चिटगल की पावन धरा पर एक से बढ़कर एक महापुरुषों ने जन्म लेकर इस भूमि को धन्य किया ऐसे ही महा पुरुषों में एक थे पद्मा दत्त पंत
स्व० श्री पद्मा दत्त पंत जी का नाम जुबा पर आते ही अतीत की अनेक सुनहरी यादें ताजा हो जाती है सत्य व निष्ठापूर्ण जीवन की अद्भूत मिशाल परोपकार की महान् मूर्ति चिटगल गाँव के गौरव को देश दुनियां में प्रकाशित करनें वाले स्व० श्री पंत ने अपने जीवन काल में मर्यादा को सर्वाधिक महत्व दिया निष्पक्ष व जन सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता को नई दिशा दी अपनें दौर में संदेश सागर नामक समाचार पत्र का प्रकाशन करके उन्होंने पत्रकारिता जगत में एक नई क्रांति को जन्म दिया था वर्षों पूर्व बन्द हो चुके समाचार पत्र का नाम आज भी लोगों की जुबां पर बड़े ही सम्मान के साथ अंकित है
स्वर्गीय श्री पद्मा दत्त पंत जी का जीवन विराट संघर्षों की गाथा रही है गांव से निकलकर हल्द्वानी शहर में आकर उन्होंने सनातन संस्कृति कि जो आभा बिखेरी वह अपने आप में अनूठी मिशाल रही चिटगल गांव व आसपास के ग्रामीण जब कभी हल्द्वानी शहर आते थे तो उनके लिए स्वर्गीय श्री पद्मा दत्त पंत सबसे बड़ा सहारा होते थे चाहे चिकित्सा संबंधी समस्या हो या अन्य किसी भी प्रकार की कोई भी दिक्कत हो गांव वासी क्षेत्रवासी सबसे पहले उनके प्रतिष्ठान जगदंबा प्रेस पर पहुंचकर उन्हें अपनी समस्या से अवगत कराते थे क्योंकि उस दौर में यह एक ऐसा स्थान था जहां से सभी की आशाएं बनी रहती थी
यहां पहुंच कर इनका आश्रय पातें ही सारी समस्याओं का सहज में निदान हो जाया करता था वह तन मन धन से सभी की मदद करते थे गांव के गरीब तबके के लोगों के प्रति खासतौर से उनके हृदय में अगाध श्रद्धा थी सभी को समान भाव से मदद करना उनकी प्रकृति थी एक कुशल पत्रकार होने के साथ साथ वे मानवीय मूल्यों के महान रक्षक थे उनके निधन के पश्चात उनके पुत्र स्वर्गीय श्री प्रकाश चंद्र पंत ने अपने पिता के संस्कारों को बखूबी निभाया चिटगल स्वजन समिति की आधारशिला रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही लेकिन काल की गति को कोई नहीं जानता अभी बीते कुछ वर्षों पूर्व ही उनका निधन हो गया
उनके निधन के पश्चात उनके छोटे भाई चंद्रशेखर पंत अपने पिता व बड़े भाई के संस्कारों को पूरी तरह निभा रहे हैं गांव में हो रहे विकास कार्यों में वे निरंतर सहयोग प्रदान कर रहे है सहयोग के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं अपने समाज और संस्कृति हो आगे बढ़ाने के लिए एक ध्वज वाहक के रूप में निष्काम कर्मयोगी की भांति कर्म कर रहे हैं अपने समाज व संस्कृति को एकजुट करने में उनका जो योगदान वर्तमान समय में गतिशील है वह बड़ा ही आदरणीय है
कुल मिलाकर मानवीय गुणों की अद्भुत मिसाल रहे स्वर्गीय श्री पद्मा दत्त पंत जी हालकि वर्षों पूर्व इस नश्वर देह को छोड़ चुके हैं लेकिन उनकी स्मृतियां अतीत की सुनहरी यादों के रूप में आज भी हम सबके हृदय में है/// रमाकान्त ///



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