+ शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद पैरा खेलों के क्षेत्र में हैं बहुमुखी प्रतिभा की धनी
+ राज्य स्तर से लेकर अलग – अलग राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत चुकी हैं अनेकों पदक
+ नेशनल लेवल की पैरा तैराक भी है पहाड़ के गॉव की प्रीति गोस्वामी
+ वर्तमान में नैनीताल हाईकोर्ट में बतौर अधिवक्ता एवं ” सक्षम “
जिलाध्यक्ष ( अल्मोड़ा ) के रूप में भी समाज के लिए दे रही हैं महत्वपूर्ण सेवाएं
पाखुड़ा ( रानीखेत ) ।
इरादे अगर नेक हों, मन में कुछ कर गुजरने का जोश हो और लक्ष्य प्राप्ति के लिए एक कर्मयोगी की भांति लगन व जुनून हो, तब सफलता के मार्ग में कोई भी बाधा मायने नहीं रखती । बेशक! इस बात को समय-समय पर देश और दुनियां में अनेकानेक कर्मयोगियों ने सिद्ध कर दिखाया है, परन्तु रानीखेत के पाखुड़ा गाँव की एक दिव्यांग युवती प्रीति गोस्वामी ने तमाम विपरीत हालातों और सामाजिक उपेक्षा का दंश झेलते हुए भी पैरा खेलों के क्षेत्र में जो मुकाम हासिल किया है, वह अपने आप में दुर्लभ किन्तु किसी महान प्रेरणा से कम नहीं है।
 
बांए पैर से 65% दिव्यांगता के बावजूद प्रीति गोस्वामी पैरा खेलों के क्षेत्र में बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं और अब तक राज्य स्तर से लेकर अलग-अलग राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पैरा खेल प्रतियोगिताओं में अनेकों पदक जीत कर अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने क्षेत्र, राज्य और भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं।
इतना ही नहीं लगातार क्षेत्र, राज्य व देश का सम्मान बढ़ाते आ रही यह दिव्यांग युवती आज नेशनल लेवल की एक पैरा तैराक होने का गौरव भी हासिल कर चुकी है। निसन्देह यही कारण है कि अपनी असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रीति को अब तक राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
इतना सब मान-सम्मान, पुरुष्कार व प्रतिष्ठा अर्जित करने के बाद भी दिव्यांग पैरा खिलाड़ी प्रीति गोस्वामी के जोश- जुनून व लगन में कोई कमी नहीं है और पैरा खेलों के क्षेत्र में वह और बड़ा मुकाम हासिल करने को अनवरत प्रयासरत व संघर्षरत हैं। यानी पाखुड़ा गाँव की प्रीति गोस्वामी का लक्ष्य अब पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर देश के लिए पदक जीतने का है। उनका आत्मविश्वास, नेक इरादे और जुनून यही दर्शाते हैं कि वह एक न एक दिन अपने लक्ष्य में कामयाब होकर अवश्य ही देश का सम्मान बढ़ाएंगी ।
बताते चलें कि पैरा खेलों के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित कर चुकी प्रीति गोस्वामी, खिलाड़ी के साथ-साथ एक कर्तव्यनिष्ठ व समर्पित समाजसेवी के रूप में भी खासी लोकप्रिय हैं। वर्तमान में वह बतौर अधिवक्ता, नैनीताल स्थित हाइकोर्ट में वकालत करते हुए अक्सर जरूरतमंदों की सेवा में भी संलग्न रहती हैं। इतना ही नहीं देशभर में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए काम करने वाली राष्ट्रीय स्तर की संस्था ” सक्षम ” के साथ जुड़कर दिव्यांगों की सेवा में सतत समर्पित हैं। सक्षम अल्मोड़ा की जिला अध्यक्ष के रूप में उनकी सक्रिय भूमिका किसी से छुपी नहीं हैं। खेलों के साथ – साथ वकालत और समाज सेवा के बीच समन्वय बिठाना मौजूदा दौर में किसी असामान्य चुनौती से कम नही है, परन्तु प्रीति गोस्वामी के लिए यह सब सामान्य दिनचर्या की तरह है ।
प्रीति गोस्वामी के पिता गणेश गिरी गोस्वामी भारतीय सेना से सेवानिवृत्त लैफ्टिनेंट कर्नल हैं । सेवानिवृत्ति के बाद वर्ष 1991 में उन्होंने अपने गाँव पाखुड़ा ( रानीखेत ) में बांकी जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया । अपने पैतृक जमीन पर उन्होंने सेव, आडू, खुमानी, बादाम व अखरोट आदि का बगीचा विकसित किया और बीस साल के कठोर परिश्रम के बाद एक शानदार बगीचा बन कर तैयार हो गया। 
गौरतलब है कि प्रीति गोस्वामी के पिता लैफ्टिनेंट कर्नल द्वारा तैयार किए गए इस बगीचे को उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ बगीचे का सम्मान दिया गया है।
प्रीति की माता जी स्व० अंशु मालिनी एक धर्मपरायण गृहिणी थी, जिनके त्याग, समर्पण व संस्कारों का सुखद प्रभाव परिवार में आज भी देखा जा सकता है। प्रीति का कहना है कि शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद आज वह समाज के बीच सिर उठाकर सम्मान से अपने जीवन लक्ष्य पर अग्रसर है, इस सबके पीछे उनकी माता जी के द्वारा दिये गए संस्कारों की ही ताकत है। अपनी शिक्षा-दीक्षा व खेल करियर में वह अपने माता-पिता के योगदान का जिक्र करते हुए कहती हैं कि माता-पिता ने उनको हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया । यही कारण था कि बचपन से ही दिव्यांगता के चलते अक्सर समाज के ताने सुनते रहने के बाद भी माता-पिता के संस्कारों ने उनको कभी कमजोर नहीं होने दिया । प्रीति का कहना है कि माता-पिता द्वारा लगातार हौंसला बढ़ाए जाने से उनका आत्मविश्वास उत्तरोत्तर मजबूत होता रहा।
एडवोकेट प्रीति गोस्वामी के भाई ब्रिगेडियर एस के गोस्वामी भी भारतीय सेना में सेवारत हैं। सेना में अनुशासन, समर्पण एवं अपनी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए ब्रिगेडियर एस के गोस्वामी प्रतिष्ठित ” सेना मेडल ” से सम्मानित सैन्य अधिकारी हैं।
बता दें कि प्रीति गोस्वामी के नाम पैरा खेलों के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां हैं।
वर्ष 2024 में नई दिल्ली में आयोजित नेशनल पैरा लॉन वॉल की नेशनल चैम्पियशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रीति ने सिंगल्स व मिक्स्ड डबल्स में 2 ब्रान्ज मेडल जीते ।
वर्ष 2025 में मलेशिया में 3rd लैंगकॉवी गुडविल गेम्स में पैरा लॉन बोल में भारतीय टीम का सफल प्रतिनिधित्व किया ।
इसके अलावा मोटरस्पोर्ट्स में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए *चार* *राष्ट्रीय ट्रॉफियां* अपने नाम की हैं। (1. BND MOTOR SPORTS, BUDDH INTERNATIONAL CIRCUIT 1& 2 POSITION 
2. SAJOBA,है CHANDIGARH TSD CAR RALLY 1ST POSITION 
3. AVNL AUTOPHILES RALLY, JABALPUR, MP 2ND POSITION, AUTOCROSS 2ND POSITION )
नेशनल लेवल पैरा तैराक प्रीति ने
खेल महाकुंभ 3 गोल्ड मेडल
मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 3 सिल्वर मेडल पदक जीत कर जनपद का सम्मान बढ़ाया है।
*पुरस्कार और सम्मान* 
अपनी उपलब्धियों के लिए प्रीति को कई सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं –
दक्ष दिव्यांग अवार्ड 2022, 
तुली रौतेली पुरस्कार 2023, 
चीफ जस्टिस उत्तराखंड श्री गुहनतन नरेंद्र और बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड द्वारा सम्मानित 2024
FICCI FLO अवार्ड (सामाजिक कार्यों के लिए) 2017
कुल मिलाकर प्रख्यात पैरा खिलाड़ी प्रीति गोस्वामी ने अपनी खेल प्रतिभा से उत्तराखण्ड का लगातार मान बढ़ाया है। वर्तमान वह स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने एवं दिव्यांगता चुनौतियों का सामना करने के उद्देश्य से अपने गॉव पाखुड़ा – रानीखेत में ” उड़ान वैलफेयर सोसाइटी ” का भी संचालन कर रही हैं। बहरहाल युवा पीढ़ी के लिए खासतौर से युवा खिलाड़ियों के लिए प्रीति गोस्वामी सचमुच एक महान प्रेरणादायी व्यक्तित्व हैं।
विगत दिनों इनके आवास पर पहुंचकर सक्षम के प्रांतीय अध्यक्ष ललित पंत व सक्षम के बागेश्वर जनपद के अध्यक्ष आचार्य योगेश पन्त ने उनके सामाजिक कार्यो की सराहना करते हुए उन्हें एक महान् आदर्श बताया
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