आंवला नवमी में यहाँ हुआ माँ बंगलामुखी का महायज्ञ

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आंवला नवमी के अवसर पर सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डे गुरुजी ने राप्ती नदी के तट पर राष्ट्र की सुख समृद्वि एवं मंगलकामना को लेकर माँ बंगलामुखी देवी का यज्ञ किया
इस अवसर पर उन्होने कहा
आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के पूजन और इसके नीचे प्रसाद ग्रहण जाता है। इस व्रत के दिन माँ के यज्ञ से परम वैभव व यश की प्राप्ति होती है
उन्होनें कहा लोक कल्याण के लिए स्व कल्याण के लिए, परलोक के कल्याण आत्म कल्याण के लिए, कल्याण के देवता भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए माँ बगलामुखी की साधना महाकल्याण का परम मार्ग है। इनकी भक्ति जीवन में उमंग का संचार करती है। इनका ध्यान मनोवांछित फल को प्रदान करता है। इनकी स्तुति मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। कुल मिलाकर इनकी महिमा का वर्णन अवर्णनीय है। उसे कोई भी शब्दों में नहीं समेट सकता है। फिर भी जो कोई प्राणी अपने आराधना के श्रद्धा पुष्प माँ के चरणों में अर्पित करता है, शब्दों की सीढ़ी बनाकर माँ की स्तुति करता है उस पर माता सदा कृपालु रहती है। दस महाविद्याओं में माँ बगलामुखी परम सौभाग्य को प्रदान करने वाली है। इनकी भक्ति के प्रभाव से अन्य महाविद्याओं की कृपा व्यक्ति पर स्वतः ही आ जाती है क्योंकि सभी माँ का रूप हैं इसलिए ये सर्वस्वरूपा है।

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