25 नाती व छ्ह दर्जन से अधिक पणनातियों का भरपुर परिवार है 106 साल की आमा का

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बिन्दुखत्ता /
आमा शब्द एक महातीर्थ है आमा शब्द एक मिठास है आमा शब्द सुखद अनुभूति की उमंग है आमा शब्द अतुलनीय है इस कलिकाल में लंबी उम्र जहां एक कल्पना बनते जा रही है वही 106 वर्ष की सरस्वती आमा के चेहरे पर आज भी गजब के उत्साह का संचार है।इनसे आशीर्वाद लेकर लोग अपनें सौभाग्य की सराहना करते है।

सरस्वती देवी अपने सभी कार्यों को आज भी स्वयं अपने हाथों से सम्पन करती है । उन्हें इस उम्र में भी किसी सहारे की आवश्यकता नहीं है ।बल्कि अपने बच्चों व नाती पोतों के लिए वे स्वंय विराट वट वृक्ष की भांति सहारा है । सात्विक जीवन की कसौटी पर 106 बसंत देख चुकी सरस्वती देवी को लोग प्यार से आमा कहकर पुकारते है। मूल रुप से देवभूमि उत्तराखण्ड़ के जनपद चमोली के ग्राम हरनी की रहनें वाली सरस्वती देवी पत्नी स्व० अमर सिंह बिष्ट अपने परिवारी जनों के साथ वर्तमान में अपने 55 वर्षीय नाती मदन सिंह बिष्ट के साथ इंद्रानगर बिन्दुखत्ता मे रहती है। इनके पड़ोसी सामाजिक कार्यकर्ता श्री श्याम सिंह बताते हैं । कि आमा का जीवन बेहद सात्विक है सभी स्नेहीजनों लोगों की आसल कुशल लेना उनसे मिलना जुलना आज भी इनकी दिनचर्या में शामिल है। इनके पुत्र पुत्रियो सहित 25 नाती व छ्ह दर्जन से अधिक पणनातियों का भरपुर परिवार है। इस युग में इस उम्र में स्वास्थ जीवन ईश्वरीय वरदान का महान् उपहार ही कहा जा सकता है।

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