स्वर्गीय श्रीमती मोतिमा देवी के निधन से पूरे क्षेत्र में छाया शोक, मानवीय संवेदनाओं और लोक–निष्ठा की अद्भुत मिसाल थीं
शान्तिपुरी की पावन धरती आज भी गहरे शोक में डूबी है। 83 वर्ष की आयु में स्वर्गीय श्री हिम्मत सिंह कोरंगा की धर्मपत्नी श्रीमती मोतिमा देवी के निधन को एक सप्ताह बीत चुका है, परंतु उनसे जुड़ी स्मृतियाँ आज भी उसी तरह जीवंत हैं जैसे वे कल ही मुस्कराते हुए आँगन में बैठी हों। पूरे क्षेत्र ने एक ऐसी व्यक्तित्वमयी मातृ शक्ति को खो दिया है, जिसकी मानवीय संवेदनाएँ, सादगी, लोक–निष्ठा और सेवा–भाव किसी मिसाल से कम नहीं थीं।
मानवीय गुणों की अद्भुत प्रतिमूर्ति
मोतिमा देवी अपने जीवन में जितनी सरल थीं, उतनी ही संवेदनशील भी। वे गाँव–समाज के हर सुख–दुख में सदैव तत्पर रहती थीं। कोई बीमार हो, कोई संकट में हो या किसी के घर कोई प्रसंग वे सबसे पहले पहुँचकर सहयोग करने वाली व्यक्तियों में थीं।
उनके जीवन की सबसे बड़ी पहचान थी—
विनम्रता
सहज संवाद
और मानवता के प्रति गहरी करुणा।
लोक विश्वास और देव–परंपरा में गहरी आस्था
मोतिमा देवी का व्यक्तित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था। शिखर भनार सहित विभिन्न लोक–देवताओं के प्रति उनकी गहरी निष्ठा थी। पूजा, आस्था और परंपरा को वे केवल धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा मानती थीं। उन्हें विश्वास था कि देव–शक्ति ही मानव को सही राह दिखाती है।
स्वर्गीय हिम्मत सिंह कोरंगा और परिवार की सेवा परंपरा
उनके पति स्वर्गीय हिम्मत सिंह कोरंगा भी समाज सेवा में अग्रणी रहे। कोरंगा परिवार पूरे क्षेत्र में सामाजिक दायित्वों और सक्रियता के लिए जाना जाता है।
उनके पुत्र—पान सिंह कोरंगा, मोहन सिंह कोरंगा, कमल सिंह कोरंगा भी उसी सेवा–परंपरा को आगे बढ़ाने में सदैव तत्पर रहते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व उनके पुत्र स्वर्गीय तारा सिंह के असामयिक निधन ने परिवार और क्षेत्र को गहरा आघात दिया था। तारा सिंह भी अत्यंत लोकप्रिय, सरल और समाज सेवा के लिए समर्पित व्यक्तित्व रहे, जिन्हें आज भी लोग श्रद्धा और भावुकता से याद करते हैं।
शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का निरंतर क्रम
मोतिमा देवी के निधन के बाद से ही उनके आवास पर सांत्वना देने वालों का क्रम थमा नहीं है। आज उनके घर पहुँचकर—वरिष्ठ पत्रकार भगवान सिंह गंगोला, लालकुआँ प्रेस क्लब अध्यक्ष बी.सी. भट्ट,हल्दूचौड़ प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रमोद बमेठा,वरिष्ठ पत्रकार ईश्वरी दत्त भट्ट, पत्रकार रमाकान्त पन्त
सहित अनेक गणमान्य लोगों ने परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की और उन्हें ढांढस बंधाया।
सदैव स्मरणीय रहेंगी मोतिमा देवी
मोतिमा देवी का जाना केवल एक परिवार का नहीं, पूरे क्षेत्र का अपूरणीय नुकसान है। उनकी सादगी, सेवा–भाव, हृदय की कोमलता और लोक–विश्वास के प्रति अगाध निष्ठा हमेशा लोगों के हृदयों में जीवित रहेगी।
वे अपने पीछे एक भरा–पूरा परिवार, असंख्य स्मृतियाँ और ऐसी जीवन की अमिट यादे छोड़ गई हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को मानवता का वास्तविक अर्थ समझाती रहेगी।
रमाकान्त पन्त
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