जय मॉ बगलामुखी पुस्तक का शीघ्र होगा विमोचन ,पूर्व जज स्व० उमाशकर पाण्डेय को समर्पित है पुस्तक , रामभक्त जज की मधुर स्मृति में तीर्थाटन विकास को बढ़ावा देने का है प्रयास

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मधुकर की कलम से

* लालकुआं( नैनीताल), देवभूमि उत्तराखण्ड मे धार्मिक पर्यटन व तीर्थाटन की असीम सम्भावनाओ के मद्देजर ” जय मॉ बग लामुखी ” पुस्तक का शीघ्र ही विमोचन होने जा रहा है। यह पुस्तक महान प्रकृति प्रेमी, विद्वान रामभक्त जज, देवभूमि के प्रति गहरी आस्था रखने वाले आध्यात्म प्रेमी कवि स्व उमाशकर पाण्डेय को समर्पित की गयी है।
* चैत्र मास की पावन नवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रकाशित जय मॉ बगलामुखी पुस्तक के माध्यम से देवभूमि के प्राचीन देवस्थलों को प्रकाश में लाने और उनके आध्यात्मिक महत्व से देश दुनियां को परिचित कराने का यह एक सराहनीय प्रयास वरिष्ठ पत्रकार रमाकान्त पत द्वारा किया गया है पुस्तक का प्रकाशन नैनीताल पर्यटन एवं परिवहन विकास सहकारी सघ लि० द्वारा किया गया है इस कार्य में ललित पंत का विशेष योगदान है ।
* पुस्तक प्रकाशन का उद्देश्य, विषय सामग्री और रिटायर्ड जज स्व उमाकान्त पाण्डेय को समर्पित किये जाने के सवाल पर जब श्री पन्त जानने का प्रयास किया गया तो वह कहते हैं कि पुस्तक प्रकाशन का प्रमुख उद्देश्य सदैव की तरह उत्तराखण्ड के प्राचीन मन्दिरों,धर्मस्थलों एवं विरासत,संस्कृति व परम्पराओं को प्रकाश में लाकर राज्य में तीर्थाटन को बढ़ावा देने हेतु सरकार का ध्यान आकर्षित करना है। वह कहते हैं हिमालयी भूःभाग में तीर्थाटन से बढ़कर कोई अन्य उद्योग हो नहीं सकता । यदि सरकारें मिशन मोड में ऐसे उद्योग के विकास व विस्तार के लिए काम करे तो बाकी क्षेत्रों का विकास स्वतः ही होने लगेगा
* पूर्व जज की मधुर स्मृति में समर्पण को लेकर रमाकान्त पन्त कहते हैं कि स्व० उमाशंकर पाण्डेय अनेक वर्षों तक पहाड़ के अलग अलग जनपदों में जज रहे। अपने सेवाकाल में अपनी न्यायिक दायित्वो को बखूबी निभाते हुए भी उन्होंने पहाड़ की समस्याओं, यहाँ की धार्मिक भावनाओं, परम्पराओं तथा सरल जीवन शैली पर अनेक काव्य रचनाएं की । हिमालय को लेकर भी उनकी अनेक काव्य रचनाएं बेहद महत्वपूर्ण है
* यहाँ यह बताते चलें कि पूर्व जज स्व उमा शंकर पाण्डेय जी ने अपनी मृत्यु से पहले तक लगातार अयोध्या में श्री राम मन्दिर आन्दोलन में अग्रणीय भूमिका में रहे। सेवा निवृति के बाद वह स्व अशोक सिंघल के साथ इस आन्दोलन से जुड़ गये थे और मृत्युर्यन्त सक्रिय भूमिका में रहे।

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