यादों के झरोखों से : चिटगल के महान् स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी ईश्वरी प्रसाद पंत

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गंगावली का गौरव कहे जाने वाले चिटगल गाँव का देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान रहा है इस गाँव के महान् स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी ईश्वरी प्रसाद पन्त ने देश को आजाद करानें में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी आजादी की लड़ाई में उन्होनें भी देश के लिए अनेक यातनाएं सही जेल गये लेकिन अपनें राष्ट्र धर्म को नहीं छोड़ा

देश को आजाद कराने में हमारे देश के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों का जो योगदान रहा है उसे शब्दों में नहीं समेटा जा सकता है तमाम स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों की भांति ही ईश्वरी प्रसाद पन्त के द्वारा देश के लिए किये गये योगदान की गाथा शब्दों से परे है
महान् राष्ट्र भक्त के साथ-साथ सनातन धर्म की रक्षा के प्रति भी उनकी निष्ठा बड़ी ही आदरणीय रही है

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चिटगल की बंशुधरा में जब-जब सत्य व राष्ट्र धर्म की रक्षा के लिए पूर्वजों के योगदान की चर्चा होती रहेगी, तब -तब इस गाँव के महान् स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी पराक्रमी योद्धा तपोनिष्ठ आध्यात्मिक जगत के अलौकिक महापुरुष ईश्वरी प्रसाद पंत जी का परम श्रद्वा के साथ स्मरण किया जाता रहेगा।और इनका स्मरण राष्ट्र भक्तों में राष्ट्र भक्ति व आध्यात्मिक ऊर्जा का नया संचार करेगा चिटगल गाँव के नाघर का ऑचल उनकी मधुर स्मृतियों को संजोये हुए है उनका निर्मल, निष्ठामय, कर्तव्यमय, सादगी भरा जीवन, क्षमा, व दया की प्रतिमूर्ति, मर्यादा के महान् रक्षक, महान् गौ भक्त, एक आत्मनिष्ठ, निष्काम कर्मयोगी, सहित जितनी भी उपमाएं है वे सब उनमें झलकती थी,

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जानकारी के अनुसार श्री ईश्वरी प्रसाद जी का जन्म चिटगल गाँव में सन् 1916 में हुआ था बचपन से ही देश भक्ति उनके हृदय में कूट – कूट कर भरी हुई थी आजादी की लड़ाई में उन्होने बढ़ चढ़ कर भाग लिया अंग्रेजी शासन के विरुद्ध बिगुल बजाने वाले स्व० श्री पंत को 1932 में नैनीताल में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया लंबे समय तक अल्मोड़ा जेल में रहने के बाद उन्हें रिहा किया गया आजादी के बाद उन्होंने अपना शेष जीवन अपनी जन्मभूमि में व्यतीत किया देश की प्रधान मन्त्री स्व० इन्द्रिरा गांधी ने भी उनके योगदान की प्रशंशा करते हुए उन्हें सम्मानित किया था वे सादगी की मिशाल थे हालांकि उन्हे शरीर छोडे काफी वर्ष बीत गये है वे हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनसे जुड़ी यादें सदैव स्मरणीय रहेंगी

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