(मनोज कुमार अग्रवाल -विनायक फीचर्स)
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह पहले से ही तय माना जा रहा था कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति के रूप में वापसी से न सिर्फ अमेरिका के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आयेगा, बल्कि उनकी नीतियों का प्रभाव वैश्विक स्तर पर पड़ेगा, जिससे भारत भी अछूता नहीं रहने वाला है। सत्ता संभालने के साथ ही ट्रंप ने अपने देश में रह रहे अवैध प्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर अमेरिकी सैन्य विमान भारत आया है। ट्रंप प्रशासन की ओर से पदभार संभालने के बाद देश के प्रवासियों पर यह पहली कार्रवाई है। अमेरिका में अवैध रुप से प्रवेश करने वाले 104 लोग भारत पहुंचे है।
अमेरिका से निर्वासित लोगों में 25 महिलाएं और 12 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें से सबसे कम उम्र का बच्चा केवल 4 वर्ष का है जो गुजरात से है। इनमें पंजाब के 30, हरियाणा के 33, चंडीगढ़ के 2, गुजरात के 33, उत्तर प्रदेश के 3 व महाराष्ट्र के 3 लोग शामिल हैं। इनमें 48 लोग ऐसे हैं, जिनकी उम्र 25 वर्ष से कम है। अमेरिका से अवैध प्रवासियों की वापसी से भारत की चिंताएं बढ़ना स्वभाविक है, क्योंकि वहां काफी संख्या में अवैध तरीके से भारतीय प्रवासी रह रहे हैं। हालांकि इसमें भारत के लिए कुछ करने को ज्यादा नहीं है, क्योंकि अवैध रूप से प्रवेश करने वालों का समर्थन नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कर दिया है कि भारत, भारतीय नागरिकों को वैध तरीके से वापस लेने को तैयार है।
इस मामले को लेकर संसद में भी हंगामा हुआ। अपमान भरे ढंग से भारतीयों को देश भेजे जाने पर कड़ी आपत्ति होना स्वाभाविक है। यह भी कि चाहे भारत ने यह मान लिया था कि वह सूची में दर्ज 18,000 देशवासियों को वापस लेने के लिए तैयार है, जो गैर-कानूनी ढंग से अमरीका में दाखिल हुए थे, परन्तु ट्रम्प प्रशासन की ओर से उन्हें बेइज्जत करके निकालने से देश का अपमान हुआ है। इस संबंध में विदेश मंत्री जय शंकर ने इतना ज़रूर कहा है कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि अमरीका से निकाले जाने वाले भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार न हो।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि बिना दस्तावेज़ों के अमरीका में रह रहे भारतीयों का वहां से बेदखली का मामला नया नहीं है, यह सिलसिला पिछले वर्षों में भी चलता रहा है। वर्ष 2009-2010 तथा 2011 में वहां रह रहे हज़ारों भारतीयों को यहां भेजा गया था परन्तु जो तौर तरीका इस बार अपनाया गया है, वह बेहद आपत्तिजनक है। अमरीका में दशकों से लगभग 50 लाख भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं। ऐसे समाचार सामने आने से उनके सम्मान को भी ठेस लगना स्वाभाविक है। विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस मामले पर इसलिए निशाने पर लिया है क्योंकि वह डोनाल्ड ट्रम्प की पहली पारी में और अभी भी उनके साथ दोस्ती का दम भरते रहे हैं। आगामी दिनों में वह अमरीका का दौरा कर रहे हैं। उससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प इन भारतीयों को इस शर्मनाक तरीके से निकालने से क्या सन्देश दे रहे हैं, यह देश के स्वाभिमान को चोट पहुंचाने वाली बात है। यह भी प्रश्न उठता है कि भारत ने ग्वाटेमाला की भांति अमरीकी सैन्य विमान पर 40 घंटे बंदी बना कर बिठाए गए भारतीयों को इस तरह लाने की इजाजत क्यों दी? एक गैर-कानूनी व्यक्ति को निकालने पर अमरीका की सरकार का भारी खर्च ज़रूर होता है परन्तु भारत सरकार को ऐसे ढंग के प्रति सचेत होने की ज़रूरत थी। अमरीका ने अब 15 लाख विदेशियों की सूची तैयार की है, जिसमें से अभी उसने 18 हज़ार भारतीय ही गिनाए हैं, परन्तु पुष्टि किए गए समाचारों के अनुसार इस समय लगभग सवा सात लाख भारतीय हैं, जो बिना कागजात के गैर-कानूनी ढंग से अमेरिका में रह रहे हैं, जो ‘डंकी रूट’ द्वारा वहां पहुंचे थे। यहां ही बस नहीं, कनाडा, यूरोप और एशिया के अन्य देशों के कई भागों में भी लाखों भारतीय गैर-कानूनी ढंग से दाखिल हो कर रह रहे हैं। अक्तूबर 2024 में भी ऐसे भारतीयों को वापिस भेजा गया था, जिसके लिए बाइडेन प्रशासन ने चार्टर विमान का इस्तेमाल किया था। एक अनुमान के अनुसार अमरीका में तो विभिन्न देशों से लगभग एक करोड़ प्रवासी गैर-कानूनी ढंग से दाखिल हुए हैं, जिन पर ट्रम्प द्वारा अपनाई गई कड़ी नीति के कारण तलवार लटकनी शुरू हो गई है।
पिछले वर्षों से हर साल अनुमानित 90 हज़ार से अधिक भारतीय अमरीका में गैर-कानूनी ढंग से दाखिल होते हैं तथा उनमें से ज्यादातर पकड़े भी जाते हैं, जिन्हें वहां की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बुरी तरह अपमानित किया जाता रहा है। माना जाता है कि ज्यादातर वही लोग देश से बाहर निकलना चाहते हैं, जो अधिक महत्वाकांक्षी हैं, जिन्हें विदेश में बेहतर भविष्य दिखाई देता है। उनकी ऐसी मनोस्थिति का एजेंट अधिक से अधिक लाभ उठाने का यत्न करते हैं। वे युवाओं को झूठे प्रलोभन में फंसा कर किसी भी तरीके से उन्हें विदेशों में भेजते हैं, वहां उन्हें भटकने के लिए विवश करते हैं। कई वहां पर सफल भी हो जाते हैं, परन्तु ज्यादातर अनिश्चित जीवन जीने के लिए विवश हो जाते हैं। अमरीका के सैन्य विमान में लाए गए देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों की दास्तान बेहद दुःख भरी है। ज्यादातर अपने परिवार के सीमित साधन होने के बावजूद किसी न किसी तरह बड़ी राशि खर्च करके विदेशों में जाते हैं। इसलिए कि वे वहां किसी तरह अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें।
दरअसल, भारत में आज भी अमेरिका में जाकर नौकरी करने का जबरदस्त क्रेज है और इसके चक्कर में तमाम लोग गिरोहों के जरिए वहां अवैध रूप से पहुंचाए जा रहे हैं। यह बात अलग है ये भारतीय अपनी मेहनत और ईमानदारी से वहां के आर्थिक विकास में भी अपना योगदान दे रहे हैं। इस घुसपैठ से वहां की कंपनियों को भी बहुत अधिक फायदा मिल रहा है। अमेरिकन कंपनियों को सस्ता श्रम उपलब्ध हो रहा है, क्योंकि कम वेतन में वहां अमेरिका के नागरिक उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि बहुत सारे भारतीय ‘वर्क परमिट’ पर अमेरिका में प्रवेश करते हैं और बाद में जब इसकी अवधि समाप्त हो जाती है तो वे अवैध प्रवासी बन जाते हैं। भारतीयों का अमेरिका की अर्थव्यवस्था में काफी ज्यादा योगदान है। लेकिन ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान ही साफ कर दिया था कि उनकी वापसी के साथ ही अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन अभियान शुरू होगा। अमेरिका में बिना किसी वैध प्रयोजन के रह रहे लगभग 18,000 अवैध अप्रवासियों के लिए अंतिम निष्कासन आदेश जारी कर दिए गए हैं, जिन्हें किसी भी समय भारत भेजा जा सकता है। अमेरिका द्वारा जारी किए गए एच-1बी वीजा ज्यादातर भारतीय लोगों को मिले हैं। ट्रंप ने अक्सर अपने इमीग्रेशन एजेंडे को लागू करने के लिए सेना का इस्तेमाल किया है। उन्होंने अमेरिका की मैक्सिको सीमा पर सेना भेजी है, प्रवासियों को रखने के लिए सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल किया है और उन्हें अमेरिका से बाहर निकालने के लिए सैन्य विमानों का उपयोग किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका के इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट की सूची के अनुसार ऐसे करीब 20,427 भारतीयों की सूची हैं, जो अवैध प्रवासियों की श्रेणी में आते हैं। इनमें से 17,940 भारतीयों के मूल निवासी होने के पतों का दस्तावेजी सत्यापन भी हो चुका है। इन्हें भी अमेरिका से निकालने की कार्यवाही चल रही हैं। एक निजी एजेंसी के अनुसार अमेरिका में करीब 7.25 लाख भारतीय अवैध ढंग से रह रहे हैं। अगर देखा जाए तो अमेरिका से अवैध प्रवासियों को निकाले जाने की बात कोई नई नहीं है। अमेरिका अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के दौरान 1100 लोगों को चार्टड विमान से भारत वापस भेज चुका है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में भारत समेत अन्य देशों के चार लाख से भी अधिक अप्रवासी निकाले गए थे। अमेरिका अब तक चार छोटे देशों ग्वाटेमाला, होंडुरास, इक्वाडोर और पेरू के अवैध प्रवासियों को निकाल चुका है। भारत पांचवां देश हैं, जहां के अवैध प्रवासियों को निकाला गया है। अमेरिका ने मैक्सिको और कोलंबिया के भी अवैध प्रवासियों को सैन्य विमान में लादकर भेजा था। परंतु इन देशों की सरकारों ने विमान को अपने देशों की सीमा के भीतर उतरने की मंजूरी नहीं दी थी। बाद में इन्हें सीमा पर उतारने की सहमति बन गई थी। अमेरिका में वैध एवं अवैध तरीकों से बसने की इच्छा रखने वालों में भारत के बाद दूसरे पायदान पर चीनी नागरिक हैं। इसके बाद अल-साल्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, फिलीपींस, मैक्सिको और वियतनाम के प्रवासी हैं। दरअसल अमेरिका अवसरों और उपलब्धियों से भरा देश माना जाता है। इसलिए लोग बेहतर और सुविधाजनक जीवन जीने की दृष्टि से अमेरिका में स्थाई तौर से बसने की लालसा रखते हैं। किंतु अब लगता है अमेरिका में विदेशी प्रवासियों के रास्ते बंद हो रहे हैं। क्योंकि अमेरिका ने जन्मजात नागरिकता पर भी रोक लगाने का सिलसिला शुरू कर दिया है। ट्रंप द्वारा जन्मजात नागरिकता खत्म करने के आदेश के पहले तक अमेरिका में किसी भी देश के प्रवासी दंपत्ति के जन्मे शिशु को जन्मजात नागरिकता स्वतः मिल जाती थी। यह प्रावधान तब भी था, जब उनकी माता अवैध रूप से देश में रह रही हो और पिता भी वैध स्थायी निवासी न हो। ट्रंप द्वारा जन्मजात नागरिकता पर प्रतिबंध के बाद सबसे अधिक परेशानी उन महिलाओं को हो रही है, जो अमेरिका में शरणार्थी या अवैध प्रवासी के रूप में रह रही हैं। ये सवाल उठा रही हैं कि उनकी कोख में पल रहे मासूम शिशु का क्या दोष है? ट्रंप के प्रतिबंधित आदेश के अनुसार वही जन्मजात बच्चे अमेरिकी नागरिकता के पात्र होंगे जिनके माता या पिता अमेरिकी नागरिक हैं। हालांकि देखा जाए तो अवैध प्रवासियों के संदर्भ में अमेरिका को अपने गिरेबान में भी झांकने की जरूरत है। क्योंकि चिड़िया भी पंख नहीं मार सकती, का दावा करने वाला देश अवैध तरीके से आने वाले प्रवासियों पर लगाम लगाने में अब तक नाकाम रहा है। इसीलिए अमेरिका को मूलतः अप्रवासियों का देश माना जाता है।
वैसे भी आज अमेरिका जिस विकास और समृद्धि को प्राप्त कर पूंजीपति व शक्ति-संपन्न राष्ट्र बना दुनिया पर अपना प्रभुत्व जमाए बैठा है, उसकी पृष्ठभूमि में दुनिया के प्रवासियों का ही प्रमुख योगदान है। लिहाजा ट्रंप के प्रवासी भारतीयों समेत अन्य प्रवासियों को अमेरिका में ही बसाए रखने की नीति और उपाय बदस्तूर रखने चाहिए, यही अमेरिका के हित में होगा लेकिन अमेरिकी सत्ताधारी जिस तरह की शर्मनाक व गैर जिम्मेदाराना हरकत कर रहे हैं वह नितान्त गैर जरूरी है। भारत सरकार को भी इस मामले में गंभीर कूटनीतिक कदम उठाने चाहिए।(विनायक फीचर्स)
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