श्रीकृष्ण की लीलाओं की कथाओं को सुनकर आनन्द से झूम उठे श्रद्वालु श्रीमद् भागवत पारायण के अवसर पर जय माँ काली के जयघोष, हिम संत दुर्गा दत्त शास्त्री ने निर्मल मन को बतया प्रभु मिलन का सुगम पथ मधुर यादें महका गया आध्यात्म के रंग में रगां श्रीमद्भागवत

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श्रीकृष्ण की लीलाओं की कथाओं को सुनकर आनन्द से झूम उठे श्रद्वालु श्रीमद् भागवत पारायण के अवसर पर जय माँ काली के जयघोष, हिम संत दुर्गा दत्त शास्त्री ने निर्मल मन को बतया प्रभु मिलन का सुगम पथ मधुर यादें महका गया आध्यात्म के रंग में रगां पूर्व कैबीनेट मन्त्री के आवास मातृ सदन में आयोजित श्रीमद्भागवत

हल्दूचौड़/ पूर्व कैबीनेट मन्त्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल के आवास मातृ सदन व माँ काली की पवित्र भूमि के आंगन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का हवन, यज्ञ व भण्ड़ारे के साथ समापन होने के पश्चात् आज ग्रामवासियों ने माँ काली के दरबार में पहुचंकर माँ काली को दीप भेंट कर माता महाकाली माँ धन्यवाद अदा किया। कथा पारायण के अवसर पर प्रसिद्व कथावाचक व्यास हिम संत दुर्गा दत्त त्रिपाठी शास्त्री जी ने कहा आध्यात्मिक विचार धारा से ही दुनियां विनाश से बच सकती है। क्षेत्र के सैकड़ों भक्तजन मौजूद थे।इससे पूर्व कथा का पारायण करते हुए व्यास हिम संत श्री त्रिपाठी ने कहा हरि अनंत हरि कथा अनन्ता लोककल्याणकारी ,परमार्थिक कार्य की कभी समाप्ति नही होती पर मयार्दा के हिसाब से समय पर पूर्णता होना निश्चित है। हर वस्तु . की प्राप्ति के साथ वियोग का संयोग भी निश्चत है। हर पल नाम सुमिरन व भक्ति करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए। उन्होनें कहा सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु ईश्वरीय भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। आत्म संतोष की अनुभूति भागवत कथा के श्रवण से प्राप्त होती है।

उन्होनें भागवत कथा के अन्तिम दिवस श्रद्वालुओं के आपार जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री कृष्ण का नाम है,सत्यता के मार्ग पर चलकर परमात्मा प्राप्त होंते है, मन-बुद्धि, इन्द्रियों की वासना को यदि समाप्त करना चाहते हो तो हृदय में परमात्मा की भक्ति की ज्योति को जलाना पड़ेगा।
हिम संत ने कथा के अंतिम दिन सूकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्री मद् भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगो का वर्णन किया। उन्होनें अंतिम दिन की कथा मे अपने सुधामयवाणी की धार से भक्त सुदामा की भक्ति एंव सखा धर्म का महत्व एवं श्री कृष्ण का द्वारिका मे परम स्नेही के साथ मिलन, श्री कृष्ण का स्वधाम गमन एवं अंत मे राजा परिक्षित को मोक्ष प्राप्ति के प्रसंगो को बहुत ही सुन्दर ढ़ग से मधुर वाणी के साथ सुनाया कथा के दौरान श्री कृष्ण के भक्तिमयी भजनों की प्रस्तुति से पांडाल मे उपस्थित भक्त गण झूम उठे तथा दोनों हाथ ऊपर उठा कर श्री कृष्ण भजनों पर झुमते हुए कथा एवं भजनों का आनन्द लिया। उन्होने आगे कहा कि श्रीमद्भागवत महान् ज्ञान यज्ञ है। यह मानवीय जीवन को भक्तिमय बना देता है। भगवान् कृष्णकी अद्भूत लीलाओं का वर्णन इसमें समाहित है। भव-सागर से पार पाने के लिये श्रीमद्भागवत कथा एक सुन्दर महासेतु है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है ब्यास जी ने अपने पुत्र शुकदेव जी को श्रीमद्भागवत पढ़ायी, तब शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को जिन्हें सात दिन में मरने का श्राप मिला, उन्हें सात दिनों तक श्रीमद्भागवत की कथा सुनायी। जिससे राजा परीक्षित को सात दिन में मोक्ष की प्राप्ति हुई ।

 

श्री दुर्गा दत्त शास्त्री ने भागवत की महिमां पर प्रकाश डालते हुए कहा।श्रीमद्भागवत वेद रूपी वृक्षों से निकला एक अद्भूत पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण परम मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है।यही भागवत की परम विशेषता है। इस अलौकिक रस का पान करने से जीवन धन्य-धन्य कृत कृत हो जाता है इसलिये अधिक से अधिक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण निरंतर करते रहना चाहिये। जितनी ज्यादा कथा सुनेंगे उतना ही जीवन सुधरेगा व परम उद्वार होगा। यहाँ आयोजित भागवत कथा में सेवा जैसै महान् कार्य का दायित्व सभांलनें वाले सभी स्नेहियों का धन्यवाद अदा किया।तथा ब्यास पीठ से सभी के मंगलकामना के साथ सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया तथा कहा श्रीमद्भागवत वेद रूपी वृक्षों से निकला एक पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण अमश्तमय एवं मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है।
इस अवसर पर प्रसिद्ध विद्वान संत श्री राजेंद्र गिरी महाराज जी मंहत राजन गिरी महाराज मंहत ईश्वर गिरी महाराज मंहत तीरथ गिरी महाराज अशोका नन्द गिरी महाराज उप व्यास पण्डित हेम चन्द्र पाण्डे आचार्य रमेश चन्द्र जोशी वेदपाठी ब्राह्मण चन्दन जोशी कृष्णा खुल्बे प० ललित चन्द्र लोहनी प० कमल जोशी कथा के यजमान श्रीमती एवं श्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री धारा बल्लभ दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री हेमचन्द्र दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री राकेश दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री हेमवन्ती नन्दन दुर्गापाल श्रीमती एवं श्री पंकज दुर्गापाल
वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरेंद्र बोरा नगर पंचायत अध्यक्ष लाल चन्द्र सिंह पूर्व चैयरमैन पवन चौहान जिला पंचायत सदस्य कमलेश चंदोला रवि शंकर तिवारी जगदीश प्रसाद अग्रवाल प्रदीप सिंह भगवान सिंह डी शर्मा कैलाश धारियाल दिनेश भारद्वाज कीर्ति पाठक भुवन भट्ट अभय तिवारी प्रेमनाथ पण्डित नवीन चन्द्र भट्ट राजेन्द्र चौहान प्रमोद कलोनी देवी दत्त पाण्डे जीवन तिवारी उमेश कबड़वाल कैलाश चंद्र बमेटा गोविंद बल्लभ भट्ट बच्ची पांडे अमित बोरा पीतांबर दुम्का रमेश तिवारी ग्राम प्रधान हरेन्द्र असगोला त्रिभुवन उप्रेती पूर्व बीडीसी मेंबर भास्कर भट्ट पूर्व ग्राम प्रधान बाला दत्त खोलिया ग्राम प्रधान मीना भट्ट रुक्मणी नेगी पुष्पा भट्ट पूजा बिष्ट डॉक्टर चंद्र सिंह दानू श्रील चंद्र खोलिया राजेंद्र सिंह बिष्ट राजेंद्र दुर्गापाल भगवान सिंह धामी हरीश जोशी दया किशन कबड़वाल दया किशन बमेटा संजय दुम्का केशव दत्त कवि दयाल मोहन कुड़ाई पुष्कर दानू विशन दत्त पाण्डे हरीश बिसौती केदार दानू हरीश जोशी जीवन कब्डवाल रमेश तिवारी राजेश सुयाल गोपाल भट्ट तिलकधारी डा. चन्द्र सिंह दानू सहित अनेकों मौजूद रहे
इस अवसर पर मुख्य यजमान हरिश्चंद्र दुर्गापाल ने उपस्थित श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया तथा सभी के मंगलमय जीवन की कामना की

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