अतीत की यादें : श्री राम काज के ध्वज वाहक थे नारायण

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लालकुआँ/
माँ धुर्का देवी के अनन्य भक्त स्व० श्री नारायण भट्ट यादों की महक में सदैव जीवित रहेगें इन दिनों लालकुआँ नगर में श्रीराम लीला की रिहर्सल चल रही है कुछ दिनों में प्रभु की लीला का मंचन भी आरम्भ होगा समय की गतिशीलता चलते रहेगी लेकिन अतीत की यादों की छांव में बरबस ही नारायण भट्ट श्री राम भक्तों को अवश्य याद आयेगें
स्व० श्री नारायण भट्ट आध्यात्मिक विचार धारा के धनी व्यक्ति थे उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माँ धुर्का देवी के प्रति उनके हृदय में गहरी आस्था थी इस शक्ति स्थल को पहचान दिलवाने में स्वर्गीय श्री नारायण भट्ट की बड़ी अहम भूमिका रही थी क्षेत्र में आयोजित होने वाले हर धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर वे भाग लिया करते थे लोगों के दुख-दर्द में निष्काम भावना से सदैव सेवा में जुटे रहते थे उनके चेहरे की स्वभाविक मुस्कान अपनत्व का स्नेह प्रदान करती थी

श्री राम लीला के तालीम के दिनों से मंचन के दिनों तक उनकी बडी सक्रिय भूमिका रहती थी प्रारम्भिक पूजा से लेकर मंचन के आखिरी समय तक वे बड़े ही श्रद्धा के साथ प्रभु श्री राम चन्द्र जी के काज में सलग्न रहते थे पात्रों की पात्रता का भी बारीकी से अवलोकन कर उन्हें सुन्दर दिशा प्रदान करते थे श्री राम लीला के नवीनतम वस्त्रों के लिए दिल्ली शहर की यात्रा में भी उनकी अग्रणीय भूमिका रहती थी एक नहीं अनेकों ऐसे उदाहरण है जो उनके मानवीय गुणों की अद्भूत मिशाल को झलकाते थे कोरोना काल के भयावह चरण में वे हम सबका साथ छोड़ गये  काल की गति को कोई नहीं जानता है शायद यही ईश्वरीय इच्छा थी उनका असमय जाना बड़ा ही वेदना भरा रहा आज भी यह पीढ़ा उनके स्नेहीजनों के चेहरों पर अतीत की यादों में झलकती है
उनका सहज स्वभाव सहज स्नेह सदैव अनुकरणीय रहेगा प्रसंगवश बीते समय की यादें झलक आयी वे जहां जिस लोक में भी है प्रभु श्री राम उन्हें अपनें श्री चरणों में विश्रांति प्रदान करें

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