जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट क्षेत्र में स्थित जीबल गांव इन दिनों आध्यात्म के रंग में रंगा हुआ है गंगावली का यह पावन क्षेत्र अपने आध्यात्मिक विरासत के लिए पौराणिक काल से प्रसिद्ध है जीबल गांव के एक ओर विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर की गुफा है तो गांव की सरहद पर दूसरी ओर चोटी में स्थित खुले आकाश के नीचे स्थित ऊधाणेश्वर महादेव विराजमान है जनश्रुतियों में महादेव के इस पावन स्थल की गाथाएं बेहद रहस्यमयभरी व लोकप्रिय है
माता महाकाली के आंचल में स्थित जीबल गांव के समीपस्थ की चोटी में महान् ऋषि भृगु ने तपस्या करके अलौकिक सिद्धियां प्राप्त की व संसार में ज्ञान का अद्भूत प्रकाश बिखेरा भृगु ऋषि की तपोभूमि भृगतम्ब जिसे स्थानीय भाषा में भरभ्यों डान कहा जाता है अपने पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है स्कंद पुराण के मानस खण्ड में यहां का सुन्दर वर्णन वर्णित है इस चोटी पर गुफा के भीतर मौजूद शिवलिंग बेहद आकर्षण का केन्द्र है
इस भूभाग में जहाँ देव मंदिरों व शक्ति स्थलों की लंबी श्रृंखलाएं मौजूद है वही अनेक गुफाएं युगों-युगों के इतिहास को अपने आँचल में समेटे हुए है समीपस्थ ही चिटगल गाँव में स्थित सैम देवता का दरबार शिव भक्तों के लिए भगवान शिव की ओर से अलौकिक सौगात है शिव व शक्ति की इस पावन भूमि में ग्राम देवताओं की विरासत धार्मिक चेतना को तो जगाती ही है साथ ही यहां के इतिहास और सामाजिक विकास को जानने समझने का मौका भी मिलता है इन तमाम लोक देवताओं का प्रत्यक्ष या परोक्ष सम्बध शिव व शक्ति से जोड़ा जाता है इस कारण यहां ग्राम देवताओं के मंदिरों के आसपास शिवजी या शक्ति अर्थात् दुर्गा की पूजा जरूर होती है
पवित्र पहाड़ियों की इन्ही चोटियों के मध्य जीबल गाँव में स्थित छुरमल देवता का मंदिर जन आस्था का केन्द्र है इसी मंदिर में इन दिनों बाईसी महायज्ञ का आयोजन चल रहा है यहां इस आयोजन की शुरुवात 28 फरवरी से हुई है जिसका पारायण 7 मार्च को होगा क्षेंत्र की सुख, समृद्धि व मंगलकामना को लेकर यहां बाईसी यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जिससे समूचे क्षेत्र का वातावरण आध्यात्म की छटाओं से निखरा हुआ है भक्तों में जबरदस्त उत्साह का संचार है इस यज्ञ के माध्यम से श्रद्धालु देव डांगरियों से क्षेत्र की खुशहाली का आशीर्वाद मांगते हैं। महायज्ञ में भाग लेने के लिए क्षेत्र से बाहर रहने वाले अनेक लोग परिवार सहित यहां पहुंचे हैं। जिससे गाँव तथा क्षेंत्र की रौनक अद्भूत सांस्कृतिक आभा बिखेरे हुए है
बाईसी पूजा देवभूमि उत्तराखंड की लोक संस्कृति के प्रमुख धार्मिक अनुष्ठानों में से एक है जो लोक देवी तथा देवताओं जैसे छुर्मल देवता , सैम देवता , गोलू देवता , आदि मंदिरों में आयोजित किये जाते हैं।
समृद्धि सुख शान्ति व मंगलकारी लोक देवता छुरमल देवता देवभूमि उत्तराखंड के पावन पूज्यनीय देवता है लोकमान्यताओं में इन्हें पशुपालकों के देव के रूप में भी पूजा जाता है इन्हें दूध का भोग बेहद प्रिय है इनकी पूजा व स्तुति में गाय के दूध का विशेष महत्व बताया जाता है
देवराज इन्द्र की सभा के प्रमुख देवता के रूप में भी ये पूज्यनीय है लोकगाथाओं में इनकी गाथा यहां लगने वाले जागरों में विशेष रूप से गायी जाती है इनके पिता कालसिण देवता भी यहां की पावन धरा पर श्रद्धा व विश्वास के साथ पूजित है और अधिकतर स्थानों पर पिता व पुत्र के मंदिर आमने-सामने ही होते है र्स्वग लोक में जहाँ देवराज इन्द्र की सभा में प्रमुख देवता होने का इन्हे गौरव प्राप्त है वही भूमण्डल में हिमालय की वादियों में इनकी पूजा बड़े ही विधि-विधान के साथ की जाती है
पाताल मण्डल के निकट जीबल गाँव में तो इनके प्रति भक्तों में जो आस्था है उसका भव्य स्वरूप इन दिनों यहां आयोजित बाईसी में देखा जा सकता है ये जीबल गाँव के प्रमुख देवता के रूप में पूजित है सूर्य पुत्र अंगराज कर्ण के साथ भी इनका नाता माना जाता है इनकी पूजा के पावन अवसरों पर जहां इनके पिता कालसिण देवता का स्मरण किया जाता है वही इनकी माता जो महान् ऋषि ऋषि मणी की पुत्री थी उनकी भी स्तुति की जाती है इनकी माता का नाम हियूंला था हिम पर्वत श्रृंखलाओं में भगवान शिव की आराधना के कारण हियूंला कहकर पुकारा जाता है माना जाता है कि भगवान सूर्य के वरदान व कृपा से ही इन्हे महा प्रतापी पुत्र छुरमल की प्राप्ति हुई इनके पालन पोषण में इनके माता के संघर्ष की गाथा बड़ी ही विराट व अद्भूत है जब इस गाथा का वर्णन लोक गीतों में गाया जाता है तो ध्यान पूर्वक सुनने वाले की आखें छलक पड़ती है
बारहाल जीबल गाँव में इन दिनों बाईसी की धूम से यहाँ आध्यात्म की अद्भूत छटा छाई हुई है इस गाँव के अधिकतर लोग भारतीय सेना में सेवारत है इस गाँव के वीर सैनिकों के वीरता के किस्से अक्सर छाये रहते है पशुपालन के क्षेत्र में भी जनपद पिथौरागढ़ का यह गाँव काफी प्रसिद्ध आसपास के गाँवों में जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होता है तो जीबल गाँव से ही दूध दही मंगाया जाता है
वरिष्ठ महामण्डलेश्वर श्री सोमेश्वर यति महाराज ने यहाँ आयोजित बाईसी कार्यक्रम के धार्मिक अनुष्ठान के लिए सभी क्षेत्रवासियो को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से हमें अपनी संस्कृति को नजदीक से जानने व समझने का अवसर प्राप्त होता है श्री यति महाराज ने बताया कि उनके गुरु ब्रह्मलीन संत स्वामी बाल कृष्ण यति महाराज जी कि इस क्षेत्र के प्रति अगाध श्रद्धा थी उनके सानिध्य में ही उन्होंने यहाँ की पर्वत मालाओं में विराजमान देवी – देवताओं के दर्शन किये थे साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पाताल भुवनेश्वर की पौराणिक गुफा भूतल का सर्वप्रधान तीर्थ है इसके सानिध्य में जितने भी तीर्थ है वे सभी आस्था का केन्द्र है



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