जनपद नैनीताल के इस घाटी में विराजमान है बेतालों के ईश्वर बेतालेश्वर महादेव

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उत्तराखण्ड़ के सभी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों व तीर्थस्थलों को तीर्थाटन विकास योजना के तहत विकसित कर स्थानीय रोजगार को पंख लगानें की बातें राज्य गठन के बाद से ही की जाती रही है ।बारी-बारी से राज्य की सत्ता में काबिज होती आयी काग्रेंस व भाजपा दोनों पार्टियों की सरकारों ने ऐसे दावे करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी परन्तु इस पर्वतीय राज्य का कितना दुर्भाग्य है,कि आज लगभग 2 2 वर्षों में भी इस दिशा में सिर्फ और सिर्फ कोरी बयानबाजियां ही होती रही है।परिणाम स्वरुप राज्य भर में तीर्थाटन विकास की असीम सभांवनाओं से भरपूर ऐसे एक नहीं हजारों धार्मिक स्थल पूरी तरह उपेक्षित पड़े है।धार्मिक,पौराणिक व सांस्कृतिक रुप से समृद्व ऐसा ही एक पौराणिक धार्मिक स्थल है/नकुआ दरबार ।

जनपद नैनीताल अन्तर्गत बेतालेश्वर घाटी में जीवनदायिनी कौशिकी गंगा (कोसी नदी)के पावन तट पर विराजित प्रसिद्ध लोक देवता नकुआ बूबू के प्रति क्षेत्रवासियों की जो अगाध श्रद्वा,स्नेह तथा विश्वास है। उसका शब्दांकन सभंव नही है।हाँ इसका सुखद अनुभव अवश्य किया जा सकता है। इस घाटी में तीर्थाटन विकास की असीम सभांवनाओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है,कि यहां कोसी नदी तटों पर नकूआ बूबू के चमत्कारिक दरवार के अलावा कर्कटेश्वर महादेव,गुफा महादेव,नीलाम्बेश्वर महादेव,सिद्वेश्वर महादेव,कौशलेश्वर महादेव,बिन्धेश्वर महादेव,वेतालेश्वर महादेव,मोटेश्वर महादेव,श्रीलक्ष्मी नारायण सिद्ध पीठ,श्री दुर्गापुरी धाम,हनुमान धाम,अमेल देवी मन्दिर ,गर्जिया देवी मन्दिर(ढिकुली)और अन्त में सीतेश्वर महादेव(सीतावनी)जैसै अनेकानेक पवित्र पौराणिक व धार्मिक स्थल सम्पूर्ण घाटी में यत्र तत्र अवस्थित है।तीर्थाटन विकास रोजगार की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण सम्पूर्ण बेतालेश्वर घाटी में लोक देवता नकुवा बूबू की महिमां कितनी चमत्कारिक है।उतनी ही रहस्यमयी भी है। इस क्षेत्र के आस्थावान भक्त मधुकर जलाल व राजेन्द्र त्रिपाठी बताते हैं , सरकारें यदि ऐसे स्थलों की ओर जरा भी ध्यान देती तो राज्य में बेरोजगारी की समस्या को बहुत हद तक हल किया जा सकता था। बेताल के रहस्य को समेटे इस घाटी की रोमांचकारी कहानी व बेताल के किस्से आज भी लोगों की जुबा पर रहते है लगभग 80 के दशक में इस इलाके में निकली बेलाल की बारात का समाचार समूचे देश में सूर्खियों में रहा था तब से इस भूभाग को विशेष रूप से प्रसिद्वी मिली लेकिन पर्यटन व तीर्थाटन के लिहाज से बेतालघाट क्षेत्र घोर उपेक्षा व दुर्दशा का शिकार है विक्रम व बेताल की कहानी किस्से इतिहास में जितने रोमांचकारी है, उतने ही रोमांचकारी यहां बेताल बुबू के किस्से है।

आध्यात्मिक दृष्टि से बेतालेश्वर घाटी के महाप्रतापी क्षेत्रपाल के रूप में पूजित नकुआ देवता भगवान शिव के सबसे शक्तिशाली गण माने जाते हैं। इतना ही नहीं वह भगवान शिव के सहस्रों गणों-भूत, पिशाच, यक्ष, गंधर्व, अलाई-बलाई, राक्षस, डाकिनी-शाकिनी इत्यादि के अधिपति भी माने जाते हैं।अनेकानेक दिव्य एवं चमत्कारिक शक्तियों के स्वामी नकुआ देवता मूलतः तमोगुणी स्वभाव के होने के बावजूद अत्यधिक शांत, सरल एवं अपने भक्तों से स्नेह रखने वाले देवता हैं। सम्पूर्ण बेतालेश्वर घाटी नकुआ देवता की दिव्य छांव में पूर्णतः सुरक्षित एवं संरक्षित मानी जाती है। जो कोई भी सच्चे एवं निर्मल भाव से नकुआ देवता की पूजा-उपासना करते हैं, वे हमेशा के लिए भयमुक्त जीवन जीने का आनन्द लेते है ऐसा मत स्थानीय श्रदालुओं का उनके प्रति रहता है। यही बेताल के ईश्वर वेतालेश्वर महादेव भी विराजमान है। जिनकी महिमा अपरंपार है। जिला मुख्यालय नैनीताल से लगभग 55 किमी0 की दूरी पर ‘‘बूबू’’ का यह पावन दरबार सदियों से जन-जन की आस्था एवं विश्वास का केन्द्र रहा है। सकता है।/////

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