हल्दूचौड़ में कालिका माता के जय घोष के साथ निकाली गई भव्य कलश यात्रा

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कलश यात्रा का फल अश्वमेघ यज्ञ के समान : दुर्गा दत्त त्रिपाठी

हल्दूचौड़/ पूर्व कैबीनेट मन्त्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल के आवास में आज से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ हो गया है
कथा से पूर्व उनके डूंगरपुर आवास से भव्य कलश यात्रा कालिका माता के जयकारे के उद्‌घोष के साथ निकाली गयी यात्रा कालिका मन्दिर डूंगरपूर होते हुए प्राचीन शिवालय तक पहुंची जहाँ भगवान शंकर के जलाभिषेक के बाद यात्रा पुनः कथा स्थल पर आई सैकड़ों की संख्या में मातृशक्ति की अगुवाई में निकाली गई

यह यात्रा आध्यात्म जगत की यादगार यात्रा रही।इस यात्रा में जहां सैकड़ों मातृशक्तियों के सिरों पर क्लश शुसोभित थे।वही सैकड़ों की संख्या में भक्तजन नाचकर प्रभु की कृपा का यशोगान कर रहे थे।
कलश यात्रा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रसिद्ध संत श्री दुर्गा दत्त त्रिपाठी जी ने बताया हिन्दू रीति के अनुसार जब भी कोई पूजा होती है, तब मंगल कलश की स्थापना अनिवार्य होती है। बड़े अनुष्ठान यज्ञ यागादि में पुत्रवती सधवा महिलाएँ बड़ी संख्या में मंगल कलश लेकर शोभायात्रा में निकलती हैं। उस समय सृजन और मातृत्व दोनों की पूजा एक साथ होती है।यह क्लश यात्रा की सबसे बड़ी बात है। समुद्र मंथन की कथा काफी प्रसिद्ध है। समुद्र जीवन और तमाम दिव्य रत्नों और उपलब्धियों का आपार केन्द्र है।इसी से क्लश की लम्बी कथा जुड़ी है।

उल्लेखनीय है कि कलश के पात्र में जल भरा होता है। जीवन की उपलब्धियों का उद्भव आम्र पल्लव, नागवल्ली द्वारा दिखाई पड़ता है। जटाओं से युक्त ऊँचा नारियल ही मंदराचल है तथा यजमान द्वारा कलश की ग्रीवा (कंठ) में बाँधा कच्चा सूत्र ही वासुकी है। यजमान और ऋत्विज (पुरोहित) दोनों ही मंथनकर्ता हैं। पूजा के समय प्रायः उच्चारण किया जाने वाला मंत्र स्वयं स्पष्ट है*
*कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिताः मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृताः। कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा, ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामगानां अथर्वणाः अङेश्च सहितासर्वे कलशन्तु समाश्रिता*🥀।’

*💥🌹🍃अर्थात्‌ सृष्टि के नियामक विष्णु, रुद्र और ब्रह्मा त्रिगुणात्मक शक्ति लिए इस ब्रह्माण्ड रूपी कलश में व्याप्त हैं। समस्त समुद्र, द्वीप, यह वसुंधरा, ब्रह्माण्ड के संविधान चारों वेद इस कलश में स्थान लिए हैं। इसका वैज्ञानिक पक्ष यह है कि जहाँ इस घट का ब्रह्माण्ड दर्शन हो जाता है, जिससे शरीर रूपी घट से तादात्म्य बनता है, वहीं ताँबे के पात्र में जल विद्युत चुम्बकीय ऊर्जावान बनता है। ऊँचा नारियल का फल ब्रह्माण्डीय ऊर्जा का ग्राहक बन जाता है। मंगल कलश वातावरण को दिव्य बनाती है।सभी धार्मिक कार्यों में कलश का बड़ा महत्व है। यज्ञ, अनुष्ठान, भागवत यज्ञ आदि के अवसर पर सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है*।

*💥🌹🍃यहां यह भी गौरतलब है,धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश की स्थापना की जाती है। नवरा‍त्रि के दिनों में मंदिरों तथा घरों में कलश स्थापित किए जाते हैं तथा मां दुर्गा की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है।भागवत कथा से पूर्व निकाली गई * *

🥀कलश यात्रा के दर्शन से प्राणी के रोग,शोक,दुख,दरिद्रता एंव विपदाओं का हरण हो जाता है* कलश पर लगाया जाने वाला स्वस्तिष्क का चिह्न चार युगों का प्रतीक है। यह हमारी चार अवस्थाओं, जैसे बाल्य, युवा, प्रौढ़ और वृद्धावस्था का प्रतीक है*

*🌹💥पौराणिक शास्त्रों के अनुसार मानव शरीर की कल्पना भी मिट्टी के कलश से की जाती है। इस शरीररूपी कलश में प्राणिरूपी जल विद्यमान है। जिस प्रकार प्राणविहीन शरीर अशुभ माना जाता है, ठीक उसी प्रकार रिक्त कलश भी अशुभ माना जाता है*।
यही कारण है। कलश में दूध, पानी, पान के पत्ते, आम्रपत्र, केसर, अक्षत, कुंमकुंम, दुर्वा-कुश, सुपारी, पुष्प, सूत, नारियल, अनाज आदि का उपयोग कर पूजा के लिए रखा जाता है। इसे शांति का संदेशवाहक माना जाता है। हल्दूचौड़ में पूर्व कैबीनेट मन्त्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल के आवास पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा वाचन से पूर्व धर्म,आध्यात्म,शांति का यही संदेश आज क्षेत्र में निकाली गई कलश यात्रा में दिया गया

इस अवसर पर प्रसिद्ध विद्वान संत श्री दुर्गा दत्त त्रिपाठी जी श्री राजेंद्र गिरी महाराज जी उप व्यास पण्डित हेम चन्द्र पाण्डे आचार्य रमेश चन्द्र जोशी वेदपाठी ब्राह्मण चन्दन जोशी कृष्णा खुल्बे प० ललित चन्द्र लोहनी प० कमल जोशी कथा के यजमान श्रीमती एवं श्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री धारा बल्लभ दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री हेमचन्द्र दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री राकेश दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री हेमवन्ती नन्दन दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री पंकज दुर्गापाल
वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरेंद्र बोरा उमेश कबड़वाल कैलाश चंद्र बमेटा गोविंद बल्लभ भट्ट बच्ची पांडे अमित बोरा पीतांबर दुम्का रमेश तिवारी ग्राम प्रधान हरेन्द्र असगोला त्रिभुवन उप्रेती पूर्व बीडीसी मेंबर भास्कर भट्ट पूर्व ग्राम प्रधान बाला दत्त खोलिया ग्राम प्रधान मीना भट्ट रुक्मणी नेगी पुष्पा भट्ट पूजा बिष्ट डॉक्टर चंद्र सिंह दानू श्रील चंद्र खोलिया राजेंद्र सिंह बिष्ट राजेंद्र दुर्गापाल भगवान सिंह धामी हरीश जोशी दया किशन कबड़वाल दया किशन बमेटा संजय दुम्का मोहन कुड़ाई पुष्कर दानू सहित अनेकों भक्त जन मौजूद रहे

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