माँ भद्रकाली क्षेत्र में बहने वाली पावन निर्मल नदी कमस्यार घाटी में मां भद्रकाली की ओर से भक्तजनों के लिए अनुपम भेंट है ।इस पावन नदी में स्नान का बड़ा ही महत्व है ।कहा जाता है कि इस नदी में स्नान करके जो अपने आराधना के श्रद्वापुष्प, माँ भद्रकाली के चरणों में अर्पित करता है ।उसके जीवन में सौभाग्य का उदयीकरण होता है ।समस्त तीर्थों के दर्शन उसे फलीभूत हो जाते हैं ।उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है ।तथा उसके समस्त रोग, शोक, दुख, दरिद्रता, एवं विपदाओं का हरण हो जाता है। प्राचीन काल से ही मां भद्रावती नदी में स्नान के पश्चात् पूजन की परंपरा चलती रही है ।जो आज भी यथावत जारी है ।मंदिर के निचले भाग से गुफा के भीतर से बहने वाली इसस नदी में अनेकों जलकुंड हैं जो माता भद्रकाली के स्नान कुंड के नाम से भी प्रसिद्ध है। गुफा के भीतर अनेक दुर्लभ शिव पिडियों के भी दर्शन होते हैं। इस स्थान पर यज्ञोपवित संस्कार आदि भी संपन्न किए जाते हैं। यहां पर किए गए स्नान का फल गंगा स्नान के समान फलदायी कहा गया है ।अनेक नामों से सुशोभित माँ भद्रकाली की भद्रेश्वर नदी माँ भद्रकाली की भांति ही अनन्त नामों से जानी जाती है इन नामों का श्रद्धापूर्वक उच्चारण ही गंगा स्नान के समान फलदायी कहा गया है। माँ भद्रेश्वर नदी के कुछ नाम इस प्रकार हैं
आदिति देव माता ,दिति दैत्यमाता,क्रदू सर्पमाता, विनता गरुड़ माता, सुरसा अग्नि गर्भा, रत्न गर्भा, विभावरी, शारदे, चंद्रकला ,नलकूबरों से सेवीत, अरिष्ठनेमी की पुत्री ,नहुष के आंगन में वास करने वाली ,शांतनु की ग्रहणी, भव्या ,वसुओं की माता, मध्य भाग वाली ,देवी की आराध्या ,सुरों को प्रीति देने वाली, यमुना ,चंद्रभागा ,सरयू, सरस्वती , नंद पर्वत पर निवास करने वाली, नंद प्रयाग में रहने वाली , रुद्राणी, रूद्र ,सावित्री, महा भयंकर नाद,करने वाली, बडे,भीषण पर्वत पर निवास करने वाली, केदार की चोटी पर निवास करने वाली, महाबली प्रभास करने वाली, मांधाता को जय देने वाली ,
वर्तमान का ज्ञान देने वाली ,शुक्राचार्य की माता, सौम्या ,व्यास माता, सुरेश्वरी ,शुभ अंक देने वाली, मुक्ति देने वाली, कार्तिक स्नान का फल देने वाली, पुष्कर क्षेत्र में निवास करने वाली, मैनाक पर्वत की चोटी पर रहने वाली ,महा प्रयाग में घरवाली, तीर्थराज को सजाने वाली,पुण्य नक्षत्र रूपा, पौष मास में अत्यंत फल देने वाली, एकादशी द्वादशी पुण्य सहायिका पुण्य देने वाली वाहिनी ,फाल्गुनी , चित्रा नक्षत्र से प्रीति रखने वाली , चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से वर्ष आरंभ करने वाली ,माधव को प्रीति देने वाली, विशाखा ,पटना ,वैशाली ,भानु सप्तमी वैशाख स्नान का फल देने वाली , पापनाशिनी ,दशहरा, निर्जला एकादशी , सब को सुख देने वाली, भाद्रपद में जन्म, महोदरी महानंद प्रदान करने वाली नाना अलंकार धारण करने वाली अलंकार प्रिया का आश्रय लेने वाली कामदेव धारी वस्त्र वाली, सर्व तीर्थ समस्त देवताओं और दानवों के रूप वाली ,काशी प्रांत में बहने वाली ,भारी प्रवाह वाली ,वायु से लहराने वाली ,सुख संपत्ति देने वाली ,मंदाकिनी नदियों में श्रेष्ठ ,समस्त देवों को नहलाने वाली, श्लोक मंत्र तंत्र शास्त्र से विनोद करने वाली, तंत्र तंत्र विद्या ,महादेव की स्त्री, नंदा बसवेश्वर का पालन करने वाली तीनों लोकों में निवास करने वाली, जानने योग्य वेद रूपा पापों का मर्दन करने वाली, मणियों की राशि से पूजनीय, प्रभात काल में समस्त लाल अंगों वाली ,शकल कामना प्रदान करने वाली प्रात काल की संध्या मध्यान काल की संध्या काल की संध्या,एवं शाम की संध्यामहोत्सवा, दुखों का नाश करने वाली ,अनेक दुखों का निवारण करने वाली , गज के समान गमन करने वाली, कमलों से प्राप्त, कमल के समान लाल वर्ण वाली छिन्नमस्ता, योग साधकों को अष्ट सिद्धि देने वाली ,सिद्धियों की पूजा ,सर्वरोग विनाशिनी ,जगत की आधार रूपा ,अप्रतिम रूप वाली, भद्र काल स्वरूपा ,मधु कैटभ नाशिनी ,योगमाया ,महामाया, नित्यानंद स्वरूपा ,चंद्रमुखी, चंद्रावती ,भागेश्वरी शंकर के पूजन में तत्पर ,सुभाषिनी ,अर्चन से प्रसन्न रहने वाली ,सुंदर वस्त्रों वाली ,अत्यंत मनोहर ,सुंदर प्रकाश वाली,देवताओं की आराध्या ,शोभना, सुवासिनी, रजोगुण से रहित , मुक्ति दायिनी,अहंकार वर्जित ,ममता रहित, मोह का नाश करने वाली, सभी कार्यों को करने वाली मोहिनी, सुमेरु के शिखर पर रहने वाली, ईश्वरी ,मुक्तकेशी ,वरुणा के यहां जन्म लेने वाली जया ,जालपा, वृंदा ,
कामधेनू स्वरूपा, चंपा, चंपा कली ,चंपा के समान कांति वाली ,सुंदर वस्त्र वाली ,चंचलतरंग वाली ,सभी ब्राह्मणों से पूजित, सगर के पुत्रों को स्वर्ग देने वाली, पंचमी, पंच सुंदरी, पॉच बाणों वाली, पांचों मुख वाली, पंचम रूप वाली, पितरों की माता, पितरों की पूज्या, पितरों को स्वर्ग देने वाली, भागीरथ कृपा सिंधु भवानी, आदि
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