कुमाऊं मण्डल में पर्यटन विकास भाषणों तक सीमित

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दो दशक बाद भी पर्यटक स्थलों तक जाने वाली सड़कों का नहीं हो पाया चौड़ीकरण
जर्जर व गलीनुमा सड़कें कर देती हैं शर्मसार गन्दगी के कारण झीलों के सौन्दर्य पर संकट

वरिष्ठ पत्रकार मधुकर की विशेष रिपोर्ट
भीमताल ( नैनीताल ), कुमाऊं मण्डल अन्तर्गत तमाम पर्यटक स्थलों की दुर्दशा देख कर एक बात तो शीशे की तरह साफ़ हो जाती है कि राज्य गठन के दो दशकों के बाद भी यहाँ का पर्यटन विकास केवल और केवल भाषणों तक सीमित रह गया है।
राज्य गठन के पहले दिन से ही पर्यटन से रोजगार, विकास, खुशहाली जैसी लुभावनी बातें शुरु हो गयी थी और आज तक सरकारें यही शोर मचा रही हैं। दो दशक से पर्यटन विकास का निर्वाध रूप से चल रहा यह मंगलकारी जप कब तक चलेगा, कब इस महायज्ञ की पूर्णाहूति होगी कहना मुश्किल है लेकिन सरकारें और पर्यटन विभाग इस महायज्ञ में कौन से कचरे की आहूति दे रहे हैं, यह शोध का विषय अवश्य बन गया है।

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यह बात ठीक है कि पर्यटन विकास के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जाते रहे हैं, लेकिन वह धनराशि कहां और कैसे खर्च हुई इस बात का प्रमाण पर्यटक स्थलों तक जाने वाली जर्जर सड़कें दे-देकर थक चुकी हैं। इतना नहीं अपनी दुर्दशा और लगातार अनदेखी के चलते अब बहुत सी सड़कें हिंसक बनती जा रही ह्रै। घण्टों तक वाहनों को जाम कर देना, गड्ढों में पलट देना अब इनका स्वभाव बन गया है। मन में प्रकृति की सुन्दरता निहारने के अनेकों सपने संजोकर यहाँ आने वाले पर्यटको जब जगह – जगह जर्जर, गलीनुमा रोती हुई सड़कों मार्गो के आक्रोशसे जूझना पड़ता है तो बेचारे कान पकड़ उठक बैठक लगाते होंगे।

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भीमताल नगरी के समीपवर्ती झीलों को जोड़ने वाली सड़कों का हाल बड़ा बुरा है इन्हें चौड़ीकरण करने की जरूरत ही नहीं समझी गयी। गलीनुमा जर्जर सड़कें आवागमन को आज भी बाधित करती हैं। उस पर झीलों के आस-पास पसरी गन्दगी, कूड़े के ढेर, प्लास्टिक – वियर- कोल्ड ड्रिंक्स व शराब की बोतले न केवल झीलों का सौन्दर्य नष्ट कर रही हैं अपितु झीलों के अस्तित्व के लिए ही संकट बनती दिख रही हैं।
पर्यटन कारोबार से जुड़े नौकुचिया ताल क्षेत्र के तमाम लोगों का कहना है कि सरकार व पर्यटन विभाग
अब पर्यटन विकास का ढोल पीटना बन्द कर सर्व प्रथम सड़क मार्गों की सेहत ठीक करे और स्वच्छता का सख्ती से पालन कराये।
कुल मिलाकर कुमाऊं मण्डल में ज्यादातर पर्यटक स्थल आज भी उपेक्षित पड़े हुए हैं और रोज़गार सरकारी फाइलों में व्याप्त दीमक के हवाले छोड़ दिया है।

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