आज भी कौतूहल का विषय है इमरजेंसी

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(राकेश अचल-विनायक फीचर्स)
कंगना रनौत की बहुचर्चित फिल्म ‘ इमरजेंसी ‘ बॉक्स आफिस पर हिट होती है या फ्लाप यह कहना फिलहाल तो कठिन है लेकिन इस फिल्म ने दर्शकों को दो दिन तो अपनी और आकर्षित कर यह संकेत तो दे ही दिए हैं कि ‘ इमरजेंसी ‘ आज भी कौतूहल का विषय है और किंचित लोकप्रिय भी।
सिनेप्लेक्स में फिल्म देखने वाली आज की पीढ़ी ने सचमुच की ‘ इमरजेंसी ‘ नहीं देखी,इसलिए उसे कंगना रनौत ‘ की इमरजेंसी ‘ में स्वाभाविक दिलचस्पी है। देश में आजादी के बाद पहली और फिलहाल अंतिम बार इमरजेंसी यानि आपातकाल 50 साल पहले लगा था। उस समय कांग्रेस का शासन था और प्रधानमंत्री के पद पर श्रीमती इंदिरा गाँधी थीं। इमरजेंसी लागू होने के बाद विपक्षी नेताओं को चुन-चुन कर गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया था।
आज की ‘ इमरजेंसी ‘ रजतपट की ‘ इमरजेंसी ‘ है।
असली ‘इमरजेंसी 25 जून, 1975 को घोषित की गयी थी , इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल लगाए जाने पर अपनी मुहर लगाई थी। ये इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये 21 महीने काफी विवादास्पद रहे। इन 21 महीनों में जो कुछ भी हुआ उसके लिए अनेक राजनीतिक दल अभी भी कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं। संयोग से आपातकाल के समय इन पंक्तियों का लेखक यानि मैं समझदार हो चुका था,लेकिन क़ानून की दृष्टि में नाबालिग था इसलिए औरों की तरह जेल नहीं गया।उन दिनों दूरदर्शन नहीं था केवल रेडियो था इसलिए देश में इमरजेंसी लगाए जाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो के माध्यम से की थी। 26 जून, 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर कहा, ‘राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है।’
मुझे अच्छी तरह से याद है कि आपातकाल की घोषणा किए जाने के कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर सशर्त रोक लगा दी थी, जिसमें लोकसभा के लिए श्रीमती इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य घोषित किया गया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को संसदीय कार्यवाही से दूर रहने को भी कहा था । वैसे इमरजेंसी से पहले इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी। तत्कालीन 521 सदस्यीय संसद में कांग्रेस ने 352 सीटें जीती थीं। दिसंबर 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान के युद्ध से आजाद कराकर इंदिरा गांधी आयरन लेडी के नाम से जानी जा रही थीं। इसके कुछ सालों बाद ही देश में इमरजेंसी की घोषणा ने आयरन लेडी के कामों पर ही सवाल खड़े कर दिए थे।
जिस समय देश में पहली बार ‘ इमरजेंसी ‘ लगाईं गयी थी उन दिनों गुजरात में सरकार के खिलाफ छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। बिहार में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन चल रहा था। 1974 में जॉर्ज फर्नांडीस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल चल रही थी। 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें रायबरेली से इंदिरा गांधी के लोकसभा के लिए चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया गया था। गुजरात चुनावों में पांच दलों के गठबंधन से कांग्रेस की हार और 26 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्ष की रैली ने इंदिरा गांधी की सरकार को मुश्किल में डाल दिया था।
देश में यदि इमरजेंसी न लगती तो देश को भाजपा न मिलती। इंदिरा गाँधी की इमरजेंसी में तमाम ज्यादतियां भी हुईं , लोगों की जबरन नसबंदी कराई गयी, अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाये गए । लेकिन इमरजेंसी में नागरिक बोध भी बढ़ा । सरकारी दफ्तरों में अधिकारी कर्मचारी ही नहीं बल्कि रेलें ,बसें भी समय से चलने लगीं। लेकिन इमरजेंसी एक काला अध्याय बनी सो बनी। इस इमरजेंसी के लिए बाद में कांग्रेस और इंदिरा गाँधी परिवार के अनेक सदस्य सदन के भीतर और सदन के बाहर देश से माफ़ी भी मांग चुके हैं ,लेकिन भाजपा ने कांग्रेस को कभी माफ़ नहीं किया ,और अब तो इमरजेंसी पर फिल्म ही बना दी। वैसे
देश में इमरजेंसी पर पहले भी अनेक फ़िल्में बनी।”किस्सा कुर्सी का”और “आंधी” जैसी फ़िल्में भी बनी जो काफी चर्चित और विवादास्पद भी रही।
“इमरजेंसी” फिल्म की नायिका भाजपा की सांसद कंगना रनौत हैं। कंगना ने श्रीमती इंदिरा गाँधी की भूमिका में जान डालने की बहुत कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुईं। कंगना से पहले सुचित्रा सेन ने फिल्म “आंधी”में इंदिरा गाँधी बनने की कोशिश की थी। इमरजेंसी देखकर लौटे हमारे मित्र बता रहे हैं कि”कंगना की इमरजेंसी” इंदिरा गाँधी को खलनायक भी ढंग से नहीं बना पायी ,कोशिश जरूर की। बेहतर होता की फिल्म के लिए कंगना की जगह प्रियंका वाड्रा को चुना जाता। एक तो कंगना के मेकअप का खर्च बचता ,दूसरे अभिनय में जान भी आती। दरअसल इंदिरा गाँधी की नकल करना आसान नहीं है।
आज की “इमरजेंसी” देखने वालों को ये जानना जरूरी है कि जिस इंदिरा गाँधी को फिल्म के जरिये खलनायिका दिखाया गया है,उसी इंदिरा गाँधी को बाद में देश ने प्रधानमंत्री भी चुन लिया था।
फिलहाल तो खबर है कि पहले दिन जहां ‘ इमरजेंसी ‘ ने 2.5 करोड़ का बिजनेस किया था वहीं दूसरे दिन ये आंकड़ा 2.74 करोड़ पहुंच गया है। इस हिसाब से फिल्म का कुल कलेक्शन 5.24 करोड़ रुपये पहुंच गया है। संभावना है कि ये आंकड़ा अभी और बढ़ेगा और फिल्म को सप्ताहांत का भरपूर फायदा मिलता नजर आ रहा है लेकिन प्रयागराज में महाकुम्भ के कारण इमरजेंसी उतना आर्थिक लाभ नहीं दे पा रही है जितना की अनुमान लगाया गया था। लेकिन दिल्ली विधानसभा के चुनावों में इसका राजनैतिक लाभ लेने की भरपूर कोशिश की जाएगी।
‘कंगना की ‘ इमरजेंसी ‘ कामयाब हो ,ऐसी मेरी शुभकामनायें हैं ,लेकिन मेरी शुभकामनायें कंगना के कितने काम आएंगीं ,मैं खुद नहीं जानता।

(विनायक फीचर्स)

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