जनपद नैनीताल के बसगाँव की काशी में आंवला एकादशी पर आयोजित हुआ विशाल भण्ड़ारा

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आंवला एकादशी के पावन अवसर पर पवित्र पहाड़ों की गोद में स्थित बसगांव की काशी में टैक्सी यूनियन सुयालबाड़ी द्वारा विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया इस आयोजन में दूर दराज से यहाँ पहुंचकर भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया इस अवसर पर समूचे क्षेत्र में आध्यात्म की विशेष रौनक छायी रही

जनपद नैनीताल के सुयालबाड़ी पालड़ी गाँव में स्थित बसगांव के नीचे काशी, काशंगाड़ मन्दिर में आंवला एकादशी के अवसर पर क्षेत्र के वाहन स्वामियों के द्वारा कराये गये भण्डारे में उमड़ी भीड़ में भक्तों में गजब का उत्साह देखा गया यहां के आसपास पालड़ी बसगांव, सुयालबाड़ी, छीमी, मटेला, कासनोई हरतोला, सतपुरी, सुयालगाड, बिचखाली, टिकुरी, बड़ी बांज,ढोकाने,तरैना,पोखरी,सिमराढ़,मयेली,पाथरी,रौलखेत,बज्यूठिया,गुलाब घाटी,किलौर, तमाम आदि गांवों के भक्तजनों ने यहां पहुंचकर विशाल भंडारा एवं मेले का भाग लिया

आस्थावान भक्त नीरज सुयाल ने बताया हिमालय भूमि की आध्यात्मिक चेतना विराट है जितनी विराट यहां की यह धार्मिक चेतना है। उतनी ही विराट यहां के आध्यात्मिक स्थलों की महिमा है। यहां के पावन स्थल सदा ही ऋषि मुनियों की आराधना और तपस्या का केंद्र रहे है।इन स्थलों पर पहुंचकर आत्मा दिव्यता का अनुभव करती है,पुराणों में वर्णित इन स्थलों की महिमा का वर्णन अपने आप में अतुलनीय ही नहीं बल्कि आदितीय है उन्होंने कहा।उत्तराखंड में पर्यटन विकास की बातें व तीर्थाटन को विकसित किए जाने की बातें कई सालों से हो रही है। राज्य निर्माण से पहले भी केंद्र एवं प्रदेश सरकार (उत्तर प्रदेश) इन बातों को बखूबी के साथ प्रसारित करती रही। उत्तरांखण्ड़ के आर्थिक सामाजिक विकास में पर्यटन उद्योग व तीर्थाटन उद्योग सबसे महत्वपूर्ण है। इनके विकास की बड़ी बड़ी घोषणाएं आये दिन होती रहती है। घोषणाओं का लगातार अंबार राज्य गठन के साथ लगातार होता आया है।लेकिन जमीनी हकीकत यह है,कि राज्य में पर्यटन एंव तीर्थ स्थलों का विकास स्थापित हिल स्टेशनों से आगे नहीं बढ़ सका अनेक क्षेत्रों में स्थित पावन स्थल आज भी अपनी विशेष पहचान को छटपटा रहे हैं।सनातन संस्कृति के यह पावन स्थल ग्रामीणों की पूजा स्थल तक ही सीमित रह गए हैं ।जबकि इन पावन स्थलों का महत्व अपने आप में एक गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए हैं । ऐसे ही आध्यात्मिक गौरव का प्रतीक नैनीताल जिले के बस गांव,पालडी में स्थित गुप्तकाशी है। जिसे काशी भी कहते है जो प्रचार-प्रसार के अभाव में लोगों से दूर है।इस पावन गुप्तकाशी की महिमां का महत्व समूचे उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों में अद्भुत है

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