” जय मॉ बगलामुखी” पुस्तक के प्रकाशन पर भक्तों में भारी उत्साह

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जय मॉ बगलामुखी” पुस्तक के प्रकाशन पर भक्तों में भारी उत्साह
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लालकुआं( नैनीताल ), धार्मिक पुस्तक प्रकाशन की लम्बी श्रृंखला में एक और पुस्तक ” जय माँ बगलामुखी ” का पवित्र नाम सम्मिलित हो गया है । तीर्थाटन एवं धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रसिद्ध राम भक्त स्व० श्री उमाशंकर पाण्डेय जी की मधुर स्मृति में लिखी गयी  नैनीताल पर्यटन एवं परिवहन विकास सहकारी संघ लिमिटेड द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के आस्थावान भक्तों तक पहुंचाये जाने के बाद से उनमें भारी उत्साह देखा जा रहा है । खासतौर पर पुस्तक में संग्रहीत जानकारी परक व शोधपरक विषय सामग्री पाठकों को लुभा रही है
बीते दिवस अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मन्दिर वेरी पड़ाव के वरिष्ठ महामण्डलेश्वर सोमेश्वर यति महाराज को उक्त पुस्तक ससम्मान भेंट किये जाने पर श्री महाराज ने प्रसन्नता पूर्वक पुस्तक के लेखक, सम्पादक एवं प्रबन्ध सम्पादक को बधाई व आशीर्वाद प्रदान किया । उन्होंने कहा कि इस तरह का पावन अभियान आगे भी जारी रहे, इसके लिए उनकी शुभकामनाएं सदैव लेखक व सभी सहयोगियो के साथ है।
इसी क्रम में कोतवाली लालकुआं की सी ओ संगीता जी को भी जय माँ बगलामुखी पुस्तक सप्रेम भेंट की गयी। पुस्तक की विषय वस्तु से प्रभावित सीओ ने इस नयी पुस्तक को तीर्थाटन के लिए महत्वपूर्ण आधार बताया और कहा कि यह अभिनव प्रयास अत्यधिक सराहनीय है ।
विदित रहे कि नवरात्रि के पावन अवसर पर उक्त पुस्तक प्रकाशित की गयी और इस्कॉन के अन्तर्राष्ट्रीय सन्त श्रील नवयोगेन्द्र स्वामी के कर कमलों द्वारा पुस्तक का विमोचन सम्पन्न हुआ था । तब से पुस्तक को पढ़ने के लिए श्रद्धालु भक्त समुदाय में काफी उत्सुकता देखी जा रही है।

इसी क्रम में नगर पंचायत लालकुआं के पूर्व चेयरमैन रामबाबू मिश्रा व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्मठ समाजसेवी हरेन्द्र बोरा ने भी जय मॉ बगलामुखी के शानदार प्रकाशन पर खुशी जताई है । उक्त दोनों ही वरिष्ठ राजनेताओ को जब पुस्तक भेंट की गयी तो रामबाबू मिश्रा ने कहा कि उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने में पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी। श्री मिश्रा ने कहा कि इस रचनात्मक प्रयास की वह आगे भी उम्मीद रखते हैं।
कांग्रेस नेता हरेन्द्र बोरा व डा० उमेश चंदोला राजेन्द्र  कार्की ने पुस्तक भेंट स्वरूप प्राप्त करने पर पुस्तक के लेखक रमाकान्त पन्त को आभार जताते हुए उन्हें इस प्रभास के लिए बधाई दी और कहा कि धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन की यह श्रृंखला उत्तरोत्तर बढ़ती रहनी चाहिये । श्री बोरा ने कहा कि निःसन्देह इस कार्य में अनेक चुनौतिया हैं खासकर आर्थिक चुनौती से निपटना एक दुष्कर कार्य है। फिर भी यदि संकल्प शुद्ध हो तो कठिन कार्य भी सहज ही हो जाते हैं।

मदन मधुकर की कलम से

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