गुस्याणी देवी चिटगल एक प्रसिद्ध देवी मन्दिर है जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है यह मंदिर गंगोलीहाट तहसील के चिटगल गाँव में स्थित है और एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है एक शक्तिशाली पूजनीय देवी के रूप में इन्हें माना जाता है
यह देवी अनेक रहस्यमयी गाथाओं को अपने आप में समेटे है। इस गांव की यह मुख्य देवी है। इनके पिता हीरामणी दादा वशिष्ठ व परदादा व्यास जी थे। कहा जाता है कि जब गंगोली क्षेत्र में राजाओं का राज था उस दौर में गुस्याणी का जन्म हुआ। राज कर की झंझावत में बालपन में ही गंगोलीहाट-जजुट पैदल मार्ग पर मणकोट के पत्थर में इन्हें जोरदार तरीके से पटका गया। मणकोट के पत्थर पर पछेटी गयी इस देवी के प्रतीक चिन्ह आज भी उस पत्थर पर देखा जा सकता है।
मान्यता है कि पत्थर पर पछेटी जाने के बाद गुस्याणी देवी अदृश्य हो गयी थी ।
प्रतीक पत्थर पर शेष रह गया और बाद में समूचे क्षेत्र में हाहाकार मच गया। महाकालिका के आंचल में हुई इस अन्याय भरी अकाल अबोध मौत को शायद महाकाली भी बर्दाश्त नहीं कर सकी और गंगावली घाटी त्राहिमाम हो उठी। बाद में इन्हीं देवी की कृपा से इनके पूजन के पश्चात् क्षेत्र में आयी विपदाएं शांत हुई और इन्हें देवी के रूप में पूजा जाने लगा। इस विषय पर बहुत लम्बी दंत कथा है जिसे स्थानीय लोगों के मुंह से सुना जा सकता है। इनके मंदिर जजुट पाली सहित पहाड़ों के अनेक गाँवों में है
यह देवी एक दयालु और शक्तिशाली देवी के रूप में जानी जाती हैं, जो अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं और उनकी इच्छाएं पूरी करती हैं। उनकी गाथा में, गुस्याणी देवी विभिन्न रूपों में प्रकट होती हैं और अपने भक्तों के जीवन में चमत्कार करती हैं।
गांव में सूखा, बीमारी या कोई अन्य संकट उत्पन होने पर लोग देवी से मदद की गुहार लगाते हैं
गुस्याणीणी देवी अपने भक्तों के जीवन में चमत्कारिक घटनाएं करती हैं, जैसे कि बारिश लाना, बीमारी को ठीक करना, जीवन को निरोगी बनाना स्थानीय ग्रामीण भक्त देवी पर अटूट विश्वास रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। उनका मानना है कि देवी उनकी रक्षा करेंगी और उनकी सभी इच्छाएं पूरी करेंगी।
यह देवी गांव को संकट से बचाती हैं और लोगों को खुशी और समृद्धि प्रदान करती हैं। गांव के लोग देवी की पूजा करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। इनकी गाथा लोगों को भक्ति, विश्वास और निस्वार्थ सेवा का महत्व सिखाती है। देवी हमेशा अपने भक्तों के साथ होती हैं और उनकी मदद करती हैं। दूर दराज क्षेत्रों में बसे लोग समय- समय पर उनसे आशीर्वाद लेने आते हैं। यह मंदिर क्षेत्र के लोगों के लिए एक पवित्र स्थान है और गुस्याणी देवी की गाथा गंगोली के गाँवों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
रिपोर्ट : रमाकान्त पन्त



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