आजादी की ओर बढ़ता बलूचिस्तान

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हुसैनी वाला के पार से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार इस समय बलूचिस्तान ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठा है। पिछले दिनों बलूच विद्रोहियों ने ट्रेन का अपहरण और फिर फौजी सैनिकों पर बड़ा हमला करके पाकिस्तानी फौज को जो चोट पहुंचाई है उससे न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरा विश्व हिल गया है।

बलूच लोगों का कहना है कि पंजाबी पाकिस्तान फौज जल्लादों की फौज है वह पाकिस्तान में सबसे बड़े आतंकवादी हैं। मौलाना ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान में जैसे हालात बनते जा रहे हैं उससे शीघ्र ही पाकिस्तान के चार टुकड़े हो जाएंगे।
विश्व की 12वीं बड़ी सेना बलूचियो के हाथों जलील हो रही है। बलूच लोगों का कहना है कि यदि हमारे मौलिक अधिकारों को छीना गया तो हम बंदूक उठाने पर मजबूर हो जाएंगे।
पिछले दिनों डान में पाकिस्तानी पत्रकार दिशा हैदर का लेख प्रकाशित हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि लापता बलूच लोगों की बड़े पैमाने पर हत्याएं की जा रही हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ता कदीरोच कदारी ने एक-एक व्यक्ति का परिचय देते हुए लिखा था कि लापता बलूच पाकिस्तानी सेना के हाथों मारे जा चुके हैं। उन्होंने आगे बताया कि पंजाब के बड़े सेना अधिकारियों का बलूच सैनिकों से भरोसा उठ चुका है। पिछले पांच वर्षों में सबसे कम भर्ती बलूच सेनाओं में गई है। भय के वातावरण के कारण उन्हें बलूचिस्तान में तैनात नहीं किया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना को भय सता रहा है कि कहीं वह बलूच लोगों से मिलकर कोई बड़ा विरोध न कर दें। पिछले दिनों कनैडा में बलूचों के उदारवादी एवं थिंकटैक की बैठक में इंटरनैशनल फोरन फार ह्यूमन राइट्स एवं सुरक्षा एजेंसियों ने जो सीक्रेट्स जनता के सामने प्रस्तुत किए उससे पाकिस्तानी सेना का जल्लाद चेहरा सामने आया है । उन्होंने कहा कि हजारों नौजवानों की हत्या करके उन्हें बलूचिस्तान के पहाड़ी कब्रिस्तान में दफना दिया है। जिसका पता पिछले दिनों मिले कंकालों से चला है।

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आखिर अत्याचार की भी कोई हद होती है जब अत्याचार हद से पार कर जाता है जब आजादी का जन्म होता है। किसी भी आंदोलन को बंदूक से दबाया नहीं जाता आखिर बातचीत ही हर समस्या का अंतिम रास्ता है। पाकिस्तान के सेवानिवृत्त अधिकारी जमीर जमाल अहमद का कहना है कि बलूचिस्तान में हमारे सैनिकों की आत्माएं मर चुकी हैं, जिंदा बलूचों को मारा जा रहा है। अत्याचारों की हद हो रही है। महिलाओं के साथ बड़े अधिकारी क्रूर व्यवहार कर रहे हैं। रात को चीखों की आवाजें दूर-दूर तक जाती हैं। पाकिस्तानी फौज पर नशे में चूर होकर बलूच लोगों पर जबरन गायब करने और उन्हें आतंकित करने के आरोप बलूचिस्तान के लोग लगातार लगा रहे हैं। अमेरिका के व्हाइट हाऊस के सैनेटर ने कहा कि जिस प्रकार बलूचिस्तान में नौजवानों का नरसंहार किया जा रहा है उसको लेकर ट्रंप सरकार को यह समस्या पाकिस्तानी सेना और सरकार के सामने उठाना चाहिए। कनैडा सरकार, जर्मनी सरकार, इटली सरकार, के साथ-साथ सऊदी अरब में भी बलूचिस्तान को पूरा समर्थन मिल रहा है। पिछले दिनों पाकिस्तान के कराची में 20 हजार से ज्यादा लोगों ने शक्ति प्रदर्शन किया जिसमें सबसे अधिक छात्र वर्ग शामिल था। लेकिन इस बार बुद्धिजीवी पत्रकार, उदारवादी, राजनीतिक कार्यकर्ता, शिक्षित वर्ग और महिला कार्यकर्ताओं ने भी अधिक संख्या में शामिल होकर सिद्ध कर दिया है कि बलूचिस्तान में आजादी की शमा बहाल हो चुकी है अब बलूचिस्तान पर और अत्याचार सहन नहीं होने देंगे। पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने पिछले 20 वर्षों में हजारों लोगों का अपहरण करके जेल में बंद किया है।
ऐसा माना जाता है कि अभी भी कई बलूच नौजवान पाकिस्तान के यातना कक्षों में बंद हैं।

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लोगों के घरों पर छापे मारे जा रहे हैं कई लोगों के घरों को जला दिया गया है। एक उर्दू समाचार पत्र के पत्रकार इब्राहिम इलाही ने कहा कि पाकिस्तानी सुरक्षा बल बेशर्मी की सभी हदें पार करके अपने ही देश पर अत्याचार ढा रहे हैं। जिस प्रकार बलूच विद्रोहियों ने सेना पर हमले किए है उससे पाकिस्तानी सैनिकों के हौसले पस्त होते जा रहे हैं। जिस प्रकार 1971 में ‘भक्ति ब्राह्मणी’ ने बांग्ला देश को आजाद कराया था उसी तरह आज बलूचिस्तान को आजाद कराने में महिलाएं भी जेल जा रही है और कई महिलाएं आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं। लापता लोगों को मारने के विरुद्ध बलूचिस्तान में बड़े-बड़े आंदोलन हो रहे हैं। वायस ऑफ बलूच मिसिंग परसन नामक संगठन का गठन किया गया है, पाकिस्तान के बलूची लोग वर्षो से संघर्ष पर बैठे हुए हैं। छात्र पाकिस्तानी सेना के अपहरण का मुख्य केंद्र बने हुए हैं। पाकिस्तान में पत्रकारों पर हमले और धमकियां देने की वारदातों में 60 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 2024 में 160 मामले दर्ज किए इससे ज्यादा रफा-दफा कर दिए। बलूचिस्तान में रेल अपहरण और सेना पर हुए हमलों की खबरों को तो दबा ही दिया गया। पाकिस्तान पत्रकारों के लिए भी नर्क बनता जा रहा है। वहां वातावरण खतरनाक और हिंसक होता जा रहा है।
बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना का कब्जा होने के पश्चात 76 स्कूल बंद हो चुके हैं। बलूचिस्तान मूवमेंट ने पाकिस्तानी सरकार पर आरोप लगाया है कि बलूचिस्तान में बच्चों को शिक्षा से दूर रखने के लिए 76 स्कूलों को बंद कर दिया है और वहां पर सेना ने कब्जा किया हुआ है। जिसके कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूलों को बंद करके सैनिक चौकियों में बदल दिया गया है। सीमा पार से मिली खबरों के अनुसार तहसील मशकाई में 13 स्कूलों को आदेश दिए गए हैं कि वह स्कूल की इमारतें तुरंत खाली कर दें। अवारन के 63 स्कूल बिल्कुल बंद पड़े हैं। बच्चे और टीचर स्कूलों में नहीं आ रहे हैं इन दोनों तहसीलों में बच्चों को शिक्षा देने का मौलिक अधिकार लगभग छीन लिया गया है। शिक्षा मानव का मौलिक अधिकार है इसको छीनने से क्षेत्र का आर्थिक और सामाजिक विकास प्रभावित होता है। शिक्षा संस्थानों पर फौजियों द्वारा कब्जा करना बुनियादी अधिकारों का हनन करना है इसके लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की बहुत निंदा की जा रही है।
पाकिस्तान के इस्लामिक गुरु और सांसद मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तान को 1971 की याद पुन: दिलाई जब पूर्वी पाकिस्तान टूटकर बंगला देश बन गया था। मौलाना फजलुर रहमान ने दावा किया है कि बलूचिस्तान के 5 से 7 जिले टूटकर स्वतंत्र बलूचिस्तान बनाने की घोषणा कर सकते हैं उन्होंने भारत-पाक युद्ध का वर्णन करते हुए चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति एक बार पुन: बन सकती है। यदि बलूचिस्तान के जिले स्वतंत्रता की घोषणा करते हैं तो यू.एन उन्हें स्वतंत्र होने की मान्यता दे सकता है क्योंकि इस समय पूरा पाकिस्तान आतंकवाद की ज्वाला में भड़क रहा है यह क्षेत्र शिया-सुन्नी का क्षेत्र भी रहा है। बलूचिस्तान पहाड़ी इलाका है जो अफगानिस्तान की सीमा से लगा हुआ है।

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(सुभाष आनंद – विनायक फीचर्स)

 

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