35 वर्षों के समर्पित सेवाकाल में हजारों गर्भवती महिलाओं को दी प्रसव सेवाएं, अत्यन्त मृदुभाषी व सरल स्वभाव की धनी हैं मोटाहल्दू की ये मातृशक्ति, सेवा निवृत्ति के दस साल बाद भी लगातार करते आ रही हैं गर्भवती तथा प्रसूता महिलाओं की निः स्वार्थ मदद, होली के शुभारम्भ पर की जय माँ बगलामुखी पुस्तक भेंट

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+ 35 वर्षों के समर्पित सेवाकाल में हजारों गर्भवती महिलाओं को दी प्रशव सेवाएं, अत्यन्त मृदुभाषी व सरल स्वभाव की धनी हैं श्रीमती पाण्डे
+ सेवा निवृत्ति के दस साल बाद भी लगातार करती हैं गर्भवती तथा प्रसूता महिलाओं की निः स्वार्थ मदद
+ अपने घर – परिवार के काम छोड़कर भी ग्रामीण महिलाओं की सेवा में रहती हैं तत्पर

मोटाहल्दू ( नैनीताल ), आनन्द, उमंग व उल्लास पर्व होली के शुभारम्भ अवसर पर आज यहाँ मोटाहल्दू क्षेत्र के भगवानपुर- दुर्गादत्त गॉव में सेवा निवृत्त स्वास्थ्य पर्यवेक्षक श्रीमती गीता पाण्डे को ” जय मॉ बगलामुखी ” पुस्तक सप्रेम भेंट की गयी।
पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार रमाकान्त पन्त ने अपने सहयोगियों के साथ उनके घर पहुंचकर सम्मान के साथ पुस्तक भेंट की ।
सनातन संस्कृति की दस महाविद्याओं में आठवीं प्रमुख महाविद्या देवी बगलामुखी की अलौकिक महिमा पर लिखी गयी इस पुस्तक को ग्रहण करते हुए श्रीमती गीता पाण्डे अत्यन्त भावुक हो उठी और बोली उनके लिए यह पुस्तक माँ का पवित्र प्रसाद स्वरूप है।
श्रीमती गीता पाण्डे ने लेखक रमाकान्त पन्त का इस सम्मान के लिए आभार व्यक्त किया और उनका धन्यवाद भी किया । श्रीमती गीता पाण्डे ने कहा सनातन संस्कृति की सेवार्थ पुस्तक लेखन करना बहुत ही सराहनीय प्रयास है और यह पुस्तक देवभूमि उत्तराखण्ड में तीर्थाटन व धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
बताते चलें कि भगवानपुर- दुर्गा दत्त गॉव की निवासी श्रीमती गीता पाण्डे, पत्नी श्री गंगा दत्त पाण्डे राज्य के स्वास्थ्य विभाग से ” स्वास्थ्य पर्यवेक्षक” पद से सेवा निवृत्त हैं। वर्ष 1980 में बतौर ए एन एम, स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं आरम्भ की और 35 वर्षों की शानदार व समर्पित सेवा के बाद वर्ष 2015 में स्वास्थ्य पर्यवेक्षक पद से सेवा निवृत्त हुई।
श्रीमती गीता पाण्डे ने अपनी सम्पूर्ण सेवा अवधि में जहाँ अपने विभागीय जिम्मेवारियों का पूरी निष्ठा, समर्पण व सेवाभाव के साथ ईमानदारी पूर्वक निर्वहन किया, वहीं हजारों-हजार महिलाओं को प्रशवकाल में अपनी सराहनीय सेवाएं प्रदान की। सरकारी ड्यूटी के अलावा भी घर-घर और गॉव-गॉव जाकर गर्भवती तथा प्रसूता महिलाओं को हर सम्भव मदद व राहत प्रदान की। ऐसी महिलाओं तथा उनके परिवारों की सेवा के लिए श्रीमती गीता पाण्डे ने न कभी दिन देखा न रात । अर्थात गावों में जहाँ कहीं भी, जिस वक्त भी और जिस किसी महिला को उनकी जरूरत महसूस हुई, वह सूचना मात्र पर उनके घर पहुंचकर मदद को पहुंच जाया करती थी। गर्भावस्था के दौरान जरूरी टीकाकरण हो, देखभाल व सावधानी के विषय हों, प्रशवपूर्व की कोई समस्या हो या फिर सुरक्षित प्रशव कराना, सभी मौकों पर श्रीमती गीता पाण्डे ने अपने घर – परिवार के काम छोड़कर भी ऐसी हजारों महिलाओं को निःस्वार्थ भाव से राहत प्रदान की । निःसन्देह यही वजह भी है कि मोटाहल्दू व हल्दूचौड़ क्षेत्र के अलावा समूचे भाभर क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में उनकी अपनी अलग ही पहचान है।
अत्यन्त मृदुभाषी व सरल स्वभाव की धनी श्रीमती गीता पाण्डे वर्ष 2015 में रिटायरमेंट होने के बाद भी बीते दस सालों से लगातार क्षेत्रभर के ग्रामीण इलाकों में अपनी निःस्वार्थ सेवा के लिए बहुत लोकप्रिय और सम्मानित महिला हैं। ग्रामीण महिलाओं का उनके प्रति सम्मान व आदर का भाव हर तरफ देखा जा सकता है। इस पर श्रीमती गीता पाण्डे कहती हैं कि भगवान जब भी और जहाँ सेवा का अवसर देते हैं, यह उनके लिए सौभाग्य की बात है। ईश्वरीय कृपा से ही वह इस उम्र में भी लोगों की मदद कर पाती हैं।
वास्तव में सेवा निवृत्त स्वास्थ्य पर्यवेक्षक श्रीमती गीता पाण्डे का सम्पूर्ण जीवन त्याग, सेवा तथा समर्पण का पर्याय रहा है। मानवता की ऐसी अद्भुत मिशाल श्रीमती पाण्डे सचमुच समाज के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत हैं।
मदन जलाल मधुकर

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