भागवत के प्रत्येक श्लोक में श्री कृष्ण प्रेम सुगन्धि है: नमन् कृष्ण महाराज

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लालकुआँ के प्रसिद्ध शक्ति स्थल माँ अवंतिका मंदिर में आज गुरुवार से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हो गया है । लोक कल्याण, स्व कल्याण व क्षेत्र की सुख समृद्धि के लिए गोपी गर्ग व उनके परिवार द्वारा आयोजित इस कथा को लेकर विशेष उत्साह है।उत्साह व उमंग का प्रमुख कारण यह भी है।कि यहां कथा का वाचन प्रसिद्ध कथावाचक भागवत किंकर श्री नमन् कृष्ण महाराज अपनी सुधामय वाणी की धार से कर रहे है । श्रीमद् भागवतकथा के मर्मज्ञ धर्म मार्तण्ड श्री नमन् कृष्ण महाराज जी आध्यात्मिक जगत में एक विराट हस्ती है। भक्तजन उनकी सादगी व सुधामय वाणी के कायल है मृदुभाषी श्री नमन् जी कथा के माध्यम से जीवन जीने की सरल व अलौकिक राह प्रदान करते है। भक्तजन उनकी सादगी व सुधामय वाणी के कायल है।
एक मुलाकात के दौरान श्री महाराज ने भागवत कथाओं का सार प्रकट करते हुए भागवत की महिमां पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा था। जीवन का सार है श्रीमद् भागवत कथा, यह पावन कथा ज्ञान, कर्म, आध्यात्म और जीवन कल्याण का मार्ग प्रदर्शित करती है इसलिए जीवन में जब भी श्रीमद् भागवत कथा आयोजन श्रवण का अवसर मिले तो उसे श्रद्वापूर्वक ग्रहण करना चाहिए भागवत कथा सुनने से जीवन को मुक्ति मिलती है। और आनन्द का संचार होता है।उन्होनें बताया जीवन का ज्ञान श्रीमद्भागवत कथा से ही प्रकट होता है। भागवत कथा का श्रवण,मनन,व पालन समस्त दु:खों का अंत है जो जीवन को मर्यादित रहने की प्रेरणा देता है। अगर जीवन की व्यथा को दूर करना हो तो भागवत कथा का श्रवण कर प्रभु के चरणों में अनुराग करना चाहिए। यही जीवन की सार्थकता है।
उन्होनें कहा श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि हैभगवानशुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग का अभय रस है।इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है।
अष्टादश पुराणों में भागवत अभयत्व प्रदान करनें वाला नितांत महत्वपूर्ण तथा प्रख्यात पुराण है। श्रीमद्भागवत में भक्तिरस तथा अध्यात्मज्ञान का समन्वय उपस्थित करता है। भागवत निगमकल्पतरु का स्वयंफल माना जाता है जिसे नैष्ठिक ब्रह्मचारी तथा ब्रह्मज्ञानी महर्षि शुक ने अपनी मधुर वाणी से संयुक्त कर अमृतमय बना डाला है।
श्री महाराज ने कहा श्रीमद्भागवत सर्व वेदान्त का सार है। उस रसामृत के पान से जो तृप्त हो गया है, उसे किसी अन्य जगह पर कोई आवश्यकता नही रह जाती। श्री सूत जी महाराज ने सनकादिक ऋषियों को भागवत की महिमां बताकर धन्य किया। श्रीमद् भागवत उस वृक्ष का अमृत फल है।जो अभयत्व के साथ साथ सहज में ही मुक्ति प्रदान करता है। इसलिए श्रवण योग्य श्रीमद् भागवत ही है जहाँ भगवत कथा हो रही हो वहाँ परमात्मा के सानिध्य का आनंद ही कुछ और होता है जहाँ संत्सग है वही राम राज्य है साथ ही उन्होनें सत्य के महत्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला श्री महाराज ने कहा जब अनेक जन्मों के पुण्य फल उदय होते है तब भागवत कथा श्रवण का फल प्राप्त होता है
श्री महाराज ने कहा कथा की सार्थकता तब सिद्व होती है जब हम इसे अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है,इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए भागवत कथा के श्रवण का आनन्द लेनें को सदैव तत्पर रहना चाहिए।क्योकिं यही वह कथा है।जिसके श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।
श्री महाराज ने कहा माया रूपी अज्ञान जब जीवन को घेर लेता है वहीं से अज्ञान जन्म लेता है अज्ञान के जन्म का प्रमुख कारण मोह है सभी रोगों के मूल में मोह है मोह व मद् रूपी अधंकार को भागवत नष्ट कर देता है विनम्रता रुपी ज्ञान ही सत्संग है

इस अवसर पर नगर पंचायत अध्यक्ष लाल चन्द्र सिंह पूर्व चैयरमैन कैलाश चन्द्र पन्त रामपाल शर्मा जगदीश चन्द्र जैन सम्पादक आशा शैली व्यापार मण्डल अध्यक्ष दीवान सिंह बिष्ट उपाध्यक्षा मीना रावत संजीव शर्मा माँ अवंतिका मंदिर के आचार्य प० चन्द्रशेखर जोशी आचार्य प० विवेक पाण्डे प० गिरीश भट्ट प० ब्रजेश पन्त प० त्रिलोचन जोशी संगीतज्ञ प० रवि शंकर प० छोटू शरण शर्मा प० श्याम दादा दीप चन्द्र लोहनी विनोद श्रीवास्तव आनन्द बल्लभ डौर्बी ईष्ट देव पाण्डे जीवन सिंह भण्डारी राजेश गोयल
यजमान परिवार के हनुमान प्रसाद गर्ग गणेश गर्ग व गोपी गर्ग सहित तमाम मौजूद रहे

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