केवट वंशज देवेन्द्र मुखिया केवट की माँ अवंतिका में अटूट आस्था

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सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर प्रतिवर्ष लालकुआँ पहुंचते हैं श्रद्धालु

लालकुआँ।
रामकथा की अमर परंपरा के साक्षात् प्रतीक, भगवान श्रीराम को गंगा पार कराने वाले केवट वंश की श्रद्धा आज भी उतनी ही जीवंत है।
बिहार के सरोजाबेला गाँव से प्रतिवर्ष लालकुआँ दर्शन को आने वाले देवेन्द्र मुखिया केवट माँ अवंतिका के ऐसे ही अनन्य भक्त हैं, जिनकी आस्था दूरी, समय और साधनों की सीमाओं को लांघकर यहाँ तक चली आती है।

देवेन्द्र मुखिया केवट बताते हैं कि माँ अवंतिका के प्रति उनकी श्रद्धा कोई नई नहीं, बल्कि श्रद्धा से चली आ रही आध्यात्मिक विरासत है।वे हर वर्ष सैकड़ों किलोमीटर की कठिन यात्रा तय कर लालकुआँ पहुंचते हैं और माँ अवंतिका के चरणों में शीश नवाकर स्वयं को धन्य मानते हैं।

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केवट की श्रद्धा और माँ अवंतिका की शक्ति

श्री केवट का कहना है—

 “यह स्थान साधारण नहीं है। यहाँ साक्षात् शक्ति का वास है। माँ अवंतिका के दर्शन मात्र से मन को अद्भुत शांति और आत्मा को बल मिलता है।”उनका मानना है कि जैसे त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने केवट पर भरोसा कर स्वयं को उनकी नाव में सौंपा था, वैसे ही आज माँ अवंतिका अपने भक्तों को जीवन-सागर पार कराने की शक्ति देती हैं।

रामभक्ति से शक्तिसाधना तक

केवट वंश का इतिहास सेवा, विनय और भक्ति से जुड़ा रहा है।
देवेन्द्र मुखिया केवट मानते हैं कि रामभक्ति और शक्तिसाधना परस्पर विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे की पूरक हैं।
जहाँ राम मर्यादा हैं, वहीं शक्ति साहस और संरक्षण है—और माँ अवंतिका इन दोनों का दिव्य संगम हैं।

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“माँ बुलाती हैं, तभी यहां तक पहुंच पाते हैं”

मंदिर परिसर में दर्शन के उपरांत भावुक स्वर में श्री केवट कहते हैं—

 “हर वर्ष मन में एक पुकार उठती है। ऐसा लगता है माँ स्वयं बुला रही हैं। जब तक यहाँ आकर उनके चरणों में शीश न झुका लूं, मन को चैन नहीं मिलता।”उनकी यह यात्रा केवल दर्शन नहीं, बल्कि आस्था की पदयात्रा है जिसमें थकान नहीं, केवल विश्वास चलता है।

अवंतिका धाम : दूर-दूर से खींच लाती है शक्ति

माँ अवंतिका का यह धाम आज केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता जा रहा है।
बिहार से आए केवट वंशज की यह निरंतर उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि माँ अवंतिका की महिमा सीमाओं में बंधी नहीं है।

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श्रद्धा का सेतु

जैसे केवट ने राम को पार लगाया,
वैसे ही आज उसका वंशज माँ अवंतिका के चरणों में आकर
अपने जीवन की नैया को शक्ति, श्रद्धा और विश्वास के सहारे आगे बढ़ा रहा है।

माँ अवंतिका के धाम में केवट की यह श्रद्धा
आने वाली पीढ़ियों के लिए भी भक्ति, सेवा और समर्पण का प्रेरक उदाहरण बनकर रहेगी।

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