हरिद्वार से कांवड़ ले जाकर श्रमिक नेता अवनीश त्यागी ने बागपत जिले के ” परशुरामेश्वर महादेव मन्दिर ” में किया जलाभिषेक, वापस लौट कर किये माँ अवन्तिका देवी के दर्शन

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त्रेतायुग में भगवान परशुराम ने हरिद्वार से शिवलिंग ला कर स्वयम की थी यहाँ स्थापना

श्रावण मास की त्रयोदशी चौदश को परशुराम ने किया था प्रथम जलाभिषेक

पुरा गॉव में स्थित होने से इसे पुरा महादेव भी कहा जाता है

पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ कर सावन में करते हैं जलाभिषेक

हर साल 30 लाख से अधिक शिव भक्तों के आगमन से लोकप्रिय ” पुरा गॉव ” को चुना गया है सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गॉव

बागपत/लालकुआं ( नैनीताल ), सेंचुरी पल्प एण्ड पेपर मिल में श्रमिक नेता एवं लोकप्रिय समाजसेवी अवनीश त्यागी ने पिछले दिनों कांवड़ यात्रा के दौरान अपने एक साथी सतेन्द्र सिंह के साथ हरिद्वार से कांवड़ ले जाकर पुरातन कालीन ” परशुरामेश्वर महादेव ” मन्दिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया ।

इसके बाद लालकुआं वापस लौटने पर अवनीश त्यागी ने यहाँ स्थित प्राचीन शक्ति स्थल माँ अवन्तिका देवी के दर्शन किये व बाबा काशीनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया और कांवड़ यात्रा की सफलता के लिए माँ अवन्तिका के प्रति अपनी कृतज्ञता व श्रद्धा समर्पित की यहाँ पहुंचने पर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पूरन सिह रजवार व स्थानीय भक्तों ने उनका स्वागत किया  

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इस अवसर पर पवित्र कांवड़ यात्रा के अनुभव साझा करते हुए अवनीश त्यागी ने बताया कि यात्रा अत्यधिक आनन्ददायी और परम शान्ति प्रदान करने वाली रही । हरिद्वार से लेकर बागपत जिले के पुरा गॉव तक यात्रा मार्ग में हर जगह भोलेबाबा के जयकारों की गूंज में पता ही नहीं चला कि इतनी लम्बी पैदल यात्रा कब आनन्द के साथ पूर्ण हो गयी।

अवनीश त्यागी ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर सरकार व प्रशासन की व्यवस्थाओं को लेकर कहा कि सब कुछ अच्छा था । जगह-जगह पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा से लेकर आवा-जाही और खान-पान, विश्राम आदि की व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित की जा रही थी।
कांवड़ यात्रियों पर कथित रूप से अराजकता फैलाने के सवाल पर अवनीश ने कहा कि हर कांवड़िया सिर्फ और सिर्फ भोलेनाथ की भक्ति और उनका आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यात्रा पर निकलता है, नंगे पॉव चलकर कांवड़ लेकर आता है, और कांवड़ की पवित्रता बनाये रखने के लिए भूख-प्यास व विश्वाम आदि की चिन्ता भी भूल जाता है। ऐसे में कावड़ियों के बीच में घुसकर कुछ अराजक तत्व उनके पवित्र कांवड़ व्रत को खण्डित अथवा अपवित्र करने की साजिश करते हैं तो कांवड़ियों का गुस्सा स्वाभाविक है। उन्होंने कहा सनातन संस्कृति को बदनाम करने के लिए जानबूझ कर कावड़ियों को गलत दिखाने या बताने की कोशिशें हर बार होती हैं, इस बार भी हुई, परन्तु पुलिस प्रशासन द्वारा हर स्थिति में यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न कराने में सराहनीय भूमिका निभाई ।

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अवनीश त्यागी ने कहा कि बागपत जनपद अन्तर्गत ” पुरा गॉव ” स्थित परशुरामेश्वर महादेव मन्दिर में कांवड़ जल चढ़ाकर मन्नत मांगने की लम्बे समय से मन में इच्छा थी, इस बार भगवान शिव की कृपा से सावन में उनको और उनके एक साथी सतेन्द्र सिंह को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
बता दे कि पुरा गॉव में स्थित होने के कारण परशुरामेश्वर महादेव को पुरा महादेव भी कहा जाता है।

इस प्राचीन शिव मन्दिर को लेकर धर्म ग्रन्थों में और जनश्रुतियों में अनेकानेक कथाएं आती हैं।
माना जाता है कि त्रेतायुग में भगवान परशुराम द्वारा हरिद्वार से शिवलिंग ले जाकर यहाँ स्थापित किया गया था और सावन मास की त्रयोदशी चौदश पर उन्होंने स्वयम पहली बार यहाँ शिव का जलाभिषेक किया था।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपने पिता ऋषि जमदग्नि के आदेश पर परशुराम ने अपनी माता जी की हत्या कर डाली थी । तदन्तर प्रायश्चित स्वरूप उन्होंने लम्बे समय तक भोलेनाथ की तपस्या की । अन्ततः शिव प्रेरणा से उन्होंने यहाँ शिवलिंग स्थापित किया और सारी उलझनो से मुक्ति पायी।
मेरठ से लगभग 30-35 किमी और बागपत जिला मुख्यालय से 15-20 किमी की दूरी पर स्थित पुरा गाँव को वर्तमान में पर्यटन का सर्वश्रेष्ठ गाँव का सम्मान प्राप्त है।
साल भर यहाँ बड़ी संख्य में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगातार रहता है। सावन मास में तो हर वर्ष श्रद्धालुओ का आंकड़ा 30 लाख से भी अधिक चला जाता है। वैसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने हेतु भगवान शिव का पूजन-अर्चन, जलाभिषेक आदि करते देखे जा सकते हैं, लेकिन दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व राजस्थान से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सर्वाधिक देखी जाती है।
मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से परशुरामेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन, जलाभिषेक व आरती करते हैं, उनके जीवन के सभी दुखों का शमन हो जाता है।

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