उत्सव व मेले सांस्कृतिक परम्परा का प्रमुख अंग: दिनेश पाण्डे, हल्दूचौड़ में कौतिक का शुभारम्भ आज से संस्कृति की झलक है हल्दूचौड़ का कौतिक मेला

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हल्दूचौड़।हल्दूचौड़ में आयोजित सात दिवसीय कौतिक मेला धूमधाम के साथ आज से आयोजित हो रहा है। कौतिक को लेकर समूचे क्षेंत्र में जबरदस्त उत्साह है मेले के आभामण्डल में झोड़े चाचरी के साथ साथ लोक देवताओं की झांकियां दर्शकों को उत्साह व उंमग से भरकर झूमनें को मजबूर कर देगी।
महोत्सव समिति के आयोजक दिनेश पाण्डे ने कहा उत्सव मेले लोक संस्कृति का प्रमुख अंग है।इनमें अपनी संस्कृति की झलक के दर्शन होते है।मेले ही एक ऐसा माध्यम है।जिनमें सामाजिकता व संस्कृति का एक साथ संगम देखनें को मिलता है।उन्होनें कौतिक मेले को संस्कृति का अनूठा संगम बताते हुए कहा इस तरह के आयोजनों से संस्कृति के दर्शन होनें के साथ ही पर्यटन एवं तीर्थाटनों को बढ़ावा मिलता है।तथा एक दूसरें के निकट आनें और आपसी सहयोग व सौहार्द की भावना बढ़ती है। तथा सांस्कृतिक आदान प्रदान होता है।उन्होनें कहा कि
मेले न केवल मनोरंजन के साधन हैं, अपितु ज्ञानवर्द्धन के साधन भी कहे जाते हैं। प्रत्येक मेले का इस देश की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक परम्पराओं से जुड़ा होना इस बात का प्रमाण हैं कि ये मेले किस प्रकार जन मानस में एक अपूर्व उल्लास, उमंग तथा मनोरंजन से मानव में उत्साह भरते है।यहां की संस्कृति यहाँ के मेलों में समाहित है। मेलों में ही यहाँ का सांस्कृतिक स्वरुप निखरता है। धर्म, संस्कृति और कला के व्यापक सामंजस्य के कारण हल्दूचौड़ के आंचल में मनाये जाने वाले इस उत्सव का स्वरुप बेहद आनन्दमय है उन्होनें कहा मेलो के माध्यम से संस्कृति का दर्शन होता है। जिनमें यहाँ के लोक जीवन, लोक नृत्य, गीत एवं परम्पराओं की भागीदारी सुनिश्चित होती है।

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