क्या पाकिस्तान मदरसों में शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों को युद्ध में धकेल सकता है? इस प्रश्न का उत्तर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्वयं ही दे दिया है कि मदरसों में पढऩे वाले बच्चे पाकिस्तानी फौज की दूसरी सुरक्षा पंक्ति में खड़े हैं। इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान में सरकारें मदरसों में पढऩे वाले बच्चों को जहां इस्लामी शिक्षा दे रही है वहीं आतंकी बनाने के लिए आधुनिक शस्त्रों की टे्रनिंग भी देती रही हैं लेकिन साथ-साथ पाकिस्तान में बढ़ रहे मदरसे स्वयं पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनकर उभर रहे हैं। पिछले 30 वर्षों से भारत के साथ-साथ पूरा विश्व यह आरोप लगा रहा है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए जन्नत बन कर उभर रहा है। आखिर पाकिस्तान में ऐसा क्या है कि पाकिस्तान में रोज आतंकवादियों की नई खेप पैदा हो रही है। सूत्रों के अनुसार इस समय पाकिस्तान में कुल 48280 मदरसे हैं जहां पर 1 करोड़ 14 लाख 480 बच्चे इस्लामिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं केवल 20 हजार मदरसों को सरकार द्वारा पंजीकृत किया गया जबकि 28 हजार से ज्यादा मदरसे गैर कानूनी ढंग से काम कर रहे हैं।
पाकिस्तान में सरकारी स्कूलों का तो बुरा हाल है वह सभी को देखने को मिलता है। मिशनरी संस्थाओं ने जो स्कूल खोले हैं वहां फीस इतनी अधिक है कि आम आदमी वहां अपने बच्चों को पढ़ा ही नहीं सकता। पाकिस्तानी सेना के द्वारा भी कुछ सैनिक स्कूल खोले गए हैं जहां पढ़ाई का स्तर बहुत ऊंचा है। पाकिस्तान में भी इस्लाम के नाम पर मदरसों में बड़ी मात्रा में गरीब बच्चों को शिक्षा देने के नाम पर आतंकवादी बनाने की मशीनेें लग गईं।
पाकिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों में मदरसों की संख्या बढ़ती गई। मौलवियों और मुल्लाओं के मौजें लग गईं। पाकिस्तान की सरकारों ने केवल यह ही सूचना दी है कि मदरसों में बच्चों को इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है जबकि कटु सच्चाई यह है जबसे पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने मदरसों में अपना प्रवेश किया तभी से मदरसों में पढऩे वाले बच्चों को छोटे-मोटे शस्त्र चलाने की शिक्षा भी दी जाने लगी। अफगानिस्तान में रुसी फौजों ने अपने पैर जमाने की कोशिश की तब रुस की बढ़ती शक्ति को कम करने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान में रुसी फौजों को खदेडऩे के लिए तालिबान की फौज के साथ-साथ पाकिस्तान में पढऩे वाले मदरसों के बच्चों को तैयार किया। पाकिस्तान के प्रमुख जियाउल-हक ने मदरसों से ऐसी जेहादियों की फौज तैयार की जो इस्लाम के नाम पर मर-मिटने को तैयार थी। यह काम मदरसों के इंचार्ज मौलवियों को सौंपा गया। अमेरिका से प्राप्त होने वाली राशि को मदरसों में खूब बांटा गया। इसी कारण पाक-अफगानिस्तान से सटे क्षेत्रों में मदरसों की बाढ़ आने लगी। पाकिस्तान मानवाधिकार की रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि मदरसों में पढऩे वाले बच्चों को सैनिक ट्रेनिंग भी दी जाती है और जेहादियों को इस्लाम के लिए लडऩे के लिए अन्य देशों में भी भेजा जाता है। बच्चों के माता-पिता को यह भी पता नहीं होता कि उनके बच्चे कहां हैं? पाकिस्तान के समाचार पत्र ‘जंग’ का कहना है कि पाकिस्तान के अलग-अलग इस्लामी देशों में भी मदरसों का चलन बढ़ रहा है। जब रुसी सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया तो जेहादियों के हौसले पहले से ज्यादा बुलंद होने लगे इसके पश्चात जेहादियों ने कश्मीर और चेचेन्या की तरफ कूच किया।
पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने अपने कश्मीर लक्ष्य की प्राप्ति हेतु मदरसों का भरपूर उपयोग किया। पाकिस्तान में कोई भी सरकार इनके विरुद्ध आवाज उठाने की कोशिश करती है तो उसका तख्ता पलट दिया जाता है। अब यह मदरसे पाकिस्तान के लिए नासूर बन गए हैं। पाकिस्तान में रोजाना हो रहे बम धमाकों से लोग त्राहि-त्राहि कर चुके हैं।
आज ब्लूचिस्तान में पाकिस्तानी मदरसों का अस्तित्व समाप्त होता नजर आ रहा है। पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में मदरसों की संख्या बढ़ती जा रही है जो अति चिंता का विषय है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब लश्करे तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हमले किए गए तब उसमें 145 से ज्यादा ट्रेनिंग ले रहे बच्चे मदरसों में मारे जा चुके हैं, 37 बच्चे जो जख्मी हुए हैं वह विभिन्न-विभिन्न अस्पताल में जेर इलाज है। जब बीबीसी पत्रकार जुनैद हसन ने जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया तो रोक दिया गया। पाकिस्तान में मदरसों में बच्चों का सरेआम शोषण किया जाता है। कई बार मौलवियों के द्वारा सैक्स करने के प्रयास की खबरें आ चुकी हैं। मौलवियों के द्वारा बच्चों के चेहरों पर तेजाब फेंकने की घटनाएं भी हो चुकी हैं। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी ‘खबरें’ में कहा गया है कि शीघ्र ही मदरसे पाकिस्तान को गंभीर संकट में डाल सकते हैं। विश्व की बड़ी एटमी शक्तियां मदरसों के विरुद्ध खड़ी हो रही है। इतिहास साक्षी है कि पाकिस्तान के बड़े-बड़े आतंकवादी पाकिस्तानी मदरसों की उपज है। लोग जानते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद की जननी है। मलेशिया के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान में दाऊद की मौजूदगी पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए पाकिस्तान का आतंकवादी चेहरा बेनकाब करने की कोशिश की है। वहीं जर्मनी के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के प्रतिनिधि मण्डल को साफ-साफ संदेश दिया कि आतंकवाद और भारत से बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती। इस्लामी देशों में भी पाकिस्तान को कोई सहयोग नहीं मिल रहा। तुर्की जैसे देश पाकिस्तान के समर्थन में आने के पश्चात अपनी गलती को स्वीकार कर रहे हैं। पाकिस्तान में बढ़ रहे मदरसे आतंकवाद बढऩे की एक निशानी है जिसे तुरंत समाप्त करना चाहिए।
(सुभाष आनंद -विभूति फीचर्स)










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