जागेश्वर धाम के मुख्य पुरोहित हेमन्त भट्ट ( कैलाश ) बने सप्तऋषि अखाड़ा के महामण्डलेश्वर

ख़बर शेयर करें

+ अब श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर ऋषिवर
कैलाशानन्द महाराज के नाम से जाने जायेंगे
+ उज्जैन नगरी में सम्पन्न पवित्र पट्टाभिषेक समारोह में जगद्गुरुओं द्वारा की गई महामण्डलेश्वर बनाए जाने की घोषणा
+ सनातन धर्म की मर्यादा व महान शाश्वत मूल्यों का पालन, संरक्षण, प्रचार व प्रसार का लिया पावन संकल्प
+ पूर्व से ही रहे हैं सनातन की सेवा में समर्पित

उज्जैन ( मध्य प्रदेश ),
विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम के मुख्य पुरोहित पण्डित हेमन्त भट्ट ( कैलाश ), सप्तऋषि अखाड़ा के महामण्डलेश्वर बनाए गए हैं।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सप्तऋषि अखाडा के पवित्र पट्टाभिषेक समारोह में विद्वान जगद्गुरुओं द्वारा उनको महामण्डलेश्वर पद की उपाधि से विभूषित किया गया ।

सनातन धर्म की इस महान उपाधि से सुशोभित होने के बाद से उनके शिष्यों, यजमानों, मित्रत्रणों, शुभ चिन्तकों तथा सन्त महात्माओं की ओर से बधाइयों का जैसे तांता लगा हुआ है।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में बीते दिवस सम्पन्न सप्तऋृषि अखाड़ा के समारोह में अखाड़े के कुल 13 सन्तों को महामण्डलेश्वर व मण्डलेश्वर की उपाधियां प्रदान की गयी, उन्हीं में जागेश्वर धाम के मुख्य पुरोहित हेमन्त भट्ट ( कैलाश ) को भी सनातन धर्म के महामण्डलेश्वर जैसे उच्च व सम्मानित उपाधि से विभूषित किया गया ।

यह भी पढ़ें 👉  जी-7 शिखर सम्मेलन 2025 : इज़राइल-ईरान संकट के वैश्विक व्यवस्था पर प्रभाव

पट्टाभिषेक समारोह में ही सप्तऋृषि अखाड़ा के संस्थापक श्री सच्चिदानंद बालप्रभु जी महाराज को, सप्तऋषि सम्प्रदायाचार्य श्रीमदजगद्गुरु सप्तऋषि पीठाधीश्वर पद पर विभूषित किया गया 
उपरोक्त सभी उपाधियों एवं श्रीपीठाधीश्वर पद की घोषणा , श्रीमदजगद्गुरु रामानुजाचार्य, श्री योगेश्वराचार्य एवं जगदगुरु श्रीअवधेश प्रपन्नाचार्य एवं अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय सत्र अखाड़ा परिषद- ऋषि हरमनोज दास गुरुजी के पावन सान्निध्य में की गई ।
नये महामण्डलेश्वरों तथा मण्डलेश्वरों से जगद्गुरुओं द्वारा अपेक्षा की गई कि वे सभी सनातन धर्म की सेवा में सदैव समर्पित रहेंगे और सनातन की रक्षा एवं प्रचार प्रसार कर रहे तथा निरंतर धार्मिक कार्यो में संलग्न रहने वाले सप्तऋषि अखाड़े के सम्माननीय एवं पूजनीय पदाधिकारियों की तरह अपने पावन उद्देश्य के पथ पर निरन्तर अग्रसर रहेंगे।
इस अवसर पर विश्वभर से कई मठों ,धामों ,तथा अखाड़ों से चयनित विभिन्न राज्यों से धर्माचार्य सनातनी विभूतियों को चयनित किया गया । बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में चयनित पदाधिकारियों का सनातनी परम्परा एवं अनुष्ठान के अनुरूप शुद्धिकरण अर्थात पट्टा अभिषेक कार्यक्रम सम्पन्न कराया गया ।
इस पावन अवसर पर जगद्गुरुओं द्वारा उनका उचित मार्गदर्शन करते हुए कहा गया कि किस प्रकार उन्हें सनातन के मार्ग में आगे कार्य करने हैं। इसी के साथ उनको उचित दिशा-निर्देश एवं धर्मसम्मत आदेश भी जगतगुरुओं द्वारा दिया गया । सपतऋषि अखाड़ा परिषद द्वारा जागेश्वर सप्तऋषि अखाड़ा के महामंडलेश्वर की उपाधी से सुशोभित किये जाने के पश्चात कैलाशानंद महाराज ने सदैव की तरह सनातन धर्म की मर्यादा एवं शाश्वत मूल्यों के संरक्षण, प्रचार-प्रचार नई ऊर्जा के साथ करते रहने का संकल्प लिया । इसके साथ- साथ महाराज ने धर्मांतरण रोकने, नए आश्रम व धर्मशालाओं का निर्माण करने, नशा मुक्ति व धार्मिक ज्ञान वर्द्धन आदि के लिए लगातार कार्य किये जाने का संकल्प भी दोहराया ।
बताते चलें कि नव नियुक्त महामण्डलेश्वर कैलाशानंद महाराज का सनातन धर्म के प्रति आस्था व धार्मिक क्रिया कलापों सदैव संलग्न रहना, पुरोहित परम्परा से ही चलता आया है।अनेकानेक सन्त-महात्माओं का अनुसरण इनके द्वारा पूर्व से ही किया जाता रहा है। उनकी इसी सनातन आस्था व सनातनी सदआचरण को देखते हुए सप्तऋृषि अखाड़े के द्वारा उनको महामंडलेश्वर की उपाधी के लिए सर्वविध योग्य पाया गया । उज्जैन पट्टाभिषेक समारोह के दौरान इस आयोजन में आचार्य लोकेश जोशी, आचार्य नीरज तिवारी, पंडित विनोद जोशी व पंडित विशाल भट्ट आदि सम्मलित थे।
उज्जैन महाकाल की नगरी से “महामंडलेश्वर” की उपाधि लेने के पश्चात हल्द्वानी आगमन पर नगर के सैंकड़ों लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया गया।
*मदन जलाल मधुकर

Ad