गरमपानी–खैरना : प्रकृति, आस्था और पर्यटन का संगम स्थल

ख़बर शेयर करें

 

जहाँ पहाड़ों की गोद में बहती है शीतल शांति की धारा

खैरना (नैनीताल)
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित गरमपानी–खैरना क्षेत्र कुमाऊँ के प्रमुख प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों में प्रमुख है। यह स्थान अपनी निर्मल नदियों, घने जंगलों और देवस्थलों के लिए प्रसिद्ध है। नैनीताल से अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित यह क्षेत्र पहाड़ों की शांत गोद में बसा है, जहाँ हर यात्री को प्रकृति की ताजगी और देवभूमि का आशीर्वाद एक साथ मिलता है।

प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना
यहाँ गौला और कोसी नदियों का मिलन स्थल है, जो क्षेत्र की सुंदरता को और भी निखारता है। पहाड़ों से गिरते झरनों और बहती नदियों की मधुर ध्वनि मानो संगीत सी प्रतीत होती है।
सालभर यहाँ का मौसम सुहावना रहता है, और सर्दियों में हल्की धुंध पूरे क्षेत्र को रहस्यमयी रूप दे देती है।

यह भी पढ़ें 👉  देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल ने पत्रकार दीपक अधिकारी पर दबंगों द्वारा जान लेवा हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कड़ी कार्यवाही की मांग की है,

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता
गरमपानी–खैरना क्षेत्र कई प्राचीन मंदिरों का घर है। यहाँ का भवानी मंदिर, शिव मंदिर, और हनुमान मंदिर स्थानीय आस्था के प्रमुख केंद्र हैं।
कहा जाता है कि यह क्षेत्र भगवान शिव के ध्यान और साधना से जुड़ा रहा है, और यहाँ बहने वाला जल “औषधीय गुणों” से युक्त है। इसी कारण इस क्षेत्र का नाम “गरमपानी” पड़ा।

यह भी पढ़ें 👉  भीमताल का आध्यात्मिक केंद्र प्राचीन भीमेश्वरी मंदिर

पर्यटन और विकास का नया केंद्र
अब यह क्षेत्र प्राकृतिक पर्यटन का उभरता हुआ केंद्र बन रहा है। हर वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक नैनीताल या अल्मोड़ा जाते हुए यहाँ ठहरते हैं।
खैरना पुल से गुजरते समय नीचे बहती नदी और आसपास के जंगल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। स्थानीय बाजार में पहाड़ी उत्पाद, शहद, और जड़ी-बूटियाँ भी लोकप्रिय हैं।

यह भी पढ़ें 👉  गढ़-कुमाऊँ महोत्सव की तैयारियाँ जोरों पर, संयोजकों ने माँ अवंतिका के दरबार में टेका मत्था

शांति और आध्यात्म का प्रतीक
जो भी गरमपानी या खैरना आता है, वह केवल दृश्य नहीं, एक अनुभव लेकर लौटता है
प्रकृति के समीप रहने का, आत्मा से संवाद करने का, और देवभूमि की शक्ति को महसूस करने का।

गरमपानी–खैरना केवल एक पड़ाव नहीं, बल्कि कुमाऊँ की आत्मा का जीवंत प्रतीक है जहाँ हर पत्थर, हर लहर और हर हवा में देवभूमि की पवित्रता बसती है।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad