड इफेक्ट या यूं कहे हानियां भी हुई हैं ।
जब से दुनिया में मोबाइल क्रांति आई है हर आदमी मोबाइल युक्त हो गया है चाहे वह पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ । पुरुष हो या महिला इवन जबसे स्मार्ट फोन एंड्रॉयड और आई फोन का आगमन हुआ, इंटरनेट के साथ। तब से तो नन्हे नन्हे बच्चे भी टच स्क्रीन की गिरफ्त में आ गए हैं। प्रारंभिक काल में तो माताएं जब बच्चे रोने लगते थे तो उन्हें चुप कराने बहलाने के लिए कुछ फोटो , कुछ कार्टून दिखाती, इसके बाद यह मोबाइल इन्हें पकड़ा कर अपने काम में लग जाती उन्हें इस बात का कतई अंदाजा नहीं था कि यह साधारण सा नुस्खा कितना भारी पड़ने वाला साबित होगा।आज दो साल का बच्चा भी इन टच स्क्रिन्स के इंस्ट्रूमेंट्स को इतनी तेज गति से चलाता है कि सब अचंभित हो रहे हैं । जो फंक्शन बड़ों को नहीं आते वे यह बच्चे बड़ी ही आसानी से खोल लेते हैं और बंद कर देते हैं। ऐप्स को डाउनलोड करना इनके बांए हाथ का खेल बन गया है। कई बार तो मैं किसी एप को बंद करने की तकनीक नहीं जान पाता तो अपनी पोती से पूछना पड़ता है और वह कहती है अरे दादू आपको इतना भी नहीं आता और वह करके बता देती है। मुझे तो तब और हैरानी हुई जब देखा कि उसने हजारों की संख्या में मोबाइल पर रील्स बना कर इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपलोड कर रखी है । उसकी दादी भी उससे सारे फंक्शन सीखती रहती है। युवा वर्ग भी इसकी गिरफ्त में इस कदर आ चुके हैं कि वे जहां भी बैठे हों घर में,बस में,ट्रेन में,बाइक पर या कार चला रहे हों मोबाइल कान पर लगा रहता है।कई बार ट्रैन में यात्रा करने के दौरान देखने में आता है कि कुछ युवक/युवतियां घंटों तक मोबाइल पर बातें करते रहते हैं तो विचार आता है कि आखिर घंटों तक कोई व्यक्ति किसी से कैसे और क्या बातें कर सकता है?एक बार मैं ट्रैन से जा रहा था थर्ड ए सी में मेरी बर्थ के ठीक ऊपर एक युवती यात्रा कर रही थी,आप विश्वास करें या न करें सुबह के तीन बजे तक वह मोबाइल पर बतियाती रही जिससे मेरी नींद भी प्रभावित हो रही थी मैंने निवेदन किया तब उसने बातें बंद की।
जियो जैसी कंपनी ने मोबाइल का रिचार्ज प्रारंभिक समय में अत्यधिक सस्ता दिया और हर व्यक्ति को इसकी ऐसी लत लगा दी है कि आज वह कंपनी सबसे महंगा रिचार्ज दे रही है और हम खरीद रहे हैं क्योंकि एक अज्ञात नशे की लत लग चुकी है हम सबको । फेसबुक हो या इंस्टाग्राम या व्हाट्स एप इनके बिना हम प्राणहीन होने लगे हैं। रील बनाना और देखना हमारी अतिरिक्त खुराक बन चुकी है। जी हां जिसके बिना हम अपने आपको गंवार समझने लगे हैं । स्क्रीन को देख कर जोर -जोर से हंसना हमारे समझदार होने की भले हम निशानी समझते हों, मगर किसी पागल से कम नहीं लगते हम । कभी अपना मोबाइल बंद करके किसी दूसरे व्यक्ति को ऐसे रील देखते हुए आप देखिएगा,आपको मेरी बात पर पक्का यकीन हो जाएगा।क्या आपको यह पता है कि इन रील बनाने वालों को लाखों रुपए मिलते हैं। जी हां आप जितनी बार और जितनी देर, इनको चलाते हैं, उससे आपका नेट का डेटा उड़ता है और एप वाले इनकी जितनी बार रील चलती है ,उस हिसाब से उन्हें रुपयों तथा डॉलर्स में भुगतान करती है । तो अब आप भी अगली बार अपनी अच्छी रील बनाएं और पोस्ट करें न कि आप दूसरों की रील देख कर उन्हें मालामाल करें ।मोबाइल का असली मजा तो तब ही आएगा।

 

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(पंकज शर्मा’तरुण-विनायक फीचर्स)

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