अनजाने में हुई गलती को बोझ ना बनाएं

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(सरदार मनजीत सिंह-विभूति फीचर्स)
हर एक मनुष्य अपने जीवन में कभी न कभी कोई न कोई गलती अवश्य करता है,जिसका उसे पछतावा भी होता है मगर उसका बोझ बनाकर वह कभी आगे नहीं बढ़ पाता।अतःअनजाने में गलती करने के बाद उसको भूलना ही चाहिए । उस गलती का पश्चाताप जरूर करें और आने वाली जिंदगी में इस बात का ध्यान रखें कि वह गलती दोबारा ना हो। हम गलती से सीख अवश्य लें मगर उसको बोझा ना बनाएं।
हमने अगर गलती की है और बार-बार सोचते रहेंगे कहते रहेंगे कि हमने गलती की है तो आगे नहीं बढ़ पाएंगें।
अगर हम सच्चे मन से स्वीकार कर लेते हैं कि हां हमसे गलती हुई है तो हमें उसी दिन शांति मिल जानी चाहिए।
अगर हम धूल भरे रास्ते से गुजरते हैं तो हमारे कपड़े भी मैले हो जाएंगे।अब अगर हम यही सोचते रहे कि हमारे कपड़े तो धूल से भर गए ,तो बस हम सोचते ही रहेंगे ,और हमारा मन विचलित होता रहेगा। अगर हम कपड़े झाड़ कर आगे बढ़ जाए ,तो हमारी सोच सकारात्मक सोच होती है।
हमें आदत है हम दुनिया को जानने के लिए तो प्रयासरत रहते हैं मगर हमारा खुद को जानना हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी है।जब इंसान के अंदर ज्यादा मात्रा में दुख जमा हो जाता है तब उससे छुटकारा पाने की हम हर संभव कोशिश करते हैं ,उसे ही हम सुख की खोज भी कह सकते हैं ।अगर हमारे अंदर सुकून आएगा तभी तो दुख जाएगा।
हमारा मन एक ही समय पर कई उड़ान भरता है मगर जब तक हमारे अंदर ठहराव नहीं आएगा तब तक हम पीड़ित ही रहेंगे ।हमारे मन में ठहराव परमात्मा की राह पर चलकर ही आ सकता है
परमात्मा हमारा सबसे अच्छा मित्र है इंसान को परमात्मा से बात करनी चाहिए। आज दुनिया में कोई किसी की बात नहीं सुनता, कोई किसी का दुख नहीं बांटता, एक परमात्मा ही है जो हमारे दुख सुख का साथी है।परमात्मा का सिमरन इबादत पूजा हमारे अंदर धैर्य लाता है और जब मनुष्य में धैर्य आ जाए तो मन भटकता नहीं,मन का ठहराव और धैर्य ही मनुष्य को परमात्मा से जोड़ता है ।(विभूति फीचर्स)(लेखक
आध्यात्मिक विचारक एवं शिक्षाविद हैं।)

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