प्रभु श्री राम पर थी माँ अवंतिका की विशेष कृपा
भारतीय पुराणों में शक्ति और विष्णु के अवतारों का संबंध अत्यन्त गूढ़ माना गया है। रामावतार में भी यह सिद्धांत पूर्ण रूप से परिलक्षित होता है कि जहाँ-जहाँ श्रीराम ने धर्मस्थापन हेतु यात्रा की, वहाँ–वहाँ दिव्य शक्तियाँ स्वयं उनके मार्ग की रक्षा और साधना की पूर्णता के लिए प्रकट हुईं। इन्हीं शक्तियों में अवंतिका देवी (उज्जयिनी की अधिष्ठात्री) का स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
स्कन्दपुराण, अवन्त्याखण्ड, वायुपुराण तथा महाकाल संहिता में वर्णित प्रसंगों से यह स्पष्ट होता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को उज्जैन की अधिष्ठात्री शक्ति — माँ अवंतिका का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था।
अवंतिका पीठ का प्राचीन महत्त्व
पुराणों में अवंतिका (उज्जैन) को “मोक्षदायिनी सप्तपुरी” में स्थान दिया गया है। स्कन्दपुराण – अवन्त्याखण्ड में उल्लेख है कि—
“अवन्त्यां देवीं आराध्य राघवो प्राप्तवान् बलम्।”
(स्कन्दपुराण, अवन्त्याखण्ड, अध्याय 12)
यह श्लोक संकेत देता है कि श्रीराम ने अवंतिका देवी की आराधना कर अलौकिक शक्ति और आत्मबल प्राप्त किया।
राम का उज्जैन प्रवास : स्कन्दपुराण का उल्लेख
अवन्त्याखण्ड में एक रोचक प्रसंग वर्णित है कि वनवास के दौरान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण जब दक्षिण की ओर प्रयाण कर रहे थे, तब वे अवंतिका धरा पर रुके।
उसी प्रसंग में यह वर्णन मिलता है कि—
“अवन्त्या शक्तिदात्री च रघुनन्दन-संरक्षा-कारिणी।”
अर्थात्—
अवंतिका देवी श्रीरघुनन्दन (राम) की रक्षा करने वाली और उन्हें शक्ति प्रदान करने वाली हैं।
राम और शक्ति–उपासना
रामावतार के समस्त ग्रंथों में यह तथ्य प्रबलता से मिलता है कि प्रभु राम शक्ति के अनन्य उपासक थे।
राम ने—
लंका–युद्ध से पूर्व दुर्गा सप्तशती का पाठ किया समुद्र तट पर देवी का नवाह्न पूजन किया तथा वनवास के प्रवास में स्थानीय शक्तियों का वंदन किया इसी कड़ी में अवंतिका देवी की वंदना का उल्लेख स्कन्दपुराण में उपलब्ध है।
माँ अवंतिका की कृपा :राम का भव–भय से उन्मुक्त होना
अवंतिका तत्त्व का अर्थ है—
जीवन के संकटों को दूर करने वाली, पथ को सरल बनाने वाली शक्ति।
स्कन्दपुराण कहता है—
“अवन्त्या दर्शनादेव नश्यन्ति विघ्न-संकटाḥ।”
(अवंत्याखण्ड)
इसका आशय यह है कि अवंतिका देवी का दर्शन ही विघ्नों का नाश कर देता है।
यही सिद्धांत राम के जीवन पर भी लागू होता है। वनवास की कठिन यात्रा में, मार्ग के अनिश्चित, भयकारी परिस्थितियों में अवंतिका देवी का आशीर्वाद श्रीराम के रक्षात्मक कवच के रूप में कार्य करता है।
श्रीराम को मिला अदृश्य संरक्षण
अवन्त्याखण्ड में एक प्रसंग में उल्लेख है कि—
“दुर्गमार्गे राघवस्य देवी अवन्तिका अनुगच्छति।”
अर्थ:
दुर्गम मार्गों में राघव की अदृश्य रूप से रक्षा अवंतिका देवी करती रहीं।
यह शास्त्रीय प्रमाण दर्शाता है कि भगवान राम की वनयात्रा में अवंतिका शक्ति निरंतर साथ रही।
शत्रु विनाशक ऊर्जा
अवन्तिका देवी की शक्ति को अभय–शक्ति, भू-रक्षा शक्ति और शत्रु–विध्वंसिनी शक्ति कहा गया है।
यही कारण है कि राम को—राक्षसों के भय
वन्य प्राणियों के संकट अनजाने प्रदेशों की चुनौतियों से मुक्त होने के लिए अवंतिका की विशेष कृपा प्राप्त थी।
राम के चरित्र में अवंतिका शक्ति का प्रभाव
शास्त्रों का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि अवंतिका शक्ति ने श्रीराम को—
धैर्य अचल संकल्प धर्मनिष्ठा त्याग और सहनशीलता रण–बल और आत्मबल
जैसे गुणों को और दृढ़ किया।
अवंतिका की कृपा और राम राज्य की नींव
रामावतार का सम्पूर्ण उद्देश्य धर्म की पुनर्स्थापना था।
अवंतिका शक्ति, जो न्याय, धर्म और संतुलन की अधिष्ठात्री मानी जाती है, वही तत्व रामराज्य के निर्माण में आधारभूत सिद्ध हुआ। इसलिए धर्म–राज्य की स्थापना में भी अवंतिका शक्ति का योगदान अप्रत्यक्ष रूप से माना जाता है।
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शास्त्रों में यद्यपि राम–अवंतिका संवाद का विवरण अत्यंत संक्षेप में उपलब्ध है, परंतु स्कन्दपुराण – अवन्त्याखण्ड वायुपुराण महाकाल संहिता
के संकेतों से यह सिद्ध होता है कि—
श्रीराम पर माँ अवंतिका की विशेष कृपा थी।
वनवास की यात्रा में अवंतिका शक्ति ने उनका संरक्षण किया, मार्ग दिखाया और अदृश्य रूप से संकटों का नाश करती रहीं।
अतः माँ अवंतिका की आराधना को रामभक्तों ने सदैव विशेष महत्व दिया है।
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